
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले पर विपक्ष लामबंद हो रहा है. मंगलवार को मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र के गवर्नर की सिफारिश पर राष्ट्रपति से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की जिसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी. अब विपक्ष ने इस फैसले को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक करार दिया है.
कांग्रेस ने कहा कि यह जल्दबाज़ी में लिया गया फैसला है और गवर्नर ने गलत फैसला किया है. पार्टी के नेता और मशहूर वकील कपिल सिबल शिव सेना की तरफ से कोर्ट में पेश होंगे.
सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने एनडीटीवी से कहा कि ये फैसला बोम्मई मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है जिसमें कहा गया है कि सदन में बहुमत सिर्फ सदन में ही साबित हो सकता है.
सीपीएम पोलितब्यूरो को तरफ से जारी एक बयान में कहा गया -"जिस तरह से महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया गया पोलित ब्यूरो उसकी भर्त्सना करता है. महाराष्ट्र के गवर्नर ने आज रात 8.30 तक का समय दिया था एनसीपी लीडर शरद पवार को बहुमत साबित करने के लिए, लेकिन उससे पहले ही उन्होंने आर्टिकल 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी."
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