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5 करोड़ फर्जी अकाउंट, 40 हजार सिम कार्ड जब्त और 26 लोकेशन पर रेड, साइबर ठगों के महा नेटवर्क का भंडाफोड़

सुरक्षा एजेंसियों ने साइबर ठगों के खिलाफ बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया गया है. इसमें 26 जगहों पर छापेमारी की गई और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां इससे जुड़ी थीं.

5 करोड़ फर्जी अकाउंट, 40 हजार सिम कार्ड जब्त और 26 लोकेशन पर रेड, साइबर ठगों के महा नेटवर्क का भंडाफोड़
cyber crime
नई दिल्ली:

अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन SIMCARTEL के तहत लातविया में साइबर ठगों का बड़ा नेटवर्क ध्वस्त किया गया है. इसमें पांच आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ 40 हजार सिम कार्ड जब्त किए गए हैं. लातविया पुलिस और यूरोपीय एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई में एक बड़े साइबर अपराध गिरोह का पर्दाफाश हुआ. इस ऑपरेशन का नाम ‘SIMCARTEL' रखा गया था. इसमें करीब पांच करोड़ फर्जी ऑनलाइन अकाउंट्स का पता चला है, जिनके जरिये ये पूरा खेल खेला जा रहा था.

भारतीय लिंक की जांच जारी
कार्रवाई के दौरान 5 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया और 1,200 सिम बॉक्स डिवाइस व करीब 40,000 सक्रिय सिम कार्ड जब्त किए गए.इस 5 सर्वर, 4 लग्जरी कारें, करीब 4.3 लाख यूरो की बैंक रकम और 3.3 लाख अमेरिकी डॉलर की क्रिप्टो संपत्ति भी फ्रीज की गई.

करोड़ों यूरो की साइबर ठगी का खुलासा
ऑस्ट्रिया, एस्टोनिया और लातविया की जांच एजेंसियों ने पाया कि यह नेटवर्क यूरोप के हजारों लोगों को निशाना बना रहा था. सिर्फ ऑस्ट्रिया में ही करीब 4.5 मिलियन यूरो (लगभग ₹40 करोड़) की ठगी की गई, जबकि लातविया में 4.2 लाख यूरो (लगभग ₹3.7 करोड़) का नुकसान हुआ. अब तक इस गिरोह से जुड़ी 1700 साइबर फ्रॉड की घटनाएं ऑस्ट्रिया में और 1500 मामले लातविया में सामने आए हैं.

कैसे काम करता था साइबर ठगी गिरोह
यह गिरोह एक अत्याधुनिक ऑनलाइन सर्विस चला रहा था जो 80 से ज्यादा देशों के नाम पर रजिस्टर्ड फोन नंबर किराए पर देता था. इन नंबरों का इस्तेमाल अपराधी सोशल मीडिया, फर्जी वेबसाइट्स और बैंकिंग प्लेटफॉर्म्स पर नकली अकाउंट बनाने के लिए करते थे। इससे वे अपनी असली पहचान और लोकेशन छिपाकर ठगी, हैकिंग, और दूसरे अपराधों को अंजाम देते थे.

ठगी के कई तरीके

  • इस गिरोह की मदद से अपराधियों ने तरह-तरह के ऑनलाइन फ्रॉड किए
  • ऑनलाइन सेकंड हैंड मार्केट ठगी: फर्जी अकाउंट बनाकर लोगों से पैसे ऐंठे जाते थे.
  • डॉटर-सन स्कैम(बेटा-बेटी बनकर ठगी): व्हाट्सएप पर खुद को पीड़ित का बेटा या बेटी बताकर नया नंबर और तुरंत मदद का झांसा देकर पैसे ठगे जाते थे.
  • निवेश (इन्वेस्टमेंट) फ्रॉड: कॉल के जरिए निवेश के नाम पर बड़ी रकम हड़प ली जाती थी.
  • फर्जी शॉपिंग साइट्स और बैंक वेबसाइट्स: किराए के नंबरों से झूठे कस्टमर केयर या कानूनी पते दिखाकर लोगों को फंसाया जाता था.
  • फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर ठगी: खासतौर पर रूसी भाषी लोगों को नकली पुलिस आईडी दिखाकर ठगा जाता था, कई बार अपराधी पीड़ितों से रकम खुद जाकर वसूलते थे

हजारों सिम कार्ड की खरीद
गिरोह ने अपने आप को कानूनी सर्विस की तरह पेश किया था. उनकी वेबसाइट बेहद पेशेवर तरीके से डिजाइन की गई थी. हजारों सिम कार्ड अलग-अलग देशों से खरीदकर उन्हें किराए पर दिया जाता था ताकि अपराधी कहीं से भी नकली अकाउंट बना सकें. जांच में यह भी सामने आया कि इस नेटवर्क का एक मुख्य सदस्य पहले से ही एस्टोनिया में आगजनी और जबरन वसूली के मामले में जांच के दायरे में था.

26 जगहों पर छापेमारी
इस पूरे ऑपरेशन में Europol (यूरोप की पुलिस एजेंसी) और Eurojust ने अहम भूमिका निभाई. ऑस्ट्रिया, एस्टोनिया, लातविया और फिनलैंड की एजेंसियों ने मिलकर 26 जगह छापेमारी की. Europol की टीम रीगा (लातविया की राजधानी) में मौजूद रही और मौके पर फॉरेंसिक और तकनीकी सहायता दी.

वेबसाइट पर एक्शन
कार्रवाई के दौरान अपराधियों की वेबसाइट्स gogetsms.com और apisim.com को भी बंद कर लिया गया और उन पर अब पुलिस का संदेश (सप्लैश पेज) दिखाया जा रहा है. अभी तक की जांच में यह खुलासा हुआ है कि इस नेटवर्क की मदद से करीब 4.9 करोड़ फर्जी ऑनलाइन अकाउंट बनाए गए थे. इन अकाउंट्स से हुई ठगी का अनुमान कई मिलियन यूरो तक पहुंचता है।

EMPACT की भूमिका
यह कार्रवाई EMPACT (European Multidisciplinary Platform Against Criminal Threats) के तहत की गई। यह प्लेटफॉर्म यूरोपीय देशों की एजेंसियों को संगठित अपराध और अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी से निपटने में सहयोग देता है. SIMCARTELऑपरेशन यूरोप की सबसे बड़ी साइबर ठगी जांचों में से एक मानी जा रही है. यूरोपीय एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि इस नेटवर्क के क्लाइंट कौन थे और क्या भारत सहित दूसरे देशों में भी इसका इस्तेमाल साइबर अपराधों के लिए हुआ था.

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