सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में मनमाने तरीके से इंटरनेट बंद करने का आरोपन लगाने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. SC ने कहा कि वह जानता चाहता है कि इस मुद्दे पर क्या कोई प्रोटोकॉल है? सीजेआई यूयू ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिंम्हा की बेंच ने कहा कि याचिका में पक्षकार बनाए गए चार राज्यों को नोटिस जारी करने के बजाय वह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) को नोटिस जारी करेगी. बेंच ने कहा कि हम केवल केंद्र को नोटिस जारी कर रहे हैं कि उठाई जाने वाली शिकायतों के संबंध में कोई मानक प्रोटोकॉल हैं या नहीं. सॉफ्टवेयर लॉ सेंटर की ओर से दाखिल की गई एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए भी इंटरनेट सर्विसेज बंद कर दी गई हैं.
वकील वृंदा ग्रोवर ने बेंच को बताया कि इस संबंध में कलकत्ता और राजस्था में भी हाईर्को में भी याचिकाएं दाखिल की गई थीं. इस पर बेंच ने कहा, "आप हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं कर सकते? वे पहले ही ऐसा कर चुके हैं." बेंच ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट्स से अनुराधा भसीन मामले में शीर्ष कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा जा सकता है.
गौरतलब है कि अनुराधा मसीन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में सर्वोच्च कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इंटरनेट सेवाओं पर अपरिभाषित प्रतिबंध (undefined restriction) अवैध है और इंटरनेट बंद करने का आदेश, जरूरत और आनुपातिकता (necessity and proportionality) के पैमाने पर खरा उतरना चाहिए. इस पर वृंदा ग्रोवर ने कहा कि राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट में कहा था कि इंटरनेट बंद नहीं किया जाएगा लेकन कुछ समय बाद इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध लगा दिया.
* सोनाली फोगाट की मौत से जुड़े कर्लीज़ रेस्तरां में तोड़फोड़ पर फिलहाल SC ने लगाई रोक
* कंटेनरों में न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं, यात्रा को बदनाम करने की कोशिश हो रही : कांग्रेस
* भारत में 50 हजार से नीचे पहुंचा Covid-19 के सक्रिय मरीजों का आंकड़ा
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं