जम्मू:
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला रविवार को अपने पिता फारुक अब्दुल्ला के बचाव में सामने आए, जिन्होंने शनिवार को यह कहकर विवाद पैदा कर दिया था कि देश की पूरी सेना भी लोगों की आतंकवादियों से रक्षा नहीं कर सकती।
उमर ने डोडा जिले में एक पार्टी कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से कहा, 'मेरे पिता ने सही बात कही है। कोई भी एक सीमा तक ही हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है, उसके बाद राजनीतिक वार्ता की ही प्रक्रिया को आगे ले जाना होगा।'
उन्होंने कहा, 'हम इस बात से सहमत हैं कि कश्मीर में सुरक्षाबलों का गहरा योगदान है लेकिन यदि इस समस्या का हल करना है तो आपको बल के स्थान पर राजनीतिक वार्ता करनी हो होगी।' उमर ने कहा कि उनकी पार्टी वार्ता के पक्ष में है, लेकिन वर्तमान स्थिति इस प्रक्रिया के अनुकूल नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'हम चाहते हैं कि वार्ता हो। हम हमेशा वार्ता के जरिए हल ढूढने के पक्ष में रहे हैं। लेकिन सच्चाई है कि दोनों देशों के बीच संबंध इतना तनावपूर्ण हो गया है कि वार्ता का स्तर और वार्ता कहां हो, तय करना मुश्किल है।'
उन्होंने कहा, 'यदि मैच खेलने पर वार्ता होती है तो वह भी तीसरे देश में हो रही है। ऐसी स्थिति में, वार्ता का माहौल सही नहीं जान पड़ता।' पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'हम चाहते हैं कि दोनों देशों के प्रमुख नई दिल्ली या इस्लामाबाद में एक-दूसरे से मिलें और तनाव दूर करें एवं वार्ता का माहौल तैयार करें।'
फारुक ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा था, 'यदि पूरी सेना भी हमारी रक्षा में आ जाए तो भी वे हमें आतंकवादियों से नहीं बचा सकती, ऐसे में सेना कब तक हमें बचाएगी। एकमात्र जो रास्ता बचा है, वह बातचीत करने और हल ढूंढने का है।'
उमर ने डोडा जिले में एक पार्टी कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से कहा, 'मेरे पिता ने सही बात कही है। कोई भी एक सीमा तक ही हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है, उसके बाद राजनीतिक वार्ता की ही प्रक्रिया को आगे ले जाना होगा।'
उन्होंने कहा, 'हम इस बात से सहमत हैं कि कश्मीर में सुरक्षाबलों का गहरा योगदान है लेकिन यदि इस समस्या का हल करना है तो आपको बल के स्थान पर राजनीतिक वार्ता करनी हो होगी।' उमर ने कहा कि उनकी पार्टी वार्ता के पक्ष में है, लेकिन वर्तमान स्थिति इस प्रक्रिया के अनुकूल नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'हम चाहते हैं कि वार्ता हो। हम हमेशा वार्ता के जरिए हल ढूढने के पक्ष में रहे हैं। लेकिन सच्चाई है कि दोनों देशों के बीच संबंध इतना तनावपूर्ण हो गया है कि वार्ता का स्तर और वार्ता कहां हो, तय करना मुश्किल है।'
उन्होंने कहा, 'यदि मैच खेलने पर वार्ता होती है तो वह भी तीसरे देश में हो रही है। ऐसी स्थिति में, वार्ता का माहौल सही नहीं जान पड़ता।' पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'हम चाहते हैं कि दोनों देशों के प्रमुख नई दिल्ली या इस्लामाबाद में एक-दूसरे से मिलें और तनाव दूर करें एवं वार्ता का माहौल तैयार करें।'
फारुक ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा था, 'यदि पूरी सेना भी हमारी रक्षा में आ जाए तो भी वे हमें आतंकवादियों से नहीं बचा सकती, ऐसे में सेना कब तक हमें बचाएगी। एकमात्र जो रास्ता बचा है, वह बातचीत करने और हल ढूंढने का है।'
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