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This Article is From Nov 05, 2020

संसदीय समिति के सामने पेश हुए ओला-उबर कंपनी के अफसर, कई तीखे सवालों का करना पड़ा सामना..

सूत्रों ने बताया कि गुरुवार की बैठक में संसद की संयुक्त समिति ने ओला और उबर के अधिकारियों से कई मुश्किल सवाल पूछे. उनसे यह पूछा गया कि किस तरह लोकेशन, टाइम और जेंडर जैसे पहलुओं को ध्यान में रखकर Surge Pricing तय की जाती है.

संसदीय समिति के सामने पेश हुए ओला-उबर कंपनी के अफसर, कई तीखे सवालों का करना पड़ा सामना..
मीनाक्षी लेखी की अध्‍यक्षता वाली समिति ने दोनों कंपनियों के अधिकारियों से कुछ तीखे सवाल पूछे
नई दिल्ली:

पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल (Personal data protection bill) की समीक्षा कर रही संसदीय समिति (Parliamentary Committee) ने गुरुवार को ओला और उबर कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उनके बिजनेस ऑपरेशन के बारे में जानकारी ली. संसदीय समिति के अध्यक्ष मीनाक्षी लेखी (Meenakshi Lekhi) ने NDTV से कहा, "हमने ओला और उबर के अफसरों से पूछा कि उनकी कंपनियों में चीनी निवेश कितना है. हमने उनसे डेटाफ्लो और रेवेन्यू फ्लो के बारे में भी सारी जानकारी मांगी है. संसद की संयुक्त समिति के सदस्यों ने ओला और उबर के अधिकारियों से Surge Pricing (मूल्‍य निर्धारण में उछाल) मुद्दे पर भी पूछताछ की. उनसे यह पूछा गया कि वह इसका निर्धारण कैसे और किन पहलुओं के आधार पर करते हैं? हमने ओला और उबर के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह संसद की संयुक्त समिति के सवालों का जवाब लिखित में पेश करें".

संसदीय समिति ने गूगल और पेटीएम के अधिकारियों से पूछा - भारत में कितना मुनाफा कमाते हैं?

सूत्रों ने बताया कि गुरुवार की बैठक में संसद की संयुक्त समिति ने ओला और उबर के अधिकारियों से कई मुश्किल सवाल पूछे. उनसे यह पूछा गया कि किस तरह लोकेशन, टाइम और जेंडर जैसे पहलुओं को ध्यान में रखकर Surge Pricing तय की जाती है.दोनों कंपनियों के अधिकारियों से यह भी पूछा गया कि वह जिस एल्गोरिथ्म का इस्तेमाल करते हैं वह कितना निष्पक्ष है और क्या उसकी ऑडिटिंग नहीं होनी चाहिए? ओला के अधिकारियों ने संसदीय समिति को बताया कि उनके कस्टमर से जुड़े पर्सनल डाटा को भारत में ही स्टोर किया जाता है जबकि ओला के अधिकारियों ने कहा कि उनके पास जो कस्टमर डाटा है वह अमेरिका में स्‍टोर किया जाता है.

कठघरे में Facebook: संसदीय समिति के तीखे सवालों और आरोपों का करना पड़ा सामना

संसदीय समिति ने अधिकारियों से पूछा कि उन्होंने भारत में अपना बिजनेस कैब एग्रीगेटर्स के तौर पर शुरू किया था लेकिन क्या वह अब एक ट्रांसपोर्ट कंपनी की तरह भारत में ऑपरेट कर रहे हैं? यह भी पूछा गया कि क्या वह अपने थर्ड पार्टी कस्टमर को अब ज्यादा बिजनेस नहीं दे रहे और क्‍या उनकी प्राथमिकता अब उनकी उनके द्वारा उनके द्वारा खुद चलाई जा रही कारें हैं? ओला और उबर के अधिकारियों को यह भी कहा गया है कि वह अपने-अपने revenue मॉडल, भारत में बिजनेस ऑपरेशन से होने वाली कमाई, टैक्स से जुड़ी जानकारी और दूसरे महत्वपूर्ण वित्तीय जानकारी संसद की संयुक्त समिति के सामने लिखित में जल्दी पेश करें.

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