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This Article is From Jun 03, 2023

ओडिशा ट्रेन हादसा तकनीकी गड़बड़ी या मानवीय त्रुटि के चलते हुआ ? कौन है हादसे का जिम्मेदार

ओडिशा ट्रेन हादसा : कोरोमंडल शालीमार एक्सप्रेस, एक खड़ी मालगाड़ी से टकराने के बाद पटरी से उतर गई और दूसरी ट्रेन, यशवंतपुर-हावड़ा सुपरफास्ट, पटरी से उतरे डिब्बों में दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इसमें 261 लोगों की मौत हो गई.

ओडिशा ट्रेन हादसा तकनीकी गड़बड़ी या मानवीय त्रुटि के चलते हुआ ? कौन है हादसे का जिम्मेदार
ओडिशा ट्रेन हादसा तकनीकी गड़बड़ी या मानवीय त्रुटि के चलते हुआ यह सवाल उठ रहा है.
नई दिल्ली:

ओडिशा (Odisha) में कल शाम तीन ट्रेनों के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद 261 से अधिक लोगों की मौत (Death) हो गई. साथ ही 900 लोग घायल हुए हैं. इसके बाद से लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर यह हादसा कैसे हुआ? हादसा किसी तकनीकी गड़बड़ी (Technical Fault) के चलते हुआ है या फिर मानवीय त्रुटि के चलते यह हुआ है. इस तरह के सवाल लगातार खड़े हो रहे हैं. शुक्रवार शाम 6.50 बजे से 7.10 बजे के बीच, ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के बीच दो टक्कर हुई, जिससे कई डिब्बे और डिब्बे एक-दूसरे के ऊपर आ गिरे.

एक यात्री ट्रेन, कोरोमंडल शालीमार एक्सप्रेस, एक खड़ी मालगाड़ी से टकराने के बाद पटरी से उतर गई और दूसरी ट्रेन, यशवंतपुर-हावड़ा सुपरफास्ट, पटरी से उतरे डिब्बों में दुर्घटनाग्रस्त हो गई.टक्कर इतनी जोरदार थी कि पटरियों पर गिरने से पहले डिब्बे हवा में ऊंचे उठ गए. एक कोच दूसरे की छत पर चढ़ गया. दोनों ट्रेनों के सत्रह डिब्बे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए. रेल मंत्रालय ने दुर्घटना के कारणों की जांच के आदेश दिए हैं.

दुर्घटना वाले स्थान के आसपास के कई सवालों में से एक यह है कि कोरोमंडल शालीमार एक्सप्रेस स्थिर मालगाड़ी के समान ट्रैक पर कैसे आगे बढ़ रही थी. यह तकनीकी खराबी थी या मानवीय भूल? कई ने सिग्नल त्रुटि की संभावना जताई है.रेल मंत्रालय देश भर में एक टक्कर रोधी प्रणाली "कवच" स्थापित करने की प्रक्रिया में है. यह कवच अलर्ट करता है कि जब ट्रेन सिग्नल को पार करती है (सिग्नल पास एट डेंजर - SPAD), जो ट्रेन टक्करों का प्रमुख कारण है.

यह सिस्टम ट्रेन के ड्राइवर को सतर्क कर सकता है, ब्रेक को नियंत्रित कर सकता है और उसी ट्रैक पर दूसरी ट्रेन को नोटिस करने पर ट्रेन को रोक सकता है. रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा कि दुर्घटना में शामिल मार्ग पर कवच उपलब्ध नहीं था. कोरोमंडल एक्सप्रेस के सबसे अधिक प्रभावित हिस्से स्लीपर क्लास के डिब्बे थे, जो आमतौर पर छुट्टियों के दौरान भरे होते हैं.
 

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