ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्र सरकार को प्रदेश की अनुसूचित जनजाति की सूची में समुदायों को शामिल करने के राज्य सरकार के 160 से अधिक प्रस्तावों पर ध्यान आकृष्ट कराने के लिए पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि दशकों से इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है. ओडिशा सरकार ने 1978 के बाद से जनजाति सलाहकार परिषद की मंजूरी के साथ 160 से अधिक समुदायों को राज्य की अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने की सिफारिश की है.
पटनायक ने शुक्रवार को केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा को लिखे पत्र में कहा कि एसटी सूची में शामिल होने में देरी के कारण राज्य के 160 से अधिक समुदाय ‘ऐतिहासिक अन्याय' का शिकार हो रहे हैं. इनमें से (160 समुदाय) कुछ नए हैं, जबकि अन्य उप-जनजाति, उपसमूह हैं. पटनायक ने कहा है कि ये समुदाय एसटी द्वारा प्राप्त लाभों से वंचित हो रहे हैं, हालांकि उनमें संबंधित अधिसूचित एसटी के समान विशिष्टताएं हैं.
पटनायक ने पत्र में उल्लेख किया, ‘‘मुझे यह बताया गया है कि जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत एक कार्यबल ने 2014 में राज्य की एसटी सूची में शामिल करने के लिए प्राथमिकता के मामलों के रूप में ओडिशा से नौ प्रस्तावों की सिफारिश की थी, लेकिन इसे अभी तक राष्ट्रपति आदेश में अधिसूचित नहीं किया गया है.''
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया इस लंबित मामले पर गौर करें और भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार इन समुदायों को सामाजिक न्याय देने के लिए कदमों में तेजी लाएं.'' उन्होंने मुंडा से लंबित मामले को संबोधित करते हुए तत्काल कार्रवाई करने और उन समुदायों के साथ न्याय करने का आग्रह किया जो दशकों से अपनी उचित शिकायतों के निवारण के लिए इंतजार कर रहे हैं.
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