पश्चिम बंगाल में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा छिने जाने को लेकर तंज कसा है. भारतीय जनता पार्टी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने TMC से राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा छिने जाने को लेकर चुनाव आयोग को भी शुक्रिया कहा. साथ ही उन्होंने TMC से पूछा कि आखिर अब वो अपनी पार्टी के आगे लगा AI यानी अखिल भारतीय कब हटा रहे हैं. चुनाव आयोग के इस फैसले को लेकर शुभेंदु अधिकारी ने एक ट्वीट भी किया. इस ट्वीट में उन्होंने लिखा कि मैं चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त का तहेदिल से शुक्रिया कहता हूं जिन्होंने TMC से राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा छीना. त्रिपुरा चुनाव के बाद ही मैंने ये मुद्दा उठाया था क्योंकि उसके बाद TMC राष्ट्रीय पार्टी होने की शर्तों को पूरा नहीं कर रही थी. मैं अब सिर्फ TMC से यही पूछना चाहता हूं कि वो अपनी पार्टी के नाम के आगे से अखिल भारतीय (AI) कब हटा रहे हैं.
उधर, TMC के सांसद सौगत रॉय ने ANI से कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा खोने के बाद भी अपना काम करती रहेगी. रॉय ने कहा कि TMC इससे पहले भी कई तरह की रुकावटों से पार पा चुकी है. इस बार भी हम इससे उबर जाएंगे. हम लगातार अपना काम करते रहेंगे. दर्जा जाने से हम पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
गौरतलब है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है. चुनाव आयोग ने इसकी घोषणा सोमवार शाम की. साथ ही आयोग ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस (TMC), CPI और शरद पवार की NCP अब राष्ट्रीय पार्टियां नहीं रही हैं. बता दें कि कुछ दिन पहले ही आम आदमी पार्टी (AAP) ने राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका में कहा गया है था कि देरी होने से चुनाव लड़ने की उसकी क्षमता बाधित हो रही है.
बात दें कि पिछले ही महीने चुनाव आयोग ने कहा था कि वो शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की "राष्ट्रीय पार्टी" स्थिति की समीक्षा करेगी. आयोग ने एनसीपी के प्रतिनिधित्व पर सुनवाई करेगा, जिसमें उसके फैसले की समीक्षा की मांग की गई थी.सूत्रों ने बताया था कि एनसीपी अब राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे की आवश्यकता को पूरा नहीं करती है. एक राजनीतिक दल को "राष्ट्रीय पार्टी" के रूप में मान्यता दी जाती है, यदि उसके उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा चुनावों में चार या अधिक राज्यों में कम से कम 6 फीसद वोट हासिल करते हैं. इसके अलावा उसे कम से कम चार लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करनी होती है.
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