बीएमसी एक तरह से मुंबई शहर की स्थानीय सरकार है. शहर के रखरखाव और विकास की जिम्मेदारी संभालता है. अपनी आमदनी का दायरा बढ़ाते हुए अब बीएमसी झुग्गियों से भी प्रॉपर्टी टैक्स वसूलेगी. ये वैसी झुग्गियां होंगी, जिनका इस्तेमाल व्यावसायिक कामों के किए हो रहा है. बीएमसी के बजट में आज ये अहम ऐलान रहा.
मुंबई शहर की आधी से ज्यादा आबादी ऐसे स्लम बस्तियों में बस्ती है और प्रॉपर्टी टैक्स के दायरे में अब ये झुग्गियां भी आयेंगी. शहर में लगभग 2.5 लाख झुग्गियां हैं. इनमें से लगभग 50,000 झुग्गियों का इस्तेमाल व्यावसायिक कामों जैसे दुकानें, गोदाम, होटल और छोटे उद्योग के लिए होता है. चूंकि बीएमसी यहां सुविधाएं भी देती हैं. इसलिए इन बिजनेस पर टैक्स लगाकर बीएमसी 350 करोड़ रुपए का राजस्व जुटाने की योजना बना रही है.
बीएमसी के अनुसार इस पैसे से झुग्गीवासियों के लिए और बेहतर सुविधाएं दी जा सकेंगी. ये कदम मुंबई में स्लम क्षेत्र की समग्र स्थिति को सुधारने में क्या अहम साबित हो सकता है? प्रतिक्रिया जानने के लिए एनडीटीवी मुंबई की झुग्गियों में भी पहुंचा और बात की उन व्यापारियों से जो ऐसे स्लम में अपना छोटा धंधा-व्यापार चलाते हैं.
वॉक्स पॉप ने कहा कि अगर सुविधाएं मिलेंगी तो हमें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन हम यहां अलग अलग ढंग से बीएमसी और सरकार को पैसे भरते ही रहते हैं. पता नहीं हमसे अब उनको क्या चाहिए?
दिसंबर 2024 तक बीएमसी की कमाई 28,308 करोड़ थी, जो प्रॉपर्टी के मुआवजे, डेवलपमेंट चार्ज, प्रॉपर्टी टैक्स से मिला.
बजट में हुए ऐलानों की तारीफ़ करते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे दावा करते हैं की ना सिर्फ़ आमदनी में बढ़ोतरी हुई है बल्कि भ्रष्टाचार भी ख़त्म हुआ है. आगामी बीएमसी चुनावों को देखते हुए चर्चा है कि इस बजट पर सत्तारूढ़ महायुति सरकार की छाप है.
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