मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan)ने कहा है कि राज्य में जिन मंदिरों के पास 10 एकड़ से अधिक कृषि भूमि है, उन्हें अब 3 साल की लीज पर देने के लिए नीलाम किया जा सकेगा. नीलामी की प्रक्रिया (Auction) के अधिकार मंदिर के पुजारी के पास होंगे. नीलाम हुई कुल भूमि में 10 एकड़ तक से होने वाली कमाई पुजारी रखेंगे, बाकी मंदिर के खाते में जाएगी. राज्य सरकार के इस फैसले के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है.
सरकार के अधीन 21 हजार 104 मंदिर हैं, जिनमें से 1320 मंदिर ही 10 एकड़ से अधिक कृषि भूमि वाले हैं. इनके पास कुल कृषि भूमि 4500 हेक्टेयर है. फिलहाल 10 एकड़ या इससे ज्यादा जमीन वाले मंदिरों के पुजारियों को मानदेय दिया जाता है. इनके पास कृषि भूमि नहीं है, उनके पुजारियों को 5000 रुपये हर महीने जबकि पांच एकड़ तक कृषि भूमि वाले मंदिर के पुजारियों को 2500 रुपये, 5 से 10 एकड़ तक जमीन पर 2000 रुपये का मानदेय मिलता है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने और क्या कहा?
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'सरकार मंदिर की गतिविधियों को नियंत्रित नहीं करेगी, बल्कि पुजारी करेंगे. जितनी जमीन मंदिरों के नाम हैं, उन्हें कलेक्टर नहीं, बल्कि पुजारी नीलाम करेंगे. इसके साथ जो निजी मंदिर हैं, उनके पुजारियों को सम्मानजनक मानदेय देने की व्यवस्था नियम बनाकर दी जाएगी. ब्राह्मणों के कल्याण के लिए ब्राह्मण कल्याण बोर्ड बनाया जाएगा.
कांग्रेस ने उठाए सवाल
सवाल उठता है 5-6 फीसदी की आबादी वाले मध्य प्रदेश में उनके लिये अचानक घोषणाओं की बौछार क्यों हुई है? इस पर दोनों दलों के अपने-अपने तर्क हैं. इस फैसले के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा, '18 साल बाद मुख्यमंत्री को ब्राह्मणों को सम्मान देने की बात मन में आई है. आज तक तो मंत्रिमंडल में उपेक्षा करते रहे. अब ब्राह्मणों को रिझाने के लिये घोषणा कर रहे हैं. जानापाव में खुद लंबी चौड़ी घोषणा की थी 10 साल तक पूरी क्यों नहीं हुई?'
फैसले को वोट के नजरिये से न देखिए
बीजेपी के प्रदेश मंत्री राहुल कोठारी ने कहा, "जिस तरह से मंदिरों को लेकर स्वायत्ता की बात आई है. ये सिर्फ ब्राह्मण समाज की नहीं, बल्कि सबके हित की बात है. इसको वोट के नजरिये से नहीं देखना चाहिये. कांग्रेस कोई आरोप लगाती रहे. उनके वक्त में मंदिरों की जो हालत थी, इसपर पार्टी को जवाब देना चाहिए."
बघेलखंड में सबसे ज्यादा सवर्ण जातियां
विंध्य यानी बघेलखंड देश का शायद इकलौता ऐसा इलाका है, जहां कुल आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा सवर्ण जातियां हैं. इस इलाके के सतना और रीवा जिले की कुछ विधानसभा सीटों पर तो सिर्फ ब्राह्मणों की आबादी 40% भी पार कर जाती है. 2018 के विधानसभा चुनाव में विंध्य की 30 सीटों में 24 पर बीजेपी ने कब्जा जमाया. 2013 में उसके पास 17 सीटें थीं. 2018 में कांग्रेस विंध्य में सिर्फ 6 सीटें जीत पाई. 2013 में उसके पास 11 सीटें थीं.
रीवा, सिंगरौली में बीजेपी का गणित 'गड़बड़'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रीवा दौरे से पहले फरवरी के अंत में गृहमंत्री अमित शाह भी विंध्य दौरे पर आ चुके हैं. विंध्य में पार्टी के समीकरण थोड़े गड़बड़ हैं. नगरीय निकाय में रीवा, सिंगरौली में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली थी. वहीं, मैहर से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने विंध्य जनता पार्टी नाम से अपनी एक नई पार्टी बनाने के साथ विंध्य की 30 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.
नवंबर 1956 में मध्य प्रदेश राज्य के गठन के बाद साल 1990 तक पांच ब्राह्मण मुख्यमंत्रियों ने लगभग 20 सालों तक शासन किया, लेकिन बीजेपी से पहले उमा भारती और अब शिवराज सिंह का शासन काल, ब्राह्मणों की संख्या और रसूख दोनों कमजोर पड़े हैं. हालांकि, चुनावी बिसात पर कई सीटों में उनकी मौजूदगी अहम हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी के लिए 'माई का लाल' नारा भारी पड़ा था. इसलिए इस बार बीजेपी हर वर्ग को साधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
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