डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस में कुछ नहीं बदला है. अपनी किताब 'आजाद' के विमोचन से पहले एनडीटीवी से गुलाम नबी आजाद ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर खुलकर अपनी राय भी रखी. एनडीटीवी से वर्तमान मुद्दों पर बात करते हुए पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पर निशाना साधा और पार्टी पर जमकर कटाक्ष किया.
लोकसभा की सदस्यता गंवाने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ पार्टी के बड़े नेताओं के सूरत जाने पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस में कुछ नहीं बदला है. दरअसल राहुल गांधी, जिन्हें हाल ही में गुजरात की अदालत के आदेश के बाद सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किया गया था. वह बहन प्रियंका गांधी वाड्रा और तीन कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों- अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ सूरत की एक कोर्ट में गए थे. राहुल गांधी ने सूरत कोर्ट में मानहानि मामले को खारिज करने को लेकर याचिका दाखिल की थी.
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कांग्रेस नेतृत्व का किसी सीट पर प्रभाव नहीं: गुलाम नबी आजाद
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस को वहीं जीत की उम्मीद है, जहां उनका मजबूत लोकल लीडर होगा. चुनाव में जीत- हार में कांग्रेस नेतृत्व की कोई भूमिका नहीं है. कांग्रेस नेतृत्व का किसी सीट पर भी प्रभाव नहीं है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की वजह से कई क्षेत्रीय दल हारे हैं. गुलाम नबी आजाद ने विपक्षी एकता की संभावना से भी साफ इनकार किया है.
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बता दें आजाद ने पिछले साल अगस्त में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. पार्टी से अलग होने के बाद उन्होंने डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी की स्थापना की थी.
आत्मकथा ‘‘आजाद'' में किए हैं कई खुलासे
कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे आजाद ने अपनी आत्मकथा ‘‘आजाद'' में हिमंता बिस्ब सरमा और कुछ अन्य प्रकरणों पर प्रकाश डाला है. गुलाम नबी आजाद ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि राहुल गांधी को जब बताया गया कि असम में कभी कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे हिमंता बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) को बहुसंख्यक विधायकों का समर्थन हासिल है और वह बगावत करने के साथ ही पार्टी छोड़ने जा रहे हैं तो कांग्रेस नेता का दो टूक जवाब था कि ‘‘जाने दीजिए उन्हें .'
उनका कहना है कि राहुल गांधी ने हिमंत के मामले को सही ढंग से नहीं संभाला और सोनिया गांधी ने भी पार्टी अध्यक्ष के तौर पर हस्तक्षेप नहीं किया जबकि उनको इसका आभास था कि सरमा के पार्टी से चले जाने से क्या नुकसान होने वाला है. बता दें, सरमा कांग्रेस छोड़ने के बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे और फिलहाल वह असम के मुख्यमंत्री हैं.
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