नई दिल्ली:
भारत ने एक एनआरआई दंपती के दो बच्चों की रिहाई के लिए नार्वे पर दबाव बढ़ा दिया है। हालांकि नार्वे की सरकार ने ‘स्वीकार्य’ समाधान की आशा जताते हुए इस मामले के लिए कोई समय सीमा तय करने से इनकार कर दिया।
वहीं एनडीटीवी के सूत्र बता रहे हैं कि बच्चों को भारत लाने की तैयारी की जा सकती है। समझौते के तहत अब बच्चे अपने दादा-दादी के पास वापस भारत आ सकते हैं।
विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने अपने नार्वे के समकक्ष से बात की और नार्वेजियन चाइल्डकेयर सर्विसेज द्वारा दो बच्चों को उनके माता पिता से अलग करने को लेकर भारत की चिंताओं को दोहराने के लिए उनके प्रभारी असलक ब्रून को समन किया।
कृष्णा ने कहा कि बच्चों की बहुत कम उम्र को देखते हुए इन बच्चों को 18 साल की उम्र से पूर्व उनके माता पिता से अलग करके फोस्टर केयर में रखना बहुत बड़ा कदम है जो सामान्यत: अंतिम संभावित कदम होना चाहिए।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार को जो परिस्थितियां पता हैं उनसे इस मामले में इस तरह के कदमों को उचित नहीं ठहराया जा सकता। कृष्णा ने कहा कि इस मामले में माकपा नेता बृंदा करात ने उनसे बात की है।
(इनपुट भाषा से भी)
वहीं एनडीटीवी के सूत्र बता रहे हैं कि बच्चों को भारत लाने की तैयारी की जा सकती है। समझौते के तहत अब बच्चे अपने दादा-दादी के पास वापस भारत आ सकते हैं।
विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने अपने नार्वे के समकक्ष से बात की और नार्वेजियन चाइल्डकेयर सर्विसेज द्वारा दो बच्चों को उनके माता पिता से अलग करने को लेकर भारत की चिंताओं को दोहराने के लिए उनके प्रभारी असलक ब्रून को समन किया।
कृष्णा ने कहा कि बच्चों की बहुत कम उम्र को देखते हुए इन बच्चों को 18 साल की उम्र से पूर्व उनके माता पिता से अलग करके फोस्टर केयर में रखना बहुत बड़ा कदम है जो सामान्यत: अंतिम संभावित कदम होना चाहिए।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार को जो परिस्थितियां पता हैं उनसे इस मामले में इस तरह के कदमों को उचित नहीं ठहराया जा सकता। कृष्णा ने कहा कि इस मामले में माकपा नेता बृंदा करात ने उनसे बात की है।
(इनपुट भाषा से भी)
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