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आपने जो बेहतरीन काम किया, उसके बिना... जब जॉन एफ कैनेडी ने एसएम कृष्ण के लिए लिखा था पत्र

भारतीय राजनीति में कदम रखने से पहले एसएम कृष्ण ने अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में भी अहम भूमिका निभाई थी और उस वक्त डैमोक्रेट पार्टी की ओर से जॉन एफ कैनेडी चुनाव लड़ रहे थे.

आपने जो बेहतरीन काम किया, उसके बिना... जब जॉन एफ कैनेडी ने एसएम कृष्ण के लिए लिखा था पत्र

पद्म विभुषणन से सम्मानित एसएम कृष्णा ने अपने 50 साल के राजनीतिक करियर में केंद्र से लेकर राज्य स्तर पर कई अहम पदों की जिम्मेदारी निभाई हैं, जिसमें गवर्नर, विदेश मंत्री और मुख्यमंत्री पद शामिल है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश की राजनीति में कदम रखने से पहले उन्होंने अमेरिका के चुनावों में बतौर लॉ स्टूटेंड बेहद अहम भूमिका निभाई थी और इसके लिए उनकी सराहना किसी और ने नहीं बल्कि खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने की थी. 

दरअसल, 1960 में डेमोक्रेटिक लीडर कैनेडी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ रहे थे. उस वक्त 28 वर्षीय कृष्णा अमेरिका में लॉ छात्र थे और उन्होंने केनेडी को एक पत्र लिखा था और भारतीय अमेरिकियों के प्रभुत्व वाले हिस्सों में उनके लिए प्रचार करने की पेशकश की थी. इसके अगले साल कैनेडी अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए और उन्हें एसएम कृष्ण का योगदान याद रहा. 

19 जनवरी 1961 को कैनेडी द्वारा कृष्ण को लिखे गए पत्र में उन्होंने कहा, 'मैं उम्मीद करता हूं कि ये चंद वाक्य कैंपेन के वक्त तुम्हारे द्वारा किए गए काम की सराहना को दर्शा पाएंगे. मैं अपने सहयोगियों के शानदार उत्साह के लिए बहुत आभारी हूं. मुझे बस इस बात का दुख है कि मैं डेमोक्रेटिक टिकट के लिए तुम्हारे द्वारा किए गए बेहतरीन काम के लिए व्यक्तिगत रूप से आपका धन्यवाद नहीं कर पाया हूं'.

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उन्होंने लिखा, "आपके अथक प्रयासों और निष्ठा के बिना, 8 नवम्बर को जीत हासिल कर पाना संभव नहीं होता." 

बता दें कि पिछले कुछ वक्त से बीमार चल रहे एसएम कृष्णा का निधन मंगलवार को बेंगलुरु में उनके घर पर हुआ. उनके परिवार में उनकी पत्नी प्रेमा और दो बेटियां शंभवी और मालविका हैं. 

जोर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी लॉ स्कूल से अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद वह भारत लौट आए थे. उनका 50 साल लंबा राजनीतिक सफर 1962 में शुरू हुआ था जब उन्होंने कर्नाटक की मद्दुर सीट से बतौर स्वतंत्र उम्मीदवार चुनाव लड़ा था. इसके बाद कांग्रेस में शामिल होने से पहले वह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का हिस्सा थे. 

इसके बाद के पांच दशकों में उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र गवर्नर, विदेश मंत्री और विधानसभा स्पीकर की जिम्मेदारियां संभाली. वह 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री थें और इसी दौरान उन्होंने बेंगलुरु को आईटी हब बनाने का काम किया था. इसके बाद वह लंबे वक्त तक कांग्रेस में रहे लेकिन 2017 में वह बीजेपी में शामिल हो गए थे. इसके बाद 2023 में अपनी बढ़ती उम्र के चलते उन्होंने राजनीति से रिटायरमेंट ले लिया था. 

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