दिल्ली की एक अदालत ने मेधा पाटकर के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किया है.
नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) की कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किया है. पाटकर और केवीआईसी के अध्यक्ष वीके सक्सेना की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमों में पाटकर के अदालत में पेश नहीं होने पर यह वॉरंट जारी किया गया. मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विक्रांत वैद्य ने पाटकर की गैर-मौजूदगी को गंभीरता से लेते हुए उनके इस अनुरोध को खारिज कर दिया कि उन्हें अपने वकील, जिनके पास उनकी ओर से अधिकृत करने वाला पत्र नहीं है, के जरिए पेशी से छूट दी जाए.
न्यायाधीश ने कहा कि पाटकर की ओर से बताए गए आधार 'संतोषजनक नहीं' हैं और उस पर 'अदालत को भरोसा नहीं हो रहा.' गैर-जमानती वॉरंट 10 जुलाई तक तामील कराना है और अगली सुनवाई इसी तारीख को होगी. पाटकर ने एक सहायक वकील के जरिए कहा कि वह मध्य प्रदेश के एक गांव में विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रही हैं और अदालत की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली पहुंचने की खातिर उन्हें कंफर्म रेल टिकट नहीं मिल सका है.
अहमदाबाद के एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज (एनसीसीएल) के अध्यक्ष सक्सेना और पाटकर वर्ष 2000 से ही कानूनी लड़ाई में उलझे हैं. यह कानूनी लड़ाई उस वक्त शुरू हुई थी जब पाटकर ने सक्सेना की ओर से उनके और एनबीए के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित कराने पर एनसीसीएल अध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. अब खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष का पद संभाल रहे सक्सेना ने कहा कि वह मामले में नियमित तौर पर पेश हो रहे हैं जबकि आरोपी बगैर किसी ठोस आधार के पिछले कई अवसरों पर गैर-हाजिर रही हैं .
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
न्यायाधीश ने कहा कि पाटकर की ओर से बताए गए आधार 'संतोषजनक नहीं' हैं और उस पर 'अदालत को भरोसा नहीं हो रहा.' गैर-जमानती वॉरंट 10 जुलाई तक तामील कराना है और अगली सुनवाई इसी तारीख को होगी. पाटकर ने एक सहायक वकील के जरिए कहा कि वह मध्य प्रदेश के एक गांव में विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रही हैं और अदालत की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली पहुंचने की खातिर उन्हें कंफर्म रेल टिकट नहीं मिल सका है.
अहमदाबाद के एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज (एनसीसीएल) के अध्यक्ष सक्सेना और पाटकर वर्ष 2000 से ही कानूनी लड़ाई में उलझे हैं. यह कानूनी लड़ाई उस वक्त शुरू हुई थी जब पाटकर ने सक्सेना की ओर से उनके और एनबीए के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित कराने पर एनसीसीएल अध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. अब खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष का पद संभाल रहे सक्सेना ने कहा कि वह मामले में नियमित तौर पर पेश हो रहे हैं जबकि आरोपी बगैर किसी ठोस आधार के पिछले कई अवसरों पर गैर-हाजिर रही हैं .
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