उत्तराखंड कैबिनेट की तरफ से बड़ा फैसला लिया गया है. कैबिनेट के लिए फैसले में अब ना सिर्फ उत्तराखंड के चार धाम बल्कि प्रमुख और बड़े मंदिरों के नाम से ना तो कोई तो ट्रस्ट बन पाएगा और ना ही मंदिर. इसको लेकर कैबिनेट ने प्रस्ताव पास किया है कि इस पर कानूनी राय लेकर कड़ा कानून बनाया जाएगा. दरअसल दिल्ली में बन रहे केदारनाथ मंदिर का विरोध पूरे उत्तराखंड में हो रहा है. इस मामले में उत्तराखंड की सत्तारुढ़ भाजपा सरकार बैक फुट पर है क्योंकि केदारनाथ मंदिर के मामले में न सिर्फ तीर्थ पुरोहित बल्कि आम लोग भी इसका भारी विरोध कर रहे हैं.
कैबिनेट ने क्यों लिया ये फैसला
अब ऐसे में इन सब विरोधों और जन भावनाओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट बैठक में महत्वपूर्ण फैसला लिया गया. जिसमें किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और उत्तराखंड के प्रमुख मंदिर के नाम से ना तो कोई ट्रस्ट बनाया जाएगा और ना ही कोई मंदिर बनाया जाएगा. इसको लेकर उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट ने कड़े कानून बनाने का प्रस्ताव पास किया है.
राज्य सरकार को राजनीतिक तौर पर कितना नुकसान
राज्य सरकार के इस फैसले के पीछे न सिर्फ जन विरोध है बल्कि आने वाले 2 महीने में राज्य में होने वाले निकाय और केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव भी है. जिसमें राज्य सरकार को बड़ा नुकसान हो सकता है. यही वजह है कि राजनीतिक तौर पर हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए उत्तराखंड कैबिनेट में यह निर्णय लिया गया है. दरअसल राज्य सरकार जानती है कि मामला काफी बढ़ रहा है और जन विरोध भी काफी हो रहा है ऐसे में राज्य सरकार ने कैबिनेट बैठक में यह बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण फैसला लिया है.
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