वॉटर ट्रेन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश के सूखा प्रभावित और जल संकट झेल रहे बुंदेलखंड इलाके को भेजी गई पानी की ट्रेन को राज्य ने लेने से मना कर दिया है। रेल मंत्रालय को भेजे गए एक पत्र में अखिलेश यादव सरकार ने कहा है, हमारे यहां लातूर के जैसे हालात नहीं हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी चिट्ठी में कहा कि अगर हमें पानी की जरूरत महसूस होगी तब हम रेलवे को सूचित कर देंगे।
अखिलेश की मांग
इस पूरी खबर के मीडिया में आने के बाद अखिलेश सरकार ने कहा कि हमें केंद्र सरकार से पानी नहीं चाहिए, हमें केंद्र सरकार से 10000 पानी के टैंकर उपलब्ध कराए। यूपी सरकार का तर्क है कि उन्हें पानी पहुंचाने के लिए टैंकरों की जरूरत है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में पानी की भारी किल्लत है और तमाम रिपोर्टों के बाद केंद्र का ध्यान इस ओर गया है। इलाके में पानी की किल्लत कितनी गंभीर है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां के कुछ किसान सूखे के कारण अपनी फसलों के नुकसान के चलते कथित तौर पर आत्महत्या कर चुके हैं।
उमा भारती का बयान
केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने पिछले महीने एनडीटीवी से बातचीत में कहा था कि केंद्र का प्रयास है ऐसी रणनीति बनाना जिससे इलाके की पानी की समस्या और गरीबी की समस्या से निजात पाया जा सके। इस समस्या की वजह से लोग यहां से पलायन कर रहे हैं। इस समय मंत्री ने यूपी और मध्य प्रदेश के 10 सांसदों से मुलाकात की थी। ये सभी सांसद बुंदेलखंड इलाके से थे।
बुंदेलखंड एक-दो जिलों वाला इलाका नहीं है। इसमें उत्तर प्रदेश के सात और मध्य प्रदेश के छह जिले आते हैं। यह इलाका एक भरे पूरे प्रदेश के बराबर है। आबादी दो करोड़ है। जल विज्ञान के विशेषज्ञ हिसाब लगाकर बता रहे हैं कि इस समय देश में बढ़ती आबादी के कारण प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष जल उपलब्धता सिर्फ 75 फीसद बची है। यानी हर व्यक्ति के हिस्से में बादलों से ही चार बाल्टी की बजाए सिर्फ तीन बाल्टी मिल रहा है। इसी आधार पर इसी स्तंभ में दो महीने पूर्व लिखा गया था कि पानी की छीना झपटी के दिन आने की आहट।
अखिलेश की मांग
इस पूरी खबर के मीडिया में आने के बाद अखिलेश सरकार ने कहा कि हमें केंद्र सरकार से पानी नहीं चाहिए, हमें केंद्र सरकार से 10000 पानी के टैंकर उपलब्ध कराए। यूपी सरकार का तर्क है कि उन्हें पानी पहुंचाने के लिए टैंकरों की जरूरत है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में पानी की भारी किल्लत है और तमाम रिपोर्टों के बाद केंद्र का ध्यान इस ओर गया है। इलाके में पानी की किल्लत कितनी गंभीर है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां के कुछ किसान सूखे के कारण अपनी फसलों के नुकसान के चलते कथित तौर पर आत्महत्या कर चुके हैं।
उमा भारती का बयान
केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने पिछले महीने एनडीटीवी से बातचीत में कहा था कि केंद्र का प्रयास है ऐसी रणनीति बनाना जिससे इलाके की पानी की समस्या और गरीबी की समस्या से निजात पाया जा सके। इस समस्या की वजह से लोग यहां से पलायन कर रहे हैं। इस समय मंत्री ने यूपी और मध्य प्रदेश के 10 सांसदों से मुलाकात की थी। ये सभी सांसद बुंदेलखंड इलाके से थे।
बुंदेलखंड एक-दो जिलों वाला इलाका नहीं है। इसमें उत्तर प्रदेश के सात और मध्य प्रदेश के छह जिले आते हैं। यह इलाका एक भरे पूरे प्रदेश के बराबर है। आबादी दो करोड़ है। जल विज्ञान के विशेषज्ञ हिसाब लगाकर बता रहे हैं कि इस समय देश में बढ़ती आबादी के कारण प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष जल उपलब्धता सिर्फ 75 फीसद बची है। यानी हर व्यक्ति के हिस्से में बादलों से ही चार बाल्टी की बजाए सिर्फ तीन बाल्टी मिल रहा है। इसी आधार पर इसी स्तंभ में दो महीने पूर्व लिखा गया था कि पानी की छीना झपटी के दिन आने की आहट।
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