फाइल फोटो
नई दिल्ली:
यह बात थोड़ी अजीब लग सकती है लेकिन भारतीय वायु सेना ने दावा किया है कि उसके पास अगस्तावेस्टलैंड से जुड़े विवादास्पद वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे से संबंधित रिकॉर्ड नहीं है, जिसे रिश्वतखोरी के आरोपों के बाद रद्द कर दिया गया था. आरटीआई के जरिये जो सूचना मांगी गयी वह मुख्य रूप से वायु सेना और रक्षा मंत्रालय के पास होती है.
मंत्रालय ने 3600 करोड़ रुपये के सौदे में कथित भ्रष्टाचार सामने आने के बाद जांच के लिए मामले को सीबीआई को भेज दिया था. सूचना का अधिकार कानून के तहत रक्षा मंत्रालय में आवेदन दाखिल कर सौदे से जुड़े पूरे रिकॉर्ड मांगे गये थे, जिनमें कीमत को लेकर बातचीत और फाइल नोटिंग भी शामिल हैं.
आवेदक ने सौदे पर मूल्य वार्ता समिति की बैठकों, सौदे के निरस्त होने, अगस्तावेस्टलैंड द्वारा दिये जाने वाले हेलीकॉप्टरों के पहले आकलन आदि की जानकारी मांगी गई. रक्षा मंत्रालय ने आरटीआई कानून के अनुरूप जानकारी देने के लिए 16 जून को आवेदन को वायु सेना के पास भेज दिया था.
आरटीआई अधिनियम की धारा 6 (3) के तहत किसी आवेदन को तब स्थानांतरित किया जाता है जब सार्वजनिक प्राधिकार के पास आरटीआई आवेदक द्वारा मांगी गयी जानकारी या उसका कोई हिस्सा नहीं होता है.
भारतीय वायुसेना मुख्यालय ने एक जवाब में कहा, ''आपके आरटीआई आवेदन में मांगी गयी जानकारी इस मुख्यालय में नहीं है.'' गौर करने वाली बात है कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने छह मई को लोकसभा में इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान सौदे से जुड़े कई तथ्यों का हवाला दिया था.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मंत्रालय ने 3600 करोड़ रुपये के सौदे में कथित भ्रष्टाचार सामने आने के बाद जांच के लिए मामले को सीबीआई को भेज दिया था. सूचना का अधिकार कानून के तहत रक्षा मंत्रालय में आवेदन दाखिल कर सौदे से जुड़े पूरे रिकॉर्ड मांगे गये थे, जिनमें कीमत को लेकर बातचीत और फाइल नोटिंग भी शामिल हैं.
आवेदक ने सौदे पर मूल्य वार्ता समिति की बैठकों, सौदे के निरस्त होने, अगस्तावेस्टलैंड द्वारा दिये जाने वाले हेलीकॉप्टरों के पहले आकलन आदि की जानकारी मांगी गई. रक्षा मंत्रालय ने आरटीआई कानून के अनुरूप जानकारी देने के लिए 16 जून को आवेदन को वायु सेना के पास भेज दिया था.
आरटीआई अधिनियम की धारा 6 (3) के तहत किसी आवेदन को तब स्थानांतरित किया जाता है जब सार्वजनिक प्राधिकार के पास आरटीआई आवेदक द्वारा मांगी गयी जानकारी या उसका कोई हिस्सा नहीं होता है.
भारतीय वायुसेना मुख्यालय ने एक जवाब में कहा, ''आपके आरटीआई आवेदन में मांगी गयी जानकारी इस मुख्यालय में नहीं है.'' गौर करने वाली बात है कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने छह मई को लोकसभा में इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान सौदे से जुड़े कई तथ्यों का हवाला दिया था.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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