लोकसभा में मोदी सरकार (Modi Government) के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) गुरुवार को ध्वनिमत से खारिज हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 2 घंटे 12 मिनट तक इस प्रस्ताव पर भाषण दिया, जिसमें उन्होंने विपक्ष पर कई तीखे वार किए. यह 27वीं बार है जब केंद्र सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रही है. प्रधानमंत्री मोदी सरकार के 9 साल के कार्यकाल में यह दूसरा मौका है. पिछले कार्यकाल में तेलुगू देशम पार्टी (TDP) अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी, जिसके खिलाफ 325 वोट पड़े थे.
आजादी के बाद अब तक 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, लेकिन मोरारजी देसाई सरकार को छोड़कर एक भी बार सरकार नहीं गिरी. उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. अब तक 23 बार कांग्रेस पार्टी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया है. हालांकि, 10 साल प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह ने एक भी बार इसका सामना नहीं किया. 2 बार जनता पार्टी जबकि 2 बार बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया.
नेहरू सरकार के लिए आया था सबसे पहला अविश्वास प्रस्ताव
पहली लोकसभा के गठन के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के 12 साल 72 दिन के कार्यकाल में उन्हें एक ही अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा. नेहरू वैसे कुल 16 साल, 286 दिन प्रधाननमंत्री रहे. लेकिन हम पहली लोकसभा के गठन के बाद की बात कर रहे हैं. पहली लोकसभा का गठन देश के पहले आम चुनावों के बाद 17 अप्रैल 1952 को हुआ था.
शास्त्री सरकार में आए तीन अविश्वास प्रस्ताव
'जय जवान जय किसान' का नारा देने वाले प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की सरकार को 1 साल 216 दिन सरकार में रहने के दौरान तीन अविश्वास प्रस्तावों का सामना करना पड़ा.
इंदिरा सरकार में आया सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव
अगर बात करें कि अभी तक सबसे ज़्यादा अविश्वास प्रस्ताव किस प्रधानमंत्री को झेलने पड़े हैं, तो वो हैं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी. इंदिरा गांधी को अपने 15 साल और 350 दिन के कार्यकाल में 15 अविश्वास प्रस्तावों का सामना करना पड़ा. सबमें उनकी जीत हुई.
मोरारजी देसाई सरकार ने वोटिंग से पहले दे दिया था इस्तीफा
पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई 2 साल 126 दिन सत्ता में रहे. इस दौरान उनकी सरकार के सामने दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. लेकिन जैसे हमने पहले बताया जुलाई 1979 में दूसरे अविश्वास प्रस्ताव से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. इस मामले में बहस पूरी नहीं हो पाई थी. मोरारजी देसाई ने इसके बाद राजनीति से संन्यास ले लिया था, लेकिन ये अकेली सरकार है जो अविश्वास प्रस्ताव पास किए जाने के बाद गिरी. हालांकि, इस्तीफे की वजह से प्रस्ताव पर मतदान नहीं हो पाया. इसके बाद चरण सिंह प्रधानमंत्री बने. वो महज़ 170 दिन सत्ता में रहे. फिर इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं. जिनकी सरकार में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र ऊपर किया जा चुका है.
राजीव गांधी को एक अविश्वास प्रस्ताव का करना पड़ा सामना
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बेटे और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी 5 साल 32 दिन के कार्यकाल में एक अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा. राजीव गांधी के बाद वीपी सिंह 342 दिन और चंद्रशेखर 223 दिन प्रधानमंत्री रहे, लेकिन उन्हें अविश्वास प्रस्ताव का सामना नहीं करना पड़ा.
नरसिम्हा राव सरकार ने जीते सभी अविश्वास प्रस्ताव
इसके बाद पी वी नरसिम्हा राव 4 साल 330 दिन प्रधानमंत्री रहे. इस दौरान उनके खिलाफ तीन अविश्वास प्रस्ताव आए. सबमें वो जीत गए.
विश्वास प्रस्ताव पर गिरी थी वाजपेयी सरकार
इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने. वो तीन बार प्रधानमंत्री बने. लेकिन एक ही कार्यकाल पूरी तरह निभा पाए. अपने पहले कार्यकाल में वाजपेयी सरकार विश्वास प्रस्ताव पर गिरी. वो भी महज़ एक वोट से गिरी थी. 17 अप्रैल 1999 को जयललिता की AIADMK ने समर्थन वापस लेकर सरकार गिराई थी. उनके कुल 6 साल 80 दिन के कार्यकाल के दौरान उनके खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव आया.
मनमोहन सरकार को नहीं मिला एक भी अविश्वास प्रस्ताव
वाजपेयी के कार्यकाल के बाद मनमोहन सिंह लगातार दो बार देश के प्रधानमंत्री बने. अपने कुल 10 साल 4 दिन के कार्यकाल में उन्हें एक भी अविश्वास प्रस्ताव का सामना नहीं करना पड़ा. मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का ये दूसरा कार्यकाल है. 26 मई 2014 से अब तक उनके खिलाफ दो अविश्वास प्रस्ताव आए. दोनों में उनकी सरकार ने जीत हासिल की.
किस पीएम के खिलाफ कितनी बार
इंदिरा गांधी- 15 बार
पी वी नरसिम्हा राव- 3 बार
लाल बहादुर शास्त्री- 3 बार
मोरारजी देसाई- 2 बार
जवाहरलाल नेहरू- 1 बार
राजीव गांधी- 1 बार
अटल बिहारी वाजपेयी- 1 बार
नरेंद्र मोदी (2018 में)- 1 बार
कुल- 27 बार
किस प्रस्ताव पर कितने घंटे हुई बहस?
- जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 21 घंटे 55 मिनट बहस हुई.
-लाल बहादुर शास्त्री सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्तावों पर कुल 51 घंटे 2 मिनट बहस हुई.
-इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्तावों पर कुल 159 घंटे 3 मिनट तक बहस हुई.
-मोरारजी देसाई सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्तावों पर 19 घंटे 53 मिनट बहस हुई.
-राजीव गांधी सरकार के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर करीब 13 घंटे बहस हुई.
-नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्तावों पर कुल 54 घंटे 7 घंटे बहस हुई.
-अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ 21 घंटे 12 मिनट बहस हुई.
- मोदी सरकार के खिलाफ दो अविश्वास प्रस्तावों पर बहस 30 घंटे से ऊपर हुई.
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