बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पद से इस्तीफा दे दिया है. अब एक बार फिर से नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की पार्टी मिलकर बिहार में सरकार चलाएगी. लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के रिश्ते छात्र जीवन से ही रहे हैं. दोनों ही नेताओं ने बिहार छात्र आंदोलन में हिस्सा लिया था. देखते ही देखते लालू प्रसाद, जेपी के काफी करीबी बन गए थे. आपातकाल के दौरान नीतीश कुमार ने भी लंबे समय तक लड़ाई लड़ी थी. लेकिन 1977 और 1980 के विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार चुनाव जीत नहीं पाए थे वहीं 1977 के लोकसभा चुनाव में ही लालू प्रसाद सांसद बन गए थे.
दोनों ही नेताओं के रिश्ते साल 1990 तक परवान चढ़ते रहे थे. इस दौरान कहा जाता है कि नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद को मुख्यमंत्री बनाने में अहम भूमिका निभायी थी. लेकिन साल 1993 आते-आते नीतीश और लालू के रिश्ते बिगड़ने लगे और नीतीश कुमार ने बिहार के पटना में 1994 में कुर्मी चेतना महारैली के माध्यम से लालू प्रसाद के खिलाफ विद्रोह कर दिया. बाद में नीतीश कुमार ने अलग पार्टी का गठन कर लिया और लगभग एक दशक बाद राबड़ी देवी को हटा कर बीजेपी के सहयोग से बिहार के मुख्यमंत्री बन गए.
साल 2013 में जब बीजेपी द्वारा नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया गया तब एक बार फिर लालू और नीतीश करीब आ गए और साल 2014 में नीतीश कुमार की सरकार को लालू प्रसाद ने समर्थन का ऐलान कर दिया. 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश और लालू प्रसाद के गठबंधन को बड़ी जीत मिली. लेकिन साल 2017 में एक बार फिर लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद नीतीश ने अपने आप को अलग कर लिया. जिसके बाद दोनों ही नेताओं के रिश्ते फिर से खराब हो गए.
साल 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर से दोनों नेताओं के बीच रिश्ते सुधरने लगे और 9 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार ने एनडीए से रिश्ता तोड़ कर एक बार फिर से लालू प्रसाद की पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं