अमेरिका में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की कथित तौर पर हत्या कराने की साजिश के आरोप में जेल में बंद भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता ने अभी तक कोई काउंसुलर एक्सेस नहीं मांगी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को वीकली प्रेस ब्रीफिंग में इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा, "निखिल गुप्ता की तरफ से कोई रिक्वेस्ट नहीं मिली है. लेकिन सरकार उनके परिवार के संपर्क में है. निखिल गुप्ता के चेक रिपब्लिक से गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्हें अमेरिका प्रत्यर्पित कर दिया गया था.
कांउसुलर एक्सेस से मतलब विदेश में कैद नागरिक को अपने देश के राजनयिक या अधिकारी से मिलने की परमिशन देना है. कांउसुलर एक्सेस खुद कैदी मांग सकता है. या सरकार चाहे तो खुद संपर्क कर सकती है. अलग-अलग देशों में इसके नियम-कायदे अलग होते हैं.
#WATCH | Delhi: On consular access to Nikhil Gupta who was extradited to the US, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, "He was extradited to the United States on 14 June. We have not received any request for consular access from Nikhil Gupta. But his family has got in touch with… pic.twitter.com/7g62m1ywCG
— ANI (@ANI) June 21, 2024
निखिल गुप्ता पर क्या है आरोप?
अदालत के दस्तावेज के मुताबिक, "निक" नाम का भी इस्तेमाल करने वाले निखिल गुप्ता पर एक अनाम भारतीय "वरिष्ठ फील्ड अधिकारी" के साथ मिलकर "पंजाब को (भारत से) अलग कर खालिस्तान नाम से एक स्वायत्त राष्ट्र बनाने की वकालत करने वाले एक अमेरिकी संगठन" के नेता की हत्या की साजिश रचने का आरोप है. दस्तावेजों में आरोप लगाया गया है कि उस व्यक्ति ने गुप्ता को एक शूटर से मिलवाया जो दरअसल अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसी का एक अंडरकवर अधिकारी था. उसे हत्या को अंजाम देने के लिए एक लाख डॉलर का ऑफर दिया गया. हालांकि, निखिल गुप्ता ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है. साथ ही कहा है कि वह किसी की भी हत्या में शामिल नहीं है.
पिछले साल 30 जून को हुई गिरफ्तारी
52 वर्षीय गुप्ता को पिछले साल 30 जून को चेक गणराज्य से गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद अमेरिका ने उनके प्रत्यर्पण की मांग की थी. प्रत्यर्पण के बाद गुप्ता को ब्रुकलिन में एक जेल में रखा गया है. गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था.
पन्नू के पास है अमेरिका और कनाडा की नागरिकता
अदालती दस्तावेज में खालिस्तान समर्थक नेता के नाम का उल्लेख नहीं है, लेकिन मामला गुरपतवंत सिंह पन्नू से जुड़ा है. पन्नू पेशे से वकील है. उसके पास अमेरिका और कनाडा की नागरिकता है. पन्नू फिलहाल न्यूयॉर्क में रहता है और खालिस्तान के समर्थन में अभियान चलाता है. उसे भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित कर रखा है.
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