राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) आतंकवादी यासीन मलिक को दी गई उम्रकैद की सजा को चुनौती नहीं देगी. बताते चलें कि अदालत ने यासीव मलिक को टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है. एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि एक अभियोजन एजेंसी के रूप में हम फैसले को चुनौती नहीं देंगे, लेकिन अगर कोई पीड़ित या मामले में कोई व्यक्ति चाहे तो वे अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि तकनीकी रूप से फैसले को चुनौती देने पर कोई रोक नहीं है. उन्होंने कहा कि फैक्ट यह है कि यासीन मलिक को दोषी ठहराया गया. मलिक को भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए उसे मौत की सजा मिल सकती थी.
एनआईए के एक अन्य अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर एनडीटीवी को बताया कि यासीन मलिक ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा उन्हें पासपोर्ट आवंटित करने का मुद्दा उठाया, ताकि यह साबित किया जा सके कि विभिन्न सरकारों ने उन्हें अपराधी नहीं माना.
बता दें कि भारत ने 2013 में यासीन मलिक को पाकिस्तान में आतंकी समूह जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद के साथ बैठे देखे जाने के बाद उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया था.
एनआईए के पूर्व निदेशक वाईसी मोदी ने एनडीटीवी को बताया कि यह एक बहुत ही कठिन जांच थी. हमें कई दिनों तक श्रीनगर में डेरा डालना पड़ा. कई बार हमारी टीमों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, लेकिन हम सबूत हासिल करने और इसे एक साथ मिलाने में कामयाब रहे. उन्होंने कहा कि पेश किए गए सबूत इतनी अच्छी तरह से बुने हुए थे कि यासीन मलिक को कभी जमानत नहीं मिली.
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