प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
केर इंडिया जो कि महिलाओं और बच्चों के लिए जाना जाने वाला एनजीओ है लेकिन इसकी फाइलें भी अंडर सेक्रेटेरी आनंद जोशी के घर से मिली हैं। यह जानकारी सीबीआई ने दी है।
केर इंडिया भारत में 100 करोड़ से ऊपर भारत में एड के तौर पर भेजता है। गृह मंत्रालय के मुताबिक कई सीक्रेट नोट्स भी उसके घर से मिले हैं। "कुछ इन्फर्मेशन एंड ब्रॉड्कॉस्टिंग की फाइलें भी मिली हैं। गृह मंत्रालय से पहले वो इन्फर्मेशन एंड ब्रॉडकॉस्टिंग मंत्रालय में भी पोस्टेड था," एक सीनियर अफसर ने एनडीटीवी इंडिया को यह बताया।
उधर जोशी के खिलाफ मंत्रालय ने विभागीय जांच भी शुरू कर दी है। एनडीटीवी इंडिया को गृह सचिव ने बताया आनंद जोशी की कई महीनों से कई विभागों से शिकायतें भी आ रही थी। "हम CBI की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं उसके बाद हम भी करवाई करेंगे।"
सीबीआई ने मंत्रालय के कुछ अफसरों से पूछताछ भी की। यह जानने के लिए कि क्या जोशी फाइलों को अपने घर ले जाते थे। किसी भी एनजीओ को नोटिस भेजने से पहले या बाद में फाइलों का मूवमेंट कैसे होता था।
उधर आईबी का कहना है की केर इंडिया उनके रडार पर नहीं था। तीस्ता सीतलवाड का एनजीओ सबरंग था। आईबी के मुताबिक भारत में फिलहाल तीन तरह के एनजीओ काम कर रहे हैं। पहला जो सर्विस डिलिवरी के इलाके में काम करते है। भारत में कारण 90 फीसदी एनजीओ इसी कैटेगरी में आते हैं। दूसरा जो अडवोकेसी करते हैं। भारत में इनकी संख्या 8 फीसदी के आसपास है। इस कैटेगरी के एनजीओ सबसे ज्यादा वॉचलिस्ट में हैं। तीसरी कैटेगरी थिंक टैंक की है जो करीब 2 फीसदी हैं।
केर इंडिया भारत में 100 करोड़ से ऊपर भारत में एड के तौर पर भेजता है। गृह मंत्रालय के मुताबिक कई सीक्रेट नोट्स भी उसके घर से मिले हैं। "कुछ इन्फर्मेशन एंड ब्रॉड्कॉस्टिंग की फाइलें भी मिली हैं। गृह मंत्रालय से पहले वो इन्फर्मेशन एंड ब्रॉडकॉस्टिंग मंत्रालय में भी पोस्टेड था," एक सीनियर अफसर ने एनडीटीवी इंडिया को यह बताया।
उधर जोशी के खिलाफ मंत्रालय ने विभागीय जांच भी शुरू कर दी है। एनडीटीवी इंडिया को गृह सचिव ने बताया आनंद जोशी की कई महीनों से कई विभागों से शिकायतें भी आ रही थी। "हम CBI की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं उसके बाद हम भी करवाई करेंगे।"
सीबीआई ने मंत्रालय के कुछ अफसरों से पूछताछ भी की। यह जानने के लिए कि क्या जोशी फाइलों को अपने घर ले जाते थे। किसी भी एनजीओ को नोटिस भेजने से पहले या बाद में फाइलों का मूवमेंट कैसे होता था।
उधर आईबी का कहना है की केर इंडिया उनके रडार पर नहीं था। तीस्ता सीतलवाड का एनजीओ सबरंग था। आईबी के मुताबिक भारत में फिलहाल तीन तरह के एनजीओ काम कर रहे हैं। पहला जो सर्विस डिलिवरी के इलाके में काम करते है। भारत में कारण 90 फीसदी एनजीओ इसी कैटेगरी में आते हैं। दूसरा जो अडवोकेसी करते हैं। भारत में इनकी संख्या 8 फीसदी के आसपास है। इस कैटेगरी के एनजीओ सबसे ज्यादा वॉचलिस्ट में हैं। तीसरी कैटेगरी थिंक टैंक की है जो करीब 2 फीसदी हैं।
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