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निर्मला सीतारमण ने बताया GST में नेक्स्ट-जेनरेशन सुधारों का रोडमैप, छोटे व्यवसायों को होगा फायदा

वित्त मंत्रालय द्वारा 1 सितम्बर, 2025 को जारी GST के आंकड़े दिखाते हैं कि अगस्त, 2025 में टोटल ग्रोस GST रेवेन्यू 1,86,315 करोड़ रहा जो अगस्त, 2024 में 1,74,962 करोड़ था.

निर्मला सीतारमण ने बताया GST में नेक्स्ट-जेनरेशन सुधारों का रोडमैप, छोटे व्यवसायों को होगा फायदा
(फाइल फोटो)
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने GST व्यवस्था में अगले महीनों में नेक्स्ट-जनरेशन सुधारों की शुरुआत की घोषणा की
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिवाली तक अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार पेश करने का लक्ष्य निर्धारित किया है
  • अगस्त 2025 में जीएसटी संग्रह में पिछले साल की तुलना में छह दशमलव पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई है
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को चेन्नई में जीएसटी परिषद की बैठक से ठीक पहले सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक पोस्ट करते हुए कहा, "आने वाले महीनों में GST व्यवस्था में नेक्स्ट-जनरेशन के रिफॉर्म्स की योजनाबद्ध शुरुआत से छोटे व्यवसायों के लिए अनुपालन बोझ (compliance burden) कम होगा, जिससे वो आसानी से फल-फूल सकेंगे."

उन्होंने लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ‘Task Force for Next-Generation Reforms' के गठन की घोषणा की है, जिसका स्पष्ट उद्देश्य नियमों (regulations) को सरल बनाना, अनुपालन लागत कम करना (lower compliance costs) और स्टार्ट-अप्स, MSMEs और उद्यमियों के लिए और सक्षम इकोसिस्टम तैयार करना है".

दरअसल, भारत सरकार ने अगले दो महीने में अगली पीढ़ी के वस्तु और सेवाकर (GST) में सुधार का एक महत्वकांशी रोडमैप तैयार किया है. 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस दिवाली तक अगली पीढ़ी के वस्तु और सेवाकर (GST) सुधारों को पेश करने की घोषणा सरकार की इस नयी रणनीति का एक अहम हिस्सा है.

पीएम मोदी ने देश को सम्बोधित करते हुए कहा था, ''सरकार अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार लाएगी, जिससे आम आदमी पर कर का बोझ कम होगा. यह आपके लिए दिवाली का तोहफा होगा.'' वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक GST व्यवस्था के लागू हुए 8 साल हो चुके हैं, और अब भारत सरकार के पास मौजूदा GST व्यवस्था को और कारगर बनाने के ज़रूरी आंकड़ें उपलब्ध हैं.

वित्त मंत्रालय द्वारा 1 सितम्बर, 2025 को जारी GST के आंकड़े दिखाते हैं कि अगस्त, 2025 में टोटल ग्रोस GST रेवेन्यू 1,86,315 करोड़ रहा जो अगस्त, 2024 में 1,74,962 करोड़ था. यानी इस साल अगस्त में GST कलेक्शन पिछले साल अगस्त के मुकाबले 6.5% तक बढ़ गया. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 में GST रेवेन्यू कलेक्शन 11.37 लाख करोड़ रुपये था जो 2024-25 में बढ़कर 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.

पिछले 8 साल में GST टैक्स बेस भी दोगुना से ज़्यादा बढ़ा है. 2017-18 में GST टैक्स बेस 66 लाख था जो 2024-25 में बढ़कर 151 लाख तक पहुंच गया. वित्त मंत्रालय का मानना है कि GST कलेक्शन में तेजी से सुधार हो रहा है और मौजूदा GST व्यवस्था में स्लैब्स घटाने और दूसरे सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना बेहद ज़रूरी हो गया है.

भारत सरकार के आंकलन के मुताबिक पिछले आठ साल के दौरान GST के कुल कलेक्शन का सबसे ज़्यादा 67% रेवेन्यू 18% GST स्लैब से आया है. जबकि सबसे ऊंचे 28% GST स्लैब का कंट्रीब्यूशन GST के कुल कलेक्शन में 11% रहा है.  वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 5% GST स्लैब ने कुल GST कलेक्शन में 7% कंट्रीब्यूट किया है.

सबसे कम कंट्रीब्यूशन 12% GST Slab का रहा जिसकी हिस्सेदारी कुल GST कलेक्शन में सबसे कम 5% रही है. GST के इन आकड़ों के आंकलन के आधार पर ही मौजूदा GST के 4 स्लैब्स -- 5%, 12%, 18% और 28% की जगह सिर्फ दो GST स्लैब्स - 5% और 18% रखने का प्रस्ताव GST कॉउन्सिल द्वारा गठित ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स (GoM) के पास भेजा गया जिसे स्वीकार कर लिया गया है.

अब 3-4 सितम्बर को होने वाले GST कॉउन्सिल की महत्वपूर्व बैठक में इस पर आम राय बनाने की कोशिश होगी. भारत सरकार का आंकलन है कि 90 फीसदी प्रोडक्ट्स/आइटम्स को 28% से 18% GST के स्लैब और 99% प्रोडक्ट्स/आइटम्स को मौजूदा 12% के GST स्लैब से हटाकर अगर 5% के जीएसटी स्लैब में रखा जाता है तो आम आदमी के साथ-साथ मिडिल क्लास, किसान, महिलाओं, कारोबारियों और उद्योग जगत - सभी को फायदा मिलेगा.

GST रेट घटने से जहां आम आदमी पर टैक्स का बोझ कम होगा, वहीं अर्थव्यवस्था में नया निवेश और कंजप्शन बढ़ेगा, डिमांड में सुधार होगा और इससे अर्थव्यवस्था और मज़बूत होगी. साथ ही, टैक्स रेट घटने और GST व्यवस्था के सरलीकरण से GST का टैक्स बेस और बढ़ने की भी उम्मीद है.

वित्त मंत्रालय के मुताबिक 'आत्मनिर्भर भारत' के टारगेट को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने जीएसटी में महत्वपूर्ण सुधारों का जो खाका तैयार किया है उसके तीन प्रमुख स्तंभ हैं: संरचनात्मक सुधार (structural reforms), GST दरों का युक्तिकरण (rate rationalisation) और रहन-सहन की सुगमता (ease of living).

वित्त मंत्रालय के मुताबिक, "इन सुधारों का उद्देश्य वर्गीकरण संबंधी विवादों को कम करना, विशिष्ट क्षेत्रों में शुल्क (इनवर्टेड ड्यूटी ) ढांचों को ठीक करना, दरों में अधिक स्थिरता सुनिश्चित करना और व्यापार सुगमता को और बढ़ाना है. ये उपाय प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों को मज़बूत करेंगे, आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करेंगे और क्षेत्रीय विस्तार को और सक्षम करेंगे".

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