पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन की सैन्य मौजूदगी और दक्षिण चीन सागर में उसकी धौंस जमाने की रणनीति के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि समझौतों का अनादर और कानून के शासन की अवहेलना किए जाने के कारण एशिया में भूमि और समुद्र में नए तनाव पैदा हुए हैं.
जयशंकर ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुद्रा की ताकत पर भी बात की. उन्होंने इस बारे में भी बात की कि वैश्विक कूटनीति के ‘‘टूलबॉक्स'' में ‘‘प्रतिबंधों के खतरे'' का किस प्रकार इस्तेमाल किया जा रहा है. जयशंकर ने यह बयान ऐसे में दिया है जब कुछ ही दिन पहले भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर समझौता होने के बाद अमेरिका ने प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी थी.
विदेश मंत्री ने पाकिस्तान का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवाद और अतिवाद ने उन्हें निगलना शुरू कर दिया है जो लंबे समय से इसका सहारा लेते आए हैं.
जयशंकर ने यूक्रेन युद्ध के परिणामों, पश्चिम एशिया में हिंसा में वृद्धि और जलवायु घटनाओं, ड्रोन हमलों की घटनाओं, भू-राजनीतिक तनाव एवं प्रतिबंधों के मद्देनजर साजो-सामान संबंधी व्यवधान पर विस्तार से चर्चा की.
उन्होंने सीआईआई की वार्षिक आम बैठक में कहा, ‘‘दुनिया तीन ‘एफ' यानी ‘फ्यूल, फूड, फर्टेलाइजर' (ईंधन, भोजन और उर्वरक) के संकट से जूझ रही है. समझौतों का अनादर और कानून के शासन की अवहेलना किए जाने के कारण एशिया में भूमि और समुद्र में नए तनाव पैदा हुए हैं.''
जयशंकर ने कहा, ‘‘आतंकवाद और अतिवाद ने उन्हें निगलना शुरू कर दिया है जो लंबे समय से इसका सहारा लेते आए हैं. कई मायनों में, हम वास्तव में एक तूफान से गुजर रहे हैं.''
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लिए महत्वपूर्ण है कि वह खुद पर इसका कम से कम प्रभाव पड़ने दे और जहां तक संभव हो सके, दुनिया को स्थिर करने में योगदान दे. ‘भारत प्रथम' और ‘वसुधैव कुटुंबकम' का विवेकपूर्ण संयोजन हमारी छवि को ‘विश्व बंधु' के रूप में परिभाषित करता है.''
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं