नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री ने 20 जुलाई 2018 को अविश्वास प्रस्ताव के दौरान अपने भाषण में कहा था कि सितंबर 2017 से मई 2018 के बीच लगभग 45 लाख नए नेट सबस्क्राइबर EPFO से जुड़े. लेकिन एक महीने बाद अब ईपीएफओ ने इसे घटा दिया है.
सोमवार को जारी ताजा आंकड़ों में EPFO ने सितंबर 2017 से मई, 2018 के बीच पीएफ के नए उपभोक्ताओं (subscribers) की संख्या अनुमानित करीब 44 लाख से घटाकर 39.2 लाख कर दी है. साफ है नौ महीनों में नए सबस्क्राइबर की संख्या 5.54 लाख घट गई है...यानी करीब 12.4 फीसदी की गिरावट.
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन ने एनडीटीवी से कहा कि EPFO के रिवाइज आंकड़ों को रोज़गार के नए अवसर से जोड़कर देखना गलत होगा. वेद जैन कहते हैं, "रोजगार के आकलन के लिए स्ट्रक्चर्ड और रिलायबल डाटा की जरूरत होगी. EPFO के डाटा से कितनी रोजगार पैदा हुए हैं, ये आंकलन करना सही नहीं होगा. EPFO में महज रजिस्टर करने से ये कहना मुश्किल होगा कि नए लोगों को नया रोजगार मिला है."
हालांकि कांग्रेस ने EPFO के ताजा आंकड़ों का हवाला देते हुए फिर सरकार के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा, "EPFO अगर 12% तक downward revision करती है तो आप समझ सकते हो देश में लोग कितने दुखी हैं. नए जॉब तो हैं नहीं, जो हैं उसमें भी कटौती हो रही है."
साफ है, रोजगार पर राजनीतिक बहस जल्दी खत्म होती नहीं दिख रही है.
सोमवार को जारी ताजा आंकड़ों में EPFO ने सितंबर 2017 से मई, 2018 के बीच पीएफ के नए उपभोक्ताओं (subscribers) की संख्या अनुमानित करीब 44 लाख से घटाकर 39.2 लाख कर दी है. साफ है नौ महीनों में नए सबस्क्राइबर की संख्या 5.54 लाख घट गई है...यानी करीब 12.4 फीसदी की गिरावट.
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन ने एनडीटीवी से कहा कि EPFO के रिवाइज आंकड़ों को रोज़गार के नए अवसर से जोड़कर देखना गलत होगा. वेद जैन कहते हैं, "रोजगार के आकलन के लिए स्ट्रक्चर्ड और रिलायबल डाटा की जरूरत होगी. EPFO के डाटा से कितनी रोजगार पैदा हुए हैं, ये आंकलन करना सही नहीं होगा. EPFO में महज रजिस्टर करने से ये कहना मुश्किल होगा कि नए लोगों को नया रोजगार मिला है."
हालांकि कांग्रेस ने EPFO के ताजा आंकड़ों का हवाला देते हुए फिर सरकार के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा, "EPFO अगर 12% तक downward revision करती है तो आप समझ सकते हो देश में लोग कितने दुखी हैं. नए जॉब तो हैं नहीं, जो हैं उसमें भी कटौती हो रही है."
साफ है, रोजगार पर राजनीतिक बहस जल्दी खत्म होती नहीं दिख रही है.
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