प्रकाश जावड़ेकर और मोहन भागवत का फाइल फोटो
नई दिल्ली:
मानव संसाधन विकास मंत्री बनने के हफ्ते भर के भीतर ही मंगलवार को प्रकाश जावड़ेकर ने नई शिक्षा नीति पर चर्चा के लिये दिल्ली में आरएसएस के विचारकों से मीटिंग की। इस मीटिंग में आरएसएस ने शिक्षा में नैतिक मूल्यों और भारतीयता पर ज़ोर देने के साथ संस्कारी विचार की बात कही।
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शिक्षा मंत्री के तौर पर आरएसएस के साथ जावड़ेकर की पहली बैठक का समापन वंदेमातरम की धुन के साथ हुआ। उससे पहले नई शिक्षा नीति के मसौदे पर चर्चा हुई जिसमें आरएसएस के विचारकों ने पढ़ाई लिखाई को संस्कारी बनाने और भारत को विश्व गुरू बनाने की बात की।
शिक्षकों को आज़ादी देने की मांग
आरएसएस से जुड़े भारतीय शिक्षण मंडल के सह संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने शिक्षा पद्धति के भारतीयकरण पर ज़ोर दिया। टीएसआर सुब्रह्मण्यम कमेटी की ओर से तय किये गये ड्राफ्ट के बाद सरकार नई शिक्षा नीति बना रही है। इस महीने के आखिर तक इसके लिये जनता से विचार मांगे गये हैं। इस मीटिंग में आरएसएस ने शिक्षकों को आज़ादी देने की बात की और कहा कि इसके लिये एक स्वतंत्र शिक्षा आयोग बनाया जाना चाहिये।
पढ़ाई में लचीलापन जरूरी
पढ़ाई में लचीलापन यानी 9 वीं के बाद छात्र को अपनी रुचि के विषय तय करने की आज़ादी होनी चाहिये। कानितकर ने कहा कि अगर छात्र नवीं कक्षा के बाद विज्ञान के साथ कला और वाणिज्य भी पढ़ना चाहता है तो उसे अनुमति मिलनी चाहिये या अगर कोई सिर्फ संगीत की शिक्षा चाहता है तो उसकी शिक्षा वैसी ही होनी चाहिये।
दक्षिण कोरिया की मिसाल
आरएसएस का ये भी कहना है शिक्षकों के लिये नियुक्ति से पहले उन्हें 5 साल का अनिवार्य ट्रेनिंग कोर्स करना चाहिये औऱ इसके लिये शिक्षक बनने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को 12वीं की पढ़ाई के बाद ही तय कर लेना चाहिये। संघ ने दक्षिण कोरिया की मिसाल देते हुये ये भी कहा कि प्राथमिक विद्यालयों के टीचर को सबसे अधिक महत्व और सबसे अधिक वेतन मिलना चाहिये।
इस बैठक में आरएसएस ने कहा कि शिक्षा आचार्य केंद्रित, अध्ययन केंद्रित और आनंद केंद्रित होनी चाहिये। संघ ये भी चाहता है कि पूर्व सरकारों की ओर से आज़ादी के बाद से अब तक की गई 'गलतियों' को दुरुस्त किया जाये। कार्यक्रम में शामिल हुये वक्ता और वाजपेयी सरकार के वक्त मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सचिव रह चुके जे एस राजपूत का कहना था कि नैतिक और चारित्रिक विकास के लिये पाठ्यक्रम में तुरंत बदलाव किये जाने की ज़रूरत है। ये बैठक शिक्षा नीति पर चर्चा के लिये थी लेकिन राजपूत ने कहा कि शिक्षा नीति तो 10 से 15 सालों में बनती है लेकिन पाठ्यक्रम हर 5 साल में बदलना चाहिये।
उधर वामपंथी और कांग्रेसी, सरकार पर नये सिरे से शिक्षा का भगवाकरण का आरोप लगा रहे हैं। पारंपरिक मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में शिक्षा मंत्री के आरएसएस के साथ हुये इस संवाद को लेकर कई लोगों ने आलोचना की। लेकिन जावड़ेकर ने कहा कि उनके दरवाज़े हर किसी के लिये खुले हैं और वह शिक्षा के मामले में सबसे संवाद और विमर्श करने को तैयार हैं।
हाल में हुये कैबिनेट फेरबदल में स्मृति ईरानी को शिक्षा मंत्री के पद से हटाये जाने को लेकर कई अनुमान लगाये गये जिसमें एक कयास ये भी था कि क्या उन्हें आरएसएस के दबाव में हटाया गया। अब नई शिक्षा नीति तैयार करने के सिलसिले में संघ के साथ हुई इस बैठक के मद्देनज़र ये सवाल अहम रहेगा कि शिक्षा नीति पर संघ की कितनी छाप दिखती है।
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शिक्षा मंत्री के तौर पर आरएसएस के साथ जावड़ेकर की पहली बैठक का समापन वंदेमातरम की धुन के साथ हुआ। उससे पहले नई शिक्षा नीति के मसौदे पर चर्चा हुई जिसमें आरएसएस के विचारकों ने पढ़ाई लिखाई को संस्कारी बनाने और भारत को विश्व गुरू बनाने की बात की।
शिक्षकों को आज़ादी देने की मांग
आरएसएस से जुड़े भारतीय शिक्षण मंडल के सह संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने शिक्षा पद्धति के भारतीयकरण पर ज़ोर दिया। टीएसआर सुब्रह्मण्यम कमेटी की ओर से तय किये गये ड्राफ्ट के बाद सरकार नई शिक्षा नीति बना रही है। इस महीने के आखिर तक इसके लिये जनता से विचार मांगे गये हैं। इस मीटिंग में आरएसएस ने शिक्षकों को आज़ादी देने की बात की और कहा कि इसके लिये एक स्वतंत्र शिक्षा आयोग बनाया जाना चाहिये।
पढ़ाई में लचीलापन जरूरी
पढ़ाई में लचीलापन यानी 9 वीं के बाद छात्र को अपनी रुचि के विषय तय करने की आज़ादी होनी चाहिये। कानितकर ने कहा कि अगर छात्र नवीं कक्षा के बाद विज्ञान के साथ कला और वाणिज्य भी पढ़ना चाहता है तो उसे अनुमति मिलनी चाहिये या अगर कोई सिर्फ संगीत की शिक्षा चाहता है तो उसकी शिक्षा वैसी ही होनी चाहिये।
दक्षिण कोरिया की मिसाल
आरएसएस का ये भी कहना है शिक्षकों के लिये नियुक्ति से पहले उन्हें 5 साल का अनिवार्य ट्रेनिंग कोर्स करना चाहिये औऱ इसके लिये शिक्षक बनने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को 12वीं की पढ़ाई के बाद ही तय कर लेना चाहिये। संघ ने दक्षिण कोरिया की मिसाल देते हुये ये भी कहा कि प्राथमिक विद्यालयों के टीचर को सबसे अधिक महत्व और सबसे अधिक वेतन मिलना चाहिये।
इस बैठक में आरएसएस ने कहा कि शिक्षा आचार्य केंद्रित, अध्ययन केंद्रित और आनंद केंद्रित होनी चाहिये। संघ ये भी चाहता है कि पूर्व सरकारों की ओर से आज़ादी के बाद से अब तक की गई 'गलतियों' को दुरुस्त किया जाये। कार्यक्रम में शामिल हुये वक्ता और वाजपेयी सरकार के वक्त मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सचिव रह चुके जे एस राजपूत का कहना था कि नैतिक और चारित्रिक विकास के लिये पाठ्यक्रम में तुरंत बदलाव किये जाने की ज़रूरत है। ये बैठक शिक्षा नीति पर चर्चा के लिये थी लेकिन राजपूत ने कहा कि शिक्षा नीति तो 10 से 15 सालों में बनती है लेकिन पाठ्यक्रम हर 5 साल में बदलना चाहिये।
उधर वामपंथी और कांग्रेसी, सरकार पर नये सिरे से शिक्षा का भगवाकरण का आरोप लगा रहे हैं। पारंपरिक मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में शिक्षा मंत्री के आरएसएस के साथ हुये इस संवाद को लेकर कई लोगों ने आलोचना की। लेकिन जावड़ेकर ने कहा कि उनके दरवाज़े हर किसी के लिये खुले हैं और वह शिक्षा के मामले में सबसे संवाद और विमर्श करने को तैयार हैं।
हाल में हुये कैबिनेट फेरबदल में स्मृति ईरानी को शिक्षा मंत्री के पद से हटाये जाने को लेकर कई अनुमान लगाये गये जिसमें एक कयास ये भी था कि क्या उन्हें आरएसएस के दबाव में हटाया गया। अब नई शिक्षा नीति तैयार करने के सिलसिले में संघ के साथ हुई इस बैठक के मद्देनज़र ये सवाल अहम रहेगा कि शिक्षा नीति पर संघ की कितनी छाप दिखती है।
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