विज्ञापन
This Article is From Oct 24, 2015

पहले ऐसा माहौल नहीं था जब नाम से पहले धर्म पूछा जाए : गुलज़़ार

पहले ऐसा माहौल नहीं था जब नाम से पहले धर्म पूछा जाए : गुलज़़ार
गीतकार गुलज़ार (फाइल फोटो)
पटना: प्रसिद्ध गीतकार गुलजार ने देश में बढ़ती असहिष्णुता पर अफसोस जताते हुए कहा कि ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे गए। उन्होंने बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में लेखकों की ओर से साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाए जाने को सही ठहराया।

81 साल के गुलजार ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी स्थिति भी आएगी, जब किसी व्यक्ति का नाम जानने से पहले उसका धर्म पूछा जाएगा। उन्होंने कहा कि पुरस्कार लौटाना ही लेखकों के पास विरोध जताने का एकमात्र तरीका होता है।

कन्नड़ लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या और बुद्धिजीवियों पर हमले की अन्य घटनाओं के विरोध में कई लेखकों ने अपने पुरस्कार लौटा दिए हैं। गुलजार ने कहा कि हत्या में अकादमी का कोई कसूर नहीं है, लेकिन लेखक चाहते थे कि संस्था इन घटनाओं का संज्ञान ले और अपना विरोध जताए।

गुलजार ने कहा, 'हम सभी को दुखी करने वाली हत्या कहीं न कहीं व्यवस्था...सरकार का कसूर है...पुरस्कार लौटाना विरोध का एक तरीका है। लेखकों के पास अपना विरोध जताने का और कोई तरीका नहीं होता। हमने इस तरह की धार्मिक असहिष्णुता कभी नहीं देखी। कम से कम, हम खुद को अभिव्यक्त करने में डरते नहीं थे।' धार्मिक असहिष्णुता की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए गुलजार ने इन दावों को खारिज किया कि पुरस्कार लौटाने का लेखकों का फैसला राजनीति से प्रेरित है।

उन्होंने कहा, 'कभी नहीं सोचा था कि ऐसी स्थिति भी आएगी कि आदमी के नाम से पहले उसका धर्म पूछा जाएगा। ऐसे हालात कभी नहीं थे...कोई लेखक भला क्या राजनीति कर सकता है? एक लेखक तो बस अपने दिल, दिमाग और आत्मा की बात बोलता है। वे समाज के अंत:करण के रक्षक हैं। वे समाज की आत्मा के रक्षक हैं।'

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
साहित्य अकादमी, साहित्यकारों का विरोध, कलबुर्गी हत्‍या, दादरी कांड, गुलज़ार, Sahitya Akademi Award, Writers Protest MM Kalburgi Killing, Kalburgi Killed, Dadri Incident, Gulzaar
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com