Nepanagar Election Results 2023: जानें, नेपानगर (मध्य प्रदेश) विधानसभा क्षेत्र को

नेपानगर विधानसभा सीट पर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 235117 वोटर मौजूद थे, जिनमें से 85320 ने कांग्रेस उम्मीदवार सुमित्रा देवी कास्डेकर को वोट देकर जिताया था, जबकि 84056 वोट पा सके बीजेपी प्रत्याशी मंजू राजेंद्र दादू 1264 वोटों से चुनाव हार गए थे.

Nepanagar Election Results 2023: जानें, नेपानगर (मध्य प्रदेश) विधानसभा क्षेत्र को

Assembly Elections 2023 के अंतर्गत मध्य प्रदेश राज्य में 17 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा, और चुनाव परिणाम (Election Results) 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.

हिन्दुस्तान का दिल कहलाने वाले और देश के बीचोंबीच बसे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Assembly Elections 2023) राज्य के मालवा क्षेत्र में मौजूद है बुरहानपुर जिला, जहां बसा है नेपानगर विधानसभा क्षेत्र, जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 235117 मतदाता थे, और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार सुमित्रा देवी कास्डेकर को 85320 वोट देकर विजयश्री प्रदान की थी, और विधायक बना दिया था, जबकि बीजेपी उम्मीदवार मंजू राजेंद्र दादू को 84056 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था, और वह 1264 वोटों से चुनाव हार गए थे.

इससे पहले, साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में नेपानगर विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र श्यामलाल दादू (राजू भैया) ने जीत हासिल की थी, और उन्हें 87224 मतदाताओं का समर्थन मिला था. विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार रामकिशन पटेल को 65046 वोट मिल पाए थे, और वह 22178 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रह गए थे.

इसी तरह, विधानसभा चुनाव 2008 में नेपानगर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र श्यामलाल दादू (राजू भैया) को कुल 46534 वोट हासिल हुए थे, और वह विधानसभा पहुंचे थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी रामकिशन पटेल दूसरे पायदान पर रह गए थे, क्योंकि उन्हें 44948 वोटरों का ही समर्थन मिल पाया था, और वह 1586 वोटों से चुनाव में पिछड़ गए थे.

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वैसे, गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2018 में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश सूबे में 114 सीटों पर जीतकर कांग्रेस राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि 230-सदस्यीय विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खाते में 109 सीटें ही आ पाई थीं. बाद में कांग्रेस ने 121 विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंपा था और कमलनाथ ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ली थी. लेकिन फिर डेढ़ साल बाद ही राज्य में नया राजनीतिक तूफ़ान खड़ा हो गया, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ BJP में शामिल हो गए. इससे बहुमत BJP के पास पहुंच गया और शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर सूबे के मुख्यमंत्री बन गए. इसके बाद, राज्य में 28 सीटों पर उपचुनाव भी करवाए गए और BJP ने उनमें से 19 सीटें जीतकर मैजिक नंबर के पार पहुंचने का कारनामा कर दिखाया. फिलहाल शिवराज सिंह 18 साल की अपनी सरकार की एन्टी-इन्कम्बेन्सी की लहर के बावजूद अगला कार्यकाल हासिल करने की कोशिश में जुटे हैं, और पार्टी, यानी BJP ने अपने सारे दिग्गजों को मैदान में उतार दिया है. दूसरी तरफ, कांग्रेस भी एन्टी-इन्कम्बेन्सी की ही लहर पर सवार होकर सत्ता में वापसी का सपना संजोए बैठी है. कांग्रेस पार्टी का मानना है कि इस बार उसकी संभावनाएं पहले से बेहतर हैं. अब कामयाबी किसे मिलेगी, यह तो 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम ही तय करेंगे.