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' 5 सालों में फीस हुई डबल ...', NDTV की मुहिम 'स्कूल फीस की फांस', अभिभावक शेयर कर रहे अपनी परेशानी

NDTV अपनी खास मुहिम 'स्कूल फीस की फांस' के तहत देश के अभिभावकों की परेशानी साझा कर रहा है. अगर आपको भी लगता है कि स्कूल मनमाने ढंग से फीस बढ़ा रहे हैं, तो आप अपनी परेशानी NDTV के साथ इस 7303388311 व्हाट्सएप नंबर पर शेयर कर सकते हैं.

NDTV की खास मुहिम 'स्कूल फीस की फांस'

नई दिल्ली:

स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के माता-पिता लगातार हो रही फीस बढ़ोतरी से परेशान हैं. इस बीच लोकल सर्कल्स की एक रिपोर्ट सामने आई है. जिसमें चौंकाने वाली बात सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक 42 फीसदी पेरेंट्स ने माना है कि बीते तीन सालों में 50 से 80 फीसदी तक स्कूल फीस बढ़ाई गई है. अभिभावकों की इसी चिंता को लेकर NDTV ने एक खास मुहिम चलाई है- स्कूल फीस की फांस... इस खास मुहिम के तहत हम देश के उन तमाम अभिभावकों की परेशानी साझा करेंगे. जो कि स्कूलों द्वारा बढ़ाई जा रही फीस से परेशान हैं.

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अगर आप भी स्कूल के मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने से परेशान हैं, तो NDTV के साथ अपनी परेशानी साझा कर सकते हैं. 7303388311 व्हाट्सएप नंबर पर आप हमें अपनी परेशानी लिखकर भेजें.

अभिभावकों ने शेयर की अपनी परेशानियां-

 बुलंदशहर से राजू सक्सेना

बुलंदशहर के निवासी राजू सक्सेना ने अपनी परेशानी साझा करते हुए बताया, स्कूल फीस बहुत ही ज्यादा महंगी हो चुकी है. ऐसे में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार कैसे पढ़ाए अपने बच्चों को.

हैदराबाद से सौरभ कुमार सिंह

हैदराबाद से सौरभ कुमार सिंह कहते हैं, "नए सेशन में जो महंगी किताबें और ड्रेस स्कूल से लेनी अनिवार्य कर दी जाती है.

फरीदाबाद के राहुल अरोड़ा

फरीदाबाद के राहुल अरोड़ ने कहा, हर साल स्कूल फीस में 10% की वृद्धि कर देता है और हमें अपनी ही प्रकाशन संस्थाओं से किताबें खरीदने के लिए मजबूर करता है तथा यूनिफॉर्म भी स्कूल से ही खरीदना पड़ता है. हम अभिभावक स्कूल की तानाशाही से प्रताड़ित हैं. सीबीएसई को सख्त नियम लाने चाहिए. वहीं दिल्ली के एक अभिभावन ने कहा,  मेरे 2 बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं. पिछले वर्ष भी स्कूल में अनावश्यक रूप से काफी ज्यादा फीस बढ़ाई गई थी और इस बार भी फीस में काफी बढ़ोतरी कर दी गई है. जिसकी वजह से हमें बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

दिल्ली के शरद चंद्र

दिल्ली के निवासी शरद चंद्र ने बताया, दिल्ली में अपने बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाना बहुत ही मुश्किल है. इनकी मनमानी की वजह से पूरे वर्ष माता पिता टेंशन में रहते है. फीस के अलावा मनमानी रकम वसूली जाती है. हर साल डेवलेपमेंट चार्ज के नाम पर मोटी रकम चार्ज करते है. किताबें एवं कॉपी स्कूल से ही लेना अनिवार्य है. एक किताब की कीमत 500 तक होती है. एक्टिविटी के नाम पर हर महीने अलग से चार्ज करते है. एनुअल फंक्शन पर जो खर्च होता है उसका पैसा भी पेरेंट्स को ही देना होता है. सरकार को स्कूल की मनमानी पर कंट्रोल करना चाहिए.

कोटा से वसीम अकरम

कोटा से वसीम अकरम ने बढ़ती फीस पर अपना दुख जाहिर करते हुए कहा, "मेरे बच्चों के स्कूल में भी फीस बढ़ा दी गई है. वो भी बिना जानकारी के. गर्मी की छुट्टियों की फीस भी नहीं छोड़ते या किताब या वर्दी भी एक दुकान से खरीदनी होती है. वहीं एक अभिभावक ने लिखा, स्कूल के दिनों की संख्या घट रही है, लेकिन फीस बढ़ रही है. गर्मी की छुट्टियों के दौरान भी अभिभावकों पर रखरखाव और परिवहन शुल्क जैसे अतिरिक्त शुल्क लगाए जा रहे हैं.

दिल्ली के रूपेश

दिल्ली के निवासी रूपेश ने बताया कि मेरा बच्चा इस साल दूसरी कक्षा में पढ़ रहा है. पिछले साल पहली कक्षा में क्वार्टर के लिए लगभग 20 हजार फीस थी. जबकि इस साल बिना किसी सूचना के लगभग 23 हजार फीस बढ़ा दी गई है. इसमें अन्य वार्षिक फीस वृद्धि को छोड़कर 15% की वृद्धि दिखाई गई है. मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूं, जो हमें हर साल 10% की भी बढ़ोतरी नहीं देती है. लेकिन ये स्कूल हर साल फीस में बढ़ोतरी करते हैं. उन्होंने बिना किसी सूचना के बच्चों के सेक्शन को भी बदल दिया.

इंदौरा से भावना

इंदौर शहर की रहने वाली भावना ने अपनी परेशानी शेयर करते हुए कहा, अभिभावक बहुत परेशान हैं. तीसरी कक्षा की स्कूल की फीस 89 हजार है, उसके ऊपर किताब और ड्रेस मिलकर 1 लाख लग जाती है. हर साल 10% से 15% फीस बढ़ा देते है.

दिल्ली से उदय प्रकाश

दिल्ली के निवासी उदय प्रकाश ने बताया कि उनकी सारी कमाई बच्चों की पढ़ाई में ही खत्म हो जाती है. 

जयपुर से मोहम्मद शाकिर

जयपुर के रहने वाले मोहम्मद शाकिर ने अपनी परेशानी शेयर करते हुए कहा कि हर साल फीस बढ़ रही है या कोर्स भी चेंज कर दिया जाता है या यूनिफॉर्म चेंज कर दिया जाता है. ऊपर से बोलते हैं स्कूल से ही लेनी . हम अभिभावक कह ​​जायेंगे.

रोहित, विशाल की एक ही  समस्या- स्कूल से किताब खरीदने पर किया जाता है मजबूर

अमरावती के निवासी रोहित ने NDTV को मैसेज भेजकर बताया कि स्कूल उनसे ही किताब खरीदने का दबाव डालते हैं. मेरठ के निवासी विशाल ने भी कहा कि स्कूल नई किताब के लिए प्रताड़ित करते हैं.  स्कूलों से किताब खरीदनी मजबूरी बन गया है. एक अभिभावक ने कहा कि कुछ किताब कभी इस्तेमाल नहीं होते, स्टेशनरी का सामान भी खरीदना मजबूरी है.

प्राची, कमलेश,नरेश ने बताया कैसे फीस लेट होने पर लगती है पेनाल्टी

अहमदाबाद की प्राची, नागपुर की कमलेश, बोकारो के नरेश और गोरखपुर के निवासी प्रशांत ने बताया कि कैसे  फीस लेट पर पेनाल्ट लगाई जाती है. फीस पर कानून बनाना चाहिए. फीस के नाम पर मनमानी होती है.

रंजन,चंदन, दुर्गेश सिंह की समस्या- प्राइवेट स्कूल लेते हैं फालतू चार्ज

पुणे के निवासी रंजन के अनुसार पुणे में स्कूलों पर कोई कंट्रोल नहीं है. बरेली के चंदन के मुताबिक गरीब अपने बच्चों को नहीं पढ़ा पा रहे, क्योंकि फीस इतनी अधिक है. दिल्ली की मंजू ने बताया कि  प्राइवेट स्कूल में कोई न कोई फालतू चार्ज लेते हैं. वहीं अहमदाबाद की सुमित ने कहा कि बढ़ती फीस पर कोई कंट्रोल नहीं है.

राजेश, विशाल, अशोक की समस्या- स्कूल लूट रहे है

लखनऊ के मीत के अनुसार स्कूल में फीस, किताब के नाम पर लूट हो रही है. मुजफ्फरपुर के मोहन ने कहा कि फीस बढ़ रही है, किताबें भी महंगी. राजेश जो कि गाजियाबाद के निवासी हैं उन्होंने मैसेज भेजकर कहा , किताबों के नाम पर स्कूलों में लूट हो रही है. नोए़डा के अभिषेक ने भी कहा कि फीस, किताबों के नाम पर लूट हो रही है. जबकि जयपुर के निवासी अशोक ने कहा कि  स्कूल फीस बढ़ोतरी बहुत गंभीर समस्या है.

आजमगढ़ के अमिताभ सिंह ने बताया कि कैसे गांव वाले हैं बढ़ती फीसे परेशान

आजमगढ़ के निवासी अमिताभ सिंह ने कहा कि हर वर्ष री-एडमिशन और बढ़ी फीस से ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत परेशानी. स्कूल संचालक की मनमानी हो रही है. वहीं दिल्ली के करोल बाग के एक निवासी ने मैसेज कर बताया कि उनके बेटे की फीस में 55% की बढ़ोतरी की गई है, जो कि 3800 से 6500 कर दी है,. जबकि प्रवेश शुल्क 12000 से 25000 कर दिया है. निजी स्कूल माफिया हैं. उत्तर प्रदेश के एक अभिभावक ने मैसेज भेजकर कहा कि कक्षा 5वीं के हिसाब से फीस बहुत ज्यादा है. वो प्रति माह 5000 रुपये दे रही हैं.

इंदौर के हेमलता ठाकुर

मैंने पिछले 5 सालों में हमारे बच्चों की स्कूल की फीस डबल होते देखी है. लगभग यह वृद्धि इतनी ज्यादा है कि हमारी सैलरी से कहीं ज्यादा आगे निकल जाती है. सैलरी का एक बड़ा हिस्सा इन स्कूल वालों की फीस भरने में चला जाता है.

दिल्ली के रविशंकर

दिल्ली के निवासी रविशंकर ने कहा, मेरे यहां उत्तम नगर में एक मॉडल स्कूल है. इस स्कूल ने 2025 तक फीस 49% बढ़ा दी है. मैंने इसके खिलाफ उच्च अधिकारी से भी शिकायत करनी चाहिए लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया.

असम के किशोर

असम के किशोर ने कहा, शहरों में ही नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी फीस और अतिरिक्त पाठ्यक्रम के नाम पर अभिभावकों को लूटा जा रहा है. एक अन्य अभिभावक ने कहा, स्कूल की फीस में 20% की बढ़ोतरी हुई है. मेरे दो बच्चे स्कूल जाते हैं और मेरे पति ही कमाने वाले एकमात्र सदस्य हैं और घर पर एक बुज़ुर्ग व्यक्ति है. गुज़ारा करना बहुत मुश्किल हो गया है. रांची की एक महिला ने कहा कि हम भी अपने 2 बच्चों की उच्च निजी स्कूल फीस की समस्या से परेशान हैं.

गाजियाबाद की शांतनु कुमार

गाजियाबाद की निवासी शांतनु कुमार के अनुसार जिस स्कूल में उनके परिवार के बच्चे पढ़ रहे हैं. उस स्कूल की फीस अचानक से बढ़ा दी गई और बस किराया भी. सालाना आधार पर 15-20% फीस बढ़ा रहे हैं.

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