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This Article is From Feb 03, 2016

NDTV इंडियन ऑफ द ईयर : स्टार्ट-अप कंपनियां, जिन्होंने सपनों को दी एक नई ऊंचाई...

NDTV इंडियन ऑफ द ईयर : स्टार्ट-अप कंपनियां, जिन्होंने सपनों को दी एक नई ऊंचाई...
नई दिल्ली: NDTV इंडियन ऑफ द ईयर 2015 चुने जाने के मौके पर देश की छह स्टार्ट-अप कंपनियों के संस्थापकों ने अपने संघर्ष और कामयाबी की कहानी दुनिया के साथ बांटी, और बताया कि वे आगे के लिए भी क्या-क्या सपने देख रहे हैं।

फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, पेटीएम, क्विकर, ज़ोमैटो और इनमोबी (Flipkart, Snapdeal, Paytm, Quickr, Zomato and Inmobi) को शाम के सबसे बड़े सम्मान से नवाज़े जाने से पहले NDTV के डॉ प्रणय रॉय ने कहा भी था, "यह प्रेरक कहानियों की शाम है..." और फिर इन छह युवा उद्यमियों ने बताई अपनी कहानियां, जिनमें उनके आइडिया को 'मुंगेरी लाल का सपना' बताकर हंसी में उड़ा दिए जाने का भी ज़िक्र था, और इसके बावजूद उनकी लगातार अनथक मेहनत से कंपनी के 'यूनिकॉर्न' का दर्जा पाने का भी। 'यूनिकॉर्न' उन स्टार्ट-अप कंपनियों को कहा जाता है, जिनका मूल्यांकन एक अरब डॉलर से ज़्यादा हो जाता है।

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कार्यक्रम की प्रमुख झलकियां
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प्रणय चुलेट ने बताया कि कैसे एक फिल्म बनाने की शुरुआती कोशिश करने के दौरान उनके दिमाग में क्विकर का आइडिया आया, और दिलचस्प बात यह है कि उस वक्त वह फिल्म निर्माण के विषय में भी कुछ खास नहीं जानते थे।

'बॉलीवुड के शहंशाह' अमिताभ बच्चन के प्रशंसक प्रणय चुलेट ने बताया कि वह राजस्थान से अमेरिका के न्यूयार्क शहर पहुंचे थे, और उस समय उनका इरादा एक हिन्दी फिल्म बनाने का था। उन्होंने बताया, "ज़िन्दगी भी मज़ेदार खेल दिखाती है... मैंने एक अमेरिकी वेबसाइट से 50 अभिनेताओं को भर्ती किया..." लेकिन जब वह फिल्म के कुछ हिस्सों की शूटिंग के लिए हिन्दुस्तान आए, तो उन्हें ऐसी कोई वेबसाइट नहीं मिली।

बस, इस वजह से क्लासिफाइड एडवरटाइज़िंग प्लेटफॉर्म क्विकर की स्थापना की गई, जिसमें आज 1,000 से ज़्यादा भारतीय शहरों की सेलफोन, कारें, ज़मीन-जायदाद और नौकरियों से जुड़ी एंट्री मिलती हैं।

स्नैपडील के संस्थापक कुणाल बहल ने कहा कि हर कोई स्टार्ट-अप आइडिया पर अरबों खर्च कर रहा था, उनके दिमाग किसी ऐसे व्यक्ति को तलाश कर रहा था, जो पूंजी लगाए या न लगाए, सही सलाह दे सके और आइडिया पर भरोसा करे। ऐसे में कुणाल के दिमाग में रतन टाटा का नाम आया।

कुणाल ने बताया, "मैं उनके पास गया, और हमने बिज़नेस के बारे में कुछ बातचीत की... लेकिन मेरा असली मकसद था कि मैं अपने माता-पिता और पत्नी के सामने साबित कर सकूं कि मैं उनसे मिलकर आया... सो, आखिरकार मैंने एक सेल्फी की फरमाइश की..." बाद में रतन टाटा ने स्नैपडील के लिए शुरुआती पूंजी दी।

देश की सबसे ज़्यादा मूल्यांकन वाली स्टार्ट-अप कंपनी फ्लिपकार्ट के सचिन बंसल ने पिछले सात सालों में ई-कॉमर्स कंपनियों के सफर पर रोशनी डाली। 33,000 से ज़्यादा लोगों को रोज़गार प्रदान करने वाली फ्लिपकार्ट के संस्थापक ने बताया, "जब मैंने और मेरी पत्नी ने शुरुआत की थी, बहुत-सी ई-कॉमर्स कंपनियां मौजूद थीं, लेकिन जब हमने गहराई से पड़ताल की, तो पाया कि उन पर कोई भी करीदारी का इच्छुक नहीं है... बस, हम उन्हीं दिक्कतों को सुलझाते आ रहे हैं, चाहे वे लॉजिस्टिक्स से जुड़ी हों या प्रतिभा से या ग्राहकों तक पहुंच बनाने से... और तब से अब तक हमने काफी लंबा सफर तय कर लिया है..."

रेस्तरां सर्च तथा डिस्कवरी प्लेटफॉर्म के रूप में काफी लोकप्रिय ज़ोमैटो के जनक दीपिन्दर गोयल उदास लहज़े में बताया कि वह आमतौर पर खाना खाने ज़्यादा बाहर नहीं जाते। उन्होंने कहा, "क्योंकि अगर मैं बीमार पड़ गया, तो ऑफिस नहीं जा पाऊंगा, और ऐसा होना मैं अफोर्ड नहीं कर सकता..."

ऑनलाइन पेमेंट और मोबाइल वॉलेट कंपनी पेटीएम (Paytm) के विजय शेखर शर्मा ने अपनी कहानी के दौरान बताया, "मैं ऐसे परिवार में पैदा नहीं हुआ था, जो कोई बड़ी कंपनी शुरू कर सके... मुझे कंपनी का 40 फीसदी हिस्सा बेचना पड़ा था... इसी वजह से मुझे महसूस हुआ कि मुझे ऐसा कुछ ढूंढना चाहिए, जो भारतीयों के वित्तीय सेवाओं के इस्तेमाल करने के तरीके को बदल डाले..." और फिर पेटीएम का जन्म हुआ।

आईआईटी ग्रेजुएट अभय सिंघल ने गद्दों से भरे एक कमरे में मोबाइल एडवरटाइज़िंग कंपनी इनमोबी की शुरुआत की थी, लेकिन वह 24 दफ्तरों के मालिक हैं। अभय के मुताबिक, सब बड़े सपने देखने का परिणाम है। अभय का कहना है, "अगर कुछ इतना बड़ा है कि आप उसके बारे में बात करने से भी डरते हो, तो वह सचमुच बड़ा है..."

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