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NDTV Explainer: बेंगलुरु भगदड़ हादसे में पुलिस बन रही बलि का बकरा! क्या राज्य सरकार जिम्मेदार नहीं?

इस मामले में पुलिस विभाग की ओर से अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है. लेकिन इससे ये सवाल ज़रूर उठ रहा है कि क्या राज्य सरकार अपनी ज़िम्मेदारी का ठीकरा पुलिस के सिर फोड़ रही है.

बीजेपी के नेताओं का आरोप है कि राज्य सरकार अपनी नाकामी का ठीकरा पुलिस के सिर फोड़ रही है.

बेंगलुरु:

बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में मची भगदड़ की तस्वीरें बता रही हैं कि किसी जश्न और मातम के बीच कितना बारीक अंतर हो सकता है. इस हादसे ने आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु यानी आरसीबी की जीत के बाद उसके प्रशंसकों की खुशी को मातम में बदल दिया. स्टेडियम के बाहर कम से कम तीन गेट्स पर मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और 62 घायल हो गए. सवाल उठ रहे हैं कि 35 हज़ार की क्षमता वाले स्टेडियम के लिए दो से तीन लाख लोग कैसे पहुंच गए. इस हादसे का ज़िम्मेदार कौन है. राज्य की सिद्धारमैया सरकार आनन फानन में बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर बी दयानंद समेत नौ आला अधिकारों के तबादले कर चुकी है. आज भी एडीजीपी- इंटेलिजेंस के पद से हेमंत निंबालकर का तबादला हो गया, उनकी जगह रवि एस को एडीजीपी इंटेलिजेंस बनाया गया.

पुलिस अधिकारियों के तबादलों पर उठ रहे सवाल

पुलिस अधिकारियों के इस तरह तबादलों पर विपक्ष से लेकर आम जनता तक में सवाल उठ रहे हैं. यहां तक कि पुलिस महकमे के अंदर भी नाखुशी दिख रही है. कहा जा रहा है कि सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए पुलिस को बलि का बकरा बना रही है. पुलिस कमिश्नर बी दयानंद के निलंबन से नाराज़गी जताने के लिए बेंगलुरु पुलिस का एक हेड कांस्टेबल आज पूरी पुलिस वर्दी पहनकर सड़क पर उतर गया. मादीवाला थाने में तैनात हेड कांस्टेबल नरसिंहराजू ने हाथ में डॉ बीआर अंबेडकर की एक तस्वीर ली और अकेले ही विधान सौध से राजभवन की ओर चल पड़े. हालांकि किसी तरह की नारेबाज़ी या बयानबाज़ी उन्होंने नहीं की. नाराज़गी जताने के लिए उन्होंने अपनी बांह पर काली पट्टी लगाई हुई थी.

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एक पुलिसकर्मी के इस अनोखे विरोध से पूरे पुलिस महकमा हरक़त में आ गया. बेंगलुरु पुलिस में ऐसा कभी देखा नहीं गया. इसे हुक्मउदूली माना जा सकता है, अनुशासनहीनता माना जा सकता है, इसके बावजूद हेड कांस्टेबल पीछे नहीं हटे. पुलिस महकमे में कुछ लोग इस विरोध को राजनीति से प्रेरित भी मान रहे हैं. नरसिंह राजू जब राजभवन के क़रीब पहुंचे तो विधान सौध की पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.

इस मामले में पुलिस विभाग की ओर से अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है. लेकिन इससे ये सवाल ज़रूर उठ रहा है कि क्या राज्य सरकार अपनी ज़िम्मेदारी का ठीकरा पुलिस के सिर फोड़ रही है. ये सवाल बड़ा है क्या भगदड़ के लिए मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए. जिन्होंने स्टेडियम में जीत के जश्न के कार्यक्रम को रोकने के लिए कुछ नहीं किया बल्कि उससे पहले जो कुछ भी वो कर रहे थे उससे प्रशंसकों की बेताबी और बढ़ रह थी.

आरोप लग रहा है कि राज्य सरकार ही इस कार्यक्रम को कराने के लिए काफ़ी उत्सुक थी. एक ओर आरसीबी की टीम के स्वागत के लिए कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार एयरपोर्ट पहुंच गए थे. वो भी ऐसे समय जब सोशल मीडिया पर लगातार स्टेडियम में जश्न की बात ज़ोर शोर से चल रही थी. और उसके कुछ देर बाद विधान सौध में आरसीबी की टीम को सम्मानित करने का काम ख़ुद मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने किया, इस दौरान तमाम कैबिनेट मंत्री और आला अफ़सर वहां मौजूद थे.

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क्या मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री को ये समझ नहीं आ रहा था कि कुछ ही घंटे के अंदर स्टेडियम में कार्यक्रम कराने से भगदड़ मच सकती है. कई सवाल उठ रहे हैं. पुलिस के अधिकारियों द्वारा कहा गया है कि उन्होंने कार्यक्रम को स्थगित करने की सलाह दी थी. क्या सरकार ने पुलिस की इस सलाह को नज़रअंदाज़ किया.

सरकार को घेरने में लगा विपक्ष

राज्य में विपक्षी बीजेपी के नेताओं का आरोप है कि राज्य सरकार अपनी नाकामी का ठीकरा पुलिस के सिर फोड़ रही है. राज्य में विपक्षी बीजेपी ने राज्य सरकार को इस हादसे के लिए ज़िम्मेदार बताते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के इस्तीफ़े की मांग की है. इस सिलसिले में कर्नाटक के हुबली और मांड्या में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया. लेकिन आवाज़ सिर्फ़ विपक्ष में ही नहीं उठ रही. ख़ुद कर्नाटक के मंत्री भी सवाल उठा रहे हैं.  कर्नाटक के मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने ख़ुद अपने ही राज्य के ख़ुफ़िया विभाग पर सवाल उठाया है जो मुख्यमंत्री के तहत आता है.

गोविंदराज से छीना गया पद

इस बीच एक और कार्रवाई में मुख्यमंत्री सिद्दरमैया के ख़ासमख़ास माने जाने वाले उनके राजनीतिक सचिव गोविंदराज का तबादला कर दिया गया. सूत्रों के मुताबिक गोविंदराज खेल प्रशासन में काफ़ी दखल रखते हैं और उन्होंने ही कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन और आरसीबी के अधिकारियों को 4 जून की सुबह स्टेडियम में जश्न से कुछ घंटे पहले मुख्यमंत्री से मिलाया.

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इस मामले में गिरफ़्तार चार लोगों को आज 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. इनमें आरसीबी के मार्केटिंग हेड निखिल सोसले भी शामिल हैं. और बाकी तीन डीएनए नेटवर्क्स से जुड़े हैं. डीएनए एक एंंटरटेनमेंट एजेंसी है जो चिन्नास्वामी स्टेडियम का कार्यक्रम आयोजित करवा रही थी.  इस मामले में पुलिस द्वारा दायर एफ़आईआर में कहा गया है कि इजाज़त न दिए जाने के बावजूद केएससीए, डीएनए नेटवर्क्स और आरसीबी ने कार्यक्रम किया.

पुलिस द्वारा चेतावनी दिए जाने के बावजूद वो सही सुविधाएं देने और भीड़ के प्रबंधन में नाकाम रहे. आरसीबी के सोशल मीडिया एकाउंट ने बार-बार स्टेडियम के गेट्स पर फ्री पास देने की जानकारी पोस्ट की जिससे और भी ज़्यादा प्रशंसक जुट गए. पुलिस ने अधिकतम संभव संसाधन तैनात किए जिसकी वजह से ये हादसा और ज़्यादा बड़ा नहीं हो पाया. इस कारण आरसीबी फ्रैंचाइज़, डीएनए नेटवर्क्स, केएससीए मैनेजमेंट कमेटी और अन्य अनामित पक्ष के ख़िलाफ़ केस दायर कराया गया है.

केएससीए के दो कर्मचारियों से पूछताछ

इस सिलसिले में आज केएससीए के दो कर्मचारियों से भी पूछताछ हुई. ये दोनों केएससीए द्वारा टिकटिंग के इंचार्ज थे. उधर कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से भी कर्नाटक हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसकी कॉपी एनडीटीवी को मिली है. याचिका में सीधे सीधे सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया गया है.

इसमें प्वॉइंट नंबर 28 पर कहा गया है कि जीत का जश्न मनाने का फ़ैसला दरअसल सरकार का था क्योंकि उसने खिलाड़ियों को विधान सौध में मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और कई कैबिनेट मंत्रियों की मौजूदगी में सम्मानित किया था. इस दौरान सचिवालय और पुलिस के बड़े अधिकारी भी मौजूद थे.

  1.  प्वॉइंट नंबर 29 में कहा गया कि भीड़ के अचानक बढ़ जाने के कारण ये घटना एक हादसा था. और याचिकाकर्ताओं यानी कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन का इसके पीछे कोई हाथ या मंशा नहीं रही. क्योंकि गेट और भीड़ का प्रबंधन केएससीए की ज़िम्मेदारी नहीं है.बल्कि आरसीबी, आयोजकों और पुलिस की है.
  2. प्वॉइंट नंबर 30 में कहा गया है कि केएससीए प्रबंधन कमेटी चिन्नास्वामी स्टेडियम को किराए पर देती है और कर्नाटक में क्रिकेट का प्रबंधन करती है. भीड़ या प्रशंसकों को डील नहीं करती.
  3. प्वॉइंट नंबर 31 में कहा गया है कि ये आरोप दूर से भी केएससीए से नहीं जुड़ते. 
  4. प्वॉइंट नबर 32 में कहा गया है कि पुलिस अधिकारियों का निलंबन सीधे सीधे पुलिस विभाग को दोषी ठहरा रहा है और पुलिस इस मामले में याचिकाकर्ताओं को परेशान नहीं कर सकती. क्योंकि इसमें उनकी कोई ग़लती नहीं है. 

उठ रहे हैं कई सवाल

हाइकोर्ट ने कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन पर कार्रवाई पर रोक लगा दी है. उधर राज्य सरकार ने इस हादसे में अभी तक अपनी कोई ज़िम्मेदारी नहीं मानी है. उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि न्यायिक जांच का आदेश दे दिया गया है, सरकार इससे ज़्यादा क्या कर सकती है. किसी भी राज्य में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित होना कोई नई बात नहीं है. बेंगलुुरु में भी अक्सर कई बड़े कार्यक्रम आयोजित होते हैं जिनमें भारी भीड़ जमा होती है. इसके लिए प्लान ऑफ़ एक्शन पहले से मौजूद हैं. सवाल ये है कि क्या राज्य सरकार के दबाव में पुलिस ने काफ़ी कम समय में ये कार्यक्रम होने दिया. जबकि वो इसे रविवार को कराने की बात कर रही थी.

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इस बीच चिन्नास्वामी भगदड़ केस में शुक्रवार दो और एफ़आईआर दायर की गईं. दो एफ़आईआर में ही रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू, कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन और डीएनए नेटवर्क्स को आरोपी बनाया गया है. ये दोनों ही एफ़आईआर उन दो लोगों द्वारा दायर की गई हैं जो चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुए जश्न में शामिल होने आए थे और भगदड़ में घायल हो गए. दोनों में ही आरोप लगाया गया है कि भ्रामक सूचना फैलाई गई, आरसीबी की सोशल मीडिया पोस्ट में फ्री पास की बात को पढ़कर भीड़ बढ़ गई जिसे आयोजक संभाल नहीं सके और भगदड़ मच गई. भारी भीड़ से निपटने का कोई इंतज़ाम नहीं था. एफ़आईआर दर्ज कराने वालों में एक पीड़ित रोलन गोम्स हैं. भगदड़ के कारण उनके कंधे का ज्वाइंट उखड़ गया था. दूसरी एफ़आईआर सी वेणु नाम के एक व्यक्ति ने कराई है और उसके पैरों में चोट आई है.

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