- पश्चिम बंगाल में बरसों से रह रहे अवैध बांग्लादेशियों में इन दिनों अपने वतन लौटने की होड़ मची है
- बंगाल में आगामी चुनाव से पहले शुरु हुए वोटर लिस्ट रिवीजन (SIR) के खौफ से लोग अपने देश लौट रहे हैं
- सूटकेस, बैग और बोरियों में सामान समेटकर सैकड़ों लोग बॉर्डर पार करने के इंतजार में बैठे हैं
बांग्लादेश से सटी पश्चिम बंगाल की सीमा पर इन दिनों भीड़ लगी है. बंगाल में बरसों से रह रहे अवैध बांग्लादेशियों में अपने देश लौटने की होड़ मची है. वजह है- SIR. पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले मतदाता सूची के गहन रिवीजन (SIR) का काम शुरू हो चुका है. इसी का असर है कि अवैध बांग्लादेशियों में भगदड़ मच गई है. सूटकेस, बैग और बोरियों में सामान समेटकर सैकड़ों लोग बॉर्डर पार करने के इंतजार में बैठे हैं.
न आधार, न कागज फिर भी दशकों से रह रहे थे
भारत-बांग्लादेश सीमा पर उत्तरी 24 परगना के स्वरूप नगर में चेकपोस्ट के पास अवैध बांग्लादेशियों की भीड़ लगी है. राजधानी कोलकाता से करीब 80 किलोमीटर दूर इस इलाके में जाकर NDTV ने खुद हालात का जायजा लिया. इनमें से कई लोग 5 साल तो कई 10 साल से भारत में रह रहे थे. कई तो ऐसे भी हैं, जिनका बचपन ही भारत में बीता है. इनके पास न आधार कार्ड है और न ही वैलिड भारतीय दस्तावेज, फिर भी ये अवैध बांग्लादेशी बेखौफ होकर अब तक हिंदुस्तान में रह रहे थे.

बांग्लादेश बॉर्डर पर स्वरूप नगर चेकपोस्ट के पास अवैध बांग्लादेशियों की भीड़ लगी है.
20 साल पहले परिवार के साथ आया, यहीं बस गया
स्वरूप नगर के हाकिमपुर में चेकपोस्ट के पास बने अस्थायी शेल्टर होम में भीड़ के बीच इस तरह की तमाम कहानियां हैं. जगह-जगह से आए लोग किसी भी तरह चेकपोस्ट पार करके बांग्लादेश में अपने घर पहुंचने की फिराक में हैं. इन्हीं में से एक है मेहंदी हसन जो करीब 20 साल पहले माता-पिता के साथ भारत आया था. उस वक्त वह बच्चा था और परिवार के साथ हुगली में रहता था. मेहंदी हसन ने बताया कि उसका परिवार आंखों के इलाज के लिए भारत आया था, फिर यहीं बस गया. इतने साल तक किसी ने भी हमारे कागजात चेक नहीं किए. अब SIR शुरू होने पर हम वापस बांग्लादेश जा रहे हैं. उसका कहना था कि हम भारत से प्यार करते हैं. लेकिन अब हम वापस अपने परिवार के पास जा रहे हैं.
बांग्लादेश में पैदाइश, 10 साल पहले आ गई भारत
60 वर्षीय एक महिला ने बताया कि वह 10 साल पहले बंगाल आई थी. उसकी शादी एक बांग्लादेशी से हुई है. उसने बताया कि लॉकडाउन के दौरान हमें लगा था कि अब भारत में रहना मुश्किल होगा, लेकिन तब कुछ नहीं हुआ था. इस बीच उसके पति का देहांत हो गया. अब महिला अपनी बुजुर्ग मां के साथ हाकिमपुर बॉर्डर पर बांग्लादेश जाने के इंतजार में बैठी है. उसकी मां के हाथ में एक कागज है, जो बताता है कि उसकी पैदाइश बांग्लादेश की है.

सूटकेस, बैग और बोरियों में सामान समेटकर सैकड़ों लोग बॉर्डर पार करने के इंतजार में बैठे हैं.
बांग्लादेश जाने वालों की भीड़ बॉर्डर पर जुटी
NDTV ने खुद देखा कि हाकिमपुर में किस तरह सैकड़ों लोग बॉर्डर पार करके बांग्लादेश जाने की कोशिश कर रहे हैं. बशीरहाट डिवीजन की हाकिमपुर चेकपोस्ट पर पिछले कुछ दिनों से बांग्लादेश जाने वालों की भीड़ जुट रही है. 18 साल का अलीम खान परिवार के साथ भारत आया था और आसनसोल में रह रहा था. अब वह वापस जाना चाहता है.
SIR के खौफ से वापस लौट रहे बांग्लादेशी
अलीम खान ने NDTV को बताया कि उसका घर बांग्लादेश के मुल्लापाड़ा में है. वह पैसा कमाने के लिए भारत आया था ताकि बांग्लादेश में अपना एक घर बनवा सके. उसने बताया कि उसके पास भारत का कोई भी डॉक्युमेंट नहीं है, सारे दस्तावेज बांग्लादेश के हैं. हमें पता चला है कि अब हमें भारत में नहीं रहने दिया जाएगा, इसलिए हम वापस जा रहे हैं.
अवैध बांग्लादेशियों को लेकर राजनीति भी गर्माई हुई है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष समीक भट्टाचार्य कहते हैं कि ये लोग 12-15 साल से भारत में रह रहे थे क्योंकि सरकार ने इन्हें संरक्षण दे रखा था. इन लोगों के पास आधार कार्ड और पैन कार्ड भी मिल जाएंगे. ये सब इन्हें टीएमसी ने दिलवाएं हैं.
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