प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
स्मार्ट सिटीज के बाद अब एनडीए सरकार की नई मुहिम स्मार्ट विलेज बनाने की है। इस योजना के तहत देश के ग्रामीण इलाकों में शहरों जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कैबिनेट ने बुधवार को श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूरल-अर्बन मिशन को मंज़ूरी दे दी।
इस फैसले पर एनडीटीवी से बातचीत में ग्रामीण विकास मंत्री वीरेन्द्र सिंह ने कहा, 'इस मिशन के तहत 300 ग्रामीण क्लसटर्स विकसित किये जाएंगे। इस पर 5142 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस योजना के तहत गांवों के चयन की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी। इस योजना को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा।'
इस मिशन के ज़रिये एनडीए सरकार ग्रामीण इलाकों में शहरों जैसी बुनियादी सुविधाएं जैसे पाइपलाइनों के ज़रिये पीने के पानी की सप्लाई, 24 घंटे बिजली, स्ट्रीट लाइट्स और सड़कों के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े बुनियादी ढांचे तैयार किए जाएंगे। तैयारी चुने हुए गांवों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट, कौशल का विकास और आईटी की व्यवस्था मज़बूत करने पर विशेष ज़ोर होगा।
लेकिन सरकार के ऐलान के कुछ ही घंटे बाद इस पर राजनीति शुरू हो गयी। कांग्रेस ने दावा किया कि एनडीए सरकार का ये मिशन यूपीए की PURA यानी Provision of Urban Amenities in Rural Areas नाम की पुनर्गठित योजना की कॉपी है और इसमें कुछ भी नया नहीं है। कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघ्वी ने कहा, 'ये हमारे मूल प्रोग्राम की कॉपी है। या तो शब्द बदले गये हैं, या टाइटिल बदला गया है या स्वरूप बदला गया है लेकिन कंटेन्ट सौ फीसदी वही है।'
हालांकि बीजेपी का दावा है कि ये आइडिया पूर्व राष्ट्रपति कलाम का था। वैसे नई योजनाओं को लेकर खींचतान कोई नई बात नहीं है, पर सवाल है कि देश के विकास और आमलोगों के फायदे के लिए उठाए कदमों पर भी क्या राजनीति होनी चाहिए?
इस फैसले पर एनडीटीवी से बातचीत में ग्रामीण विकास मंत्री वीरेन्द्र सिंह ने कहा, 'इस मिशन के तहत 300 ग्रामीण क्लसटर्स विकसित किये जाएंगे। इस पर 5142 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस योजना के तहत गांवों के चयन की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी। इस योजना को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा।'
इस मिशन के ज़रिये एनडीए सरकार ग्रामीण इलाकों में शहरों जैसी बुनियादी सुविधाएं जैसे पाइपलाइनों के ज़रिये पीने के पानी की सप्लाई, 24 घंटे बिजली, स्ट्रीट लाइट्स और सड़कों के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े बुनियादी ढांचे तैयार किए जाएंगे। तैयारी चुने हुए गांवों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट, कौशल का विकास और आईटी की व्यवस्था मज़बूत करने पर विशेष ज़ोर होगा।
लेकिन सरकार के ऐलान के कुछ ही घंटे बाद इस पर राजनीति शुरू हो गयी। कांग्रेस ने दावा किया कि एनडीए सरकार का ये मिशन यूपीए की PURA यानी Provision of Urban Amenities in Rural Areas नाम की पुनर्गठित योजना की कॉपी है और इसमें कुछ भी नया नहीं है। कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघ्वी ने कहा, 'ये हमारे मूल प्रोग्राम की कॉपी है। या तो शब्द बदले गये हैं, या टाइटिल बदला गया है या स्वरूप बदला गया है लेकिन कंटेन्ट सौ फीसदी वही है।'
हालांकि बीजेपी का दावा है कि ये आइडिया पूर्व राष्ट्रपति कलाम का था। वैसे नई योजनाओं को लेकर खींचतान कोई नई बात नहीं है, पर सवाल है कि देश के विकास और आमलोगों के फायदे के लिए उठाए कदमों पर भी क्या राजनीति होनी चाहिए?
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं