- नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी छह दिवसीय अमेरिकी दौरे पर 12 से 17 नवंबर तक रहेंगे.
- दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत-अमेरिका के बीच समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना है.
- नौसेना प्रमुख अमेरिकी रक्षा विभाग के अधिकारियों और इंडो-पैसिफिक कमान के शीर्ष नौसैनिकों से मुलाकात करेंगे
भारत और अमेरिका के बीच समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी छह दिवसीय अमेरिका दौरे पर रवाना हो गए हैं. उनकी यह यात्रा 12 से 17 नवंबर तक होगी. नौसेना के मुताबिक इस दौरे का उद्देश्य दोनों देशों की दीर्घकालिक नौसैनिक साझेदारी को और गहरा बनाना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा हितों की रक्षा के लिए सहयोग को सुदृढ़ करना है.
अपने दौरे के दौरान नौसेना प्रमुख अमेरिकी रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च-स्तरीय बैठकों में भाग लेंगे. वे अमेरिकी इंडो-पैसिफिक कमान (INDOPACOM) के कमांडर एडमिरल सैमुअल जे पापारो और यूएस पैसिफिक फ्लीट के कमांडर एडमिरल स्टीफन टी कोहलर सहित कई शीर्ष नौसैनिक अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे.
प्रमुख संस्थाओं, ऑपेरशनल कमानों का भी करेंगे दौरा
इन बैठकों में समुद्री सहयोग की समीक्षा, नौसैनिक अभियानों के स्तर पर समन्वय बढ़ाने के साथ ही समुद्री क्षेत्र में सूचना साझा करने और मेरिटाइम डोमेन अवेयरनेस (Maritime Domain Awareness) को और मजबूत करने पर चर्चा होगी.
अमेरिकी दौरे के दौरान एडमिरल त्रिपाठी अमेरिकी नौसेना की प्रमुख संस्थाओं और ऑपेरशनल कमानों का भी दौरा करेंगे. इस अवसर पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा प्राथमिकताओं, ‘मिलन' जैसे बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यासों में सहयोग बढ़ाने तथा क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने पर विशेष रूप से विचार-विमर्श किया जाएगा.
युद्धाभ्यास मालाबार-2025 के वक्त हो रहा है दौरा
नौसेना प्रमुख का यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका के गुआम में चार क्वॉड देशों—भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया—की नौसेनाएं संयुक्त युद्धाभ्यास मालाबार-2025 में भाग ले रही हैं. 10 नवंबर से प्रारंभ हुआ यह अभ्यास 18 नवंबर तक चलेगा. इसे हाल ही में स्थापित भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग फ्रेमवर्क के तहत दोनों देशों के बीच पहला बड़ा सैन्य अभ्यास माना जा रहा है.
वैसे क्वॉड देशों ने पहले ही स्पष्ट किया है कि मालाबार अभ्यास किसी देश के खिलाफ नहीं है, लेकिन फिर भी चीन इसे अपने विरुद्ध सैन्य तैयारी के रूप में देखता रहा है. भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया पहले से ही दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की आक्रामक गतिविधियों को लेकर चिंतित हैं.
ऐसे में मालाबार अभ्यास और नौसेना प्रमुख की यह यात्रा न केवल भारत-अमेरिका समुद्री सहयोग का प्रतीक हैं, बल्कि एक स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति क्वॉड देशों की साझा प्रतिबद्धता को भी दर्शाता हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं