नवजोत सिंह सिद्धू...
नई दिल्ली:
बीजेपी से अलग हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने नई पार्टी का ऐलान करते हुए कहा कि आवाज-ए-पंजाब का मकसद बेहाल पंजाब को खुशहाल करना है. यह एक इंकलाबी आवाज है. यह पार्टी सिखाती है, जुल्म करना पाप है, लेकिन उसे सहना उससे भी बड़ा पाप है. लोग सरकार में बदलाव चाहते हैं, ऐसा नेता चाहते हैं जो कमजोरी को ताकत में तब्दील कर दें. पंजाब को बदलने की चाहत रखने वाले नेता एक साथ आएं.
नवजोत सिंह सिद्धू की प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुख्य अंश...
दरअसल, इस नई पार्टी में नवजोत सिंह के साथ पूर्व अकाली दल विधायक परगट सिंह और लुधियाना से निर्दलीय विधायक सिमरजीत सिंह बैंस भी शामिल हैं. वैसे इस पार्टी से जुड़े लोगों की नज़र आम आदमी पार्टी से निकाले गए सुच्चा सिंह छोटेपुर पर भी है. छोटेपुर आप के राज्य संयोजक थे और उनको साथ जोड़ने से इस नई पार्टी को अपने संगठन को मज़बूत करने में काफी सहायता मिल सकती है.
गौरतलब है कि बीजेपी से नवजोत सिंह सिद्धू ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. सिद्धू इससे पहले अमृतसर लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं. पिछले कुछ समय से नवजोत के बीजेपी के साथ रिश्तों में खटास आ गई थी. दरअसल प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के खिलाफ सिद्धू बेहद मुखर थे और इस सरकार में सहयोगी अपनी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे थे. 2014 के आम चुनाव में जब अमृतसर सीट से सिद्धू की जगह अरुण जेटली को टिकट दिया गया तो इन रिश्तों की खटास बढ़ी. ऐसे में स्वाभाविक है कि जेटली के चुनाव हारने पर आरोपों के कुछ 'छीटें' सिद्धू पर भी आए.
नवजोत सिंह सिद्धू की प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुख्य अंश...
- हमारी नजर लक्ष्य पर नहीं, बल्कि उसके रास्ते पर है
- अभी दो ही विकल्प : गडबड़ वाला या ज्यादा गड़बड़ वाला
- आवाज-ए-पंजाब एक इंकलाबी आवाज है.
- हमें एकजुट होकर पंजाब को बदलने की जरूरत है
- हरित क्रांति वाला पंजाब आज कर्जे में डूबा है
- हमारी जंग उस सिस्टम से है, जिसने पंजाब को बर्बाद किया
- आज बदलाव की महत्वपूर्ण कड़ी है
- लोग सरकार में बदलाव चाहते हैं
- ऐसा नेता चाहते हैं जो कमजोरी को ताकत में तब्दील कर दें
- पंजाब को बदलने की चाहत रखने वाले नेता एक साथ आएं
- हिंदुस्तान का संविधान जात-पात से ऊपर उठकर एक साथ रहने को कहता है
- जीतेगा पंजाब, जीतेगी पंजाबियत, जीतेगी हर पंजाबी हमारा नारा होगा
- पंजाब घाटे के कगार पर खड़ा है
- पंजाब के बिजनेस का फायदा सिर्फ एक परिवार को
- पंजाब को एक परिवार चला रहा है
- हम लोकतंत्र की असली ताकत लोगों को देंगे
- जनता की आवाज बड़ी, उसमें भगवान की आवाज होती है
- पंजाब में काले बादल अब भी मंडरा रहे हैं
- हमारी लड़ाई पार्टियों से नहीं, बल्कि उन्हें चलाने वालों से है
- बीजेपी में मुझे डेकोरेशन पीस बनाकर रखा गया
- 200 रैलियां की, लेकिन जब सरकार बनी तो मंच से उतार दिया
- सिद्धू कम बोलता है, लेकिन जब बोलता है, तो किसी को छोड़ता नहीं
- मैं दो साल पहले मैंने राज्यसभा की सदस्यता लेने से इंकार कर दिया था
- मैंने राज्यसभा सदस्यता लेते वक्त कहा था कि अगर राज्यसभा मुझे पंजाब ले जाती है तो वह मेरे लिए तीर्थ स्थान है
- राज्यसभा के इस्तीफे से अरविंद केजरीवाल का लेना-देना नहीं
- मेरा साथ लेने के लिए आम आदमी पार्टी के लोग मेरे घर आए
- मुझे लेकर केजरीवाल जी ने आधा सच बताया
- मैं केजरीवाल जी की मंशा जानना चाहता था. मुझसे कहा गया कि चुनाव मत लड़ो
- कैप्टन अमरिंदर सिंह के भी 45-50 लोग मेरे पास आए थे
- केजरीवाल सोचते हैं कि इस दुनिया में वही ईमानदार हैं
- केजरीवाल को सिर्फ हां में हां मिलाने वाले चाहिए
- मेरी पत्नी ने केजरीवाल की नहीं सुनी, ऑफर ठुकराया
- AAP भी मुझे डेकोरेशन पीस बनाना चाहती थी
- अभी आवाज-ए-पंजाब एक जैसी सोच वालों का मंच है
- आवाज-ए-पंजाब आगे की दिशा कुछ दिन बाद तय करेगी
दरअसल, इस नई पार्टी में नवजोत सिंह के साथ पूर्व अकाली दल विधायक परगट सिंह और लुधियाना से निर्दलीय विधायक सिमरजीत सिंह बैंस भी शामिल हैं. वैसे इस पार्टी से जुड़े लोगों की नज़र आम आदमी पार्टी से निकाले गए सुच्चा सिंह छोटेपुर पर भी है. छोटेपुर आप के राज्य संयोजक थे और उनको साथ जोड़ने से इस नई पार्टी को अपने संगठन को मज़बूत करने में काफी सहायता मिल सकती है.
गौरतलब है कि बीजेपी से नवजोत सिंह सिद्धू ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. सिद्धू इससे पहले अमृतसर लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं. पिछले कुछ समय से नवजोत के बीजेपी के साथ रिश्तों में खटास आ गई थी. दरअसल प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के खिलाफ सिद्धू बेहद मुखर थे और इस सरकार में सहयोगी अपनी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे थे. 2014 के आम चुनाव में जब अमृतसर सीट से सिद्धू की जगह अरुण जेटली को टिकट दिया गया तो इन रिश्तों की खटास बढ़ी. ऐसे में स्वाभाविक है कि जेटली के चुनाव हारने पर आरोपों के कुछ 'छीटें' सिद्धू पर भी आए.
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