Narsingpur Election Results 2023: जानें, नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश) विधानसभा क्षेत्र को

नरसिंहपुर विधानसभा सीट पर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 211452 वोटर मौजूद थे, जिनमें से 87837 ने बीजेपी उम्मीदवार जालम सिंह पटेल "मुन्ना भैया" को वोट देकर जिताया था, जबकि 72934 वोट पा सके कांग्रेस प्रत्याशी लाखन सिंह पटेल 14903 वोटों से चुनाव हार गए थे.

Narsingpur Election Results 2023: जानें, नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश) विधानसभा क्षेत्र को

Assembly Elections 2023 के अंतर्गत मध्य प्रदेश राज्य में 17 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा, और चुनाव परिणाम (Election Results) 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.

हिन्दुस्तान का दिल कहलाने वाले और देश के बीचोंबीच बसे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Assembly Elections 2023) राज्य के महाकौशल क्षेत्र में मौजूद है नरसिंहपुर जिला, जहां बसा है नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र, जो अनारक्षित है. वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 211452 मतदाता थे, और उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार जालम सिंह पटेल "मुन्ना भैया" को 87837 वोट देकर विजयश्री प्रदान की थी, और विधायक बना दिया था, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार लाखन सिंह पटेल को 72934 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था, और वह 14903 वोटों से चुनाव हार गए थे.

इससे पहले, साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में नरसिंहपुर विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार जालम सिंह पटेल (मुन्ना भैया) ने जीत हासिल की थी, और उन्हें 89921 मतदाताओं का समर्थन मिला था. विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार सुनील जायसवाल को 41440 वोट मिल पाए थे, और वह 48481 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रह गए थे.

इसी तरह, विधानसभा चुनाव 2008 में नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार सुनील जायसवाल को कुल 44097 वोट हासिल हुए थे, और वह विधानसभा पहुंचे थे, जबकि बीजेपी प्रत्याशी अश्विनी धोरेलिया "अन्ना भैया" दूसरे पायदान पर रह गए थे, क्योंकि उन्हें 35898 वोटरों का ही समर्थन मिल पाया था, और वह 8199 वोटों से चुनाव में पिछड़ गए थे.

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वैसे, गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2018 में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश सूबे में 114 सीटों पर जीतकर कांग्रेस राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि 230-सदस्यीय विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खाते में 109 सीटें ही आ पाई थीं. बाद में कांग्रेस ने 121 विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंपा था और कमलनाथ ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ली थी. लेकिन फिर डेढ़ साल बाद ही राज्य में नया राजनीतिक तूफ़ान खड़ा हो गया, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ BJP में शामिल हो गए. इससे बहुमत BJP के पास पहुंच गया और शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर सूबे के मुख्यमंत्री बन गए. इसके बाद, राज्य में 28 सीटों पर उपचुनाव भी करवाए गए और BJP ने उनमें से 19 सीटें जीतकर मैजिक नंबर के पार पहुंचने का कारनामा कर दिखाया. फिलहाल शिवराज सिंह 18 साल की अपनी सरकार की एन्टी-इन्कम्बेन्सी की लहर के बावजूद अगला कार्यकाल हासिल करने की कोशिश में जुटे हैं, और पार्टी, यानी BJP ने अपने सारे दिग्गजों को मैदान में उतार दिया है. दूसरी तरफ, कांग्रेस भी एन्टी-इन्कम्बेन्सी की ही लहर पर सवार होकर सत्ता में वापसी का सपना संजोए बैठी है. कांग्रेस पार्टी का मानना है कि इस बार उसकी संभावनाएं पहले से बेहतर हैं. अब कामयाबी किसे मिलेगी, यह तो 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम ही तय करेंगे.