गुजरात विधानसभा चुनाव 2022: नरोदा से BJP प्रत्याशी को लेकर विवाद, जानें, क्या है पूरा मामला...

नरोदा सीट से BJP ने डॉ पायल कुकरानी को प्रत्याशी बनाया है, जो गुजरात दंगों से जुडे नरोदा पाटिया हत्याकांड में दोषी करार दिए जा चुके मनोज कुकरानी की पुत्री हैं. मनोज कुकरानी को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी, हालांकि हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपीलों के बाद फिलहाल वह वर्ष 2015 से ज़मानत पर बाहर हैं.

गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 का बिगुल बज चुका है, और राज्य में जहां एक ओर सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक बार फिर जीत की कोशिश में जुटी है, वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) भी ज़ोर-शोर से उन्हें हरा देने के दावे कर रही है. गुजरात में दो चरणों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियों के ज़्यादातर उम्मीदवारों की घोषणा की जा चुकी है, लेकिन इसी दौरान BJP के एक प्रत्याशी को लेकर विवाद शुरू हो गया है.

नरोदा सीट से BJP ने डॉ पायल कुकरानी को प्रत्याशी बनाया है, जो गुजरात दंगों से जुडे नरोदा पाटिया हत्याकांड में दोषी करार दिए जा चुके मनोज कुकरानी की पुत्री हैं. मनोज कुकरानी को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी, हालांकि हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपीलों के बाद फिलहाल वह वर्ष 2015 से ज़मानत पर बाहर हैं. नरोदा हत्याकांड में वर्ष 2012 में जिन 32 लोगों को दोषी करार देकर सज़ा सुनाई गई थी, उनमें मनोज कुकरानी भी शामिल थे. इन सभी दोषियों पर 97 लोगों की हत्या का आरोप साबित हुआ था. मनोज कुकरानी के पड़ोसी बताते हैं कि सज़ा सुनाए जाने के बाद भी वह अक्सर ज़मानत पर बाहर आते रहे हैं.

--- विधानसभा चुनाव 2022 की फुल कवरेज ---

NDTV की मौजूदगी में वह चुनाव प्रचार में अपनी बेटी की मदद करते नज़र आए, जिसे हमारे वीडियो में देखा भी जा सकता है. ऐसी तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिनमें बेटी का प्रचार करने निकले मनोज कुकरानी का स्वागत नरोदा के मौजूदा विधायक बलराम थवानी समेत बहुत-से BJP कार्यकर्ता बहुत ज़ोर-शोर से कर रहे हैं.

पायल कुकरानी ने अपने पिता की भूमिका पर टिप्पणी करने से इंकार करते हुए सिर्फ इतना कहा कि मामले में ऊंची अदालत में अपील की गई है, इसलिए वह कुछ भी कहना नहीं चाहतीं. वैसे, चुनाव प्रचार के काम में पिता के साथ-साथ मां से भी उन्हें काफी मदद मिल रही है. मनोज कुकरानी के परिवार के अन्य सदस्यों की भी दलील है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था, लेकिन किसी वजह से उनका नाम इस केस से जुड़ गया था, और इसी वजह से वह भुगत रहे हैं.

मनोज कुकरानी के परिवार का कहना है, "जनता को विकास चाहिए, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और गुजरात BJP बहुत अच्छी तरह विकास के काम कर रही है, इसलिए नरोदा पाटिया हत्याकांड के बारे में बात करने की कोई तुक नहीं है... उस केस का चुनाव से कोई कनेक्शन नहीं है..."

पेशे से डॉक्टर पायल कुकरानी के पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है, और नरोदा से मौजूदा BJP विधायक का टिकट काटकर उन्हें दिया गया है. इस पर विपक्ष का कहना है कि BJP ने गुजरात दंगों के दोषियों को इनाम देने के लिए पायल को टिकट दिया है. नरोदा से ही AAP प्रत्याशी ओमप्रकाश तिवारी ने कहा, "पार्टी (BJP) वालों ने समझा होगा कि भाई, इस परिवार का भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने में काफी योगदान रहा, इसलिए हमें भी कुछ देना चाहिए... इसलिए मनोज (कुकरानी) के घर से उन्हीं की पुत्री, यानी पायल बेन को कैंडिडेट बनाया..."

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