प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना से कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में विशाल युद्ध स्मारक के निर्माण के लिए निविदाएं आमंत्रित करते समय घरेलू क्षेत्र के लोगों के साथ अंतरराष्ट्रीय आर्किटेक्ट और बिल्डरों को भी शामिल किया जाए।
सेना के उच्च पदस्थ सूत्रों ने यहां बताया कि सेना ने जब प्रधानमंत्री को बताया कि वह उक्त परियोजना के लिए घरेलू आर्किटेक्ट और बिल्डरों से निविदाएं आमंत्रित करने की योजना बना रही है तो मोदी ने अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को भी शामिल करने का निर्देश दिया।
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री चाहते हैं कि एक विशाल राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बने और परियोजना पर यथासंभव सर्वश्रेष्ठ तरीके से काम हो।
मोदी सरकार ने चुनाव के समय वायदा किया था कि आजादी के बाद शहादत देने वाले सभी सैनिकों की याद में एक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाया जाएगा। सरकार ने इसके निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये के बजट की घोषणा भी की।
रक्षा मंत्री अरुण जेटली एक-दो दिन में सेना प्रमुखों के साथ इंडिया गेट के पास स्थित प्रिंसेस पार्क परिसर का दौरा कर सकते हैं और युद्ध स्मारक के लिए निर्माण स्थल तय कर सकते हैं।
युद्ध स्मारक के निर्माण के लिए प्रिंसेस पार्क को पहले ही तय किया जा चुका है।
युद्ध स्मारक का प्रस्ताव पिछले कई साल से लटका हुआ था क्योंकि सशस्त्र बलों और सरकारी एजेंसियों के बीच परियोजना के स्थल को लेकर असहमति थी।
संप्रग सरकार के दौरान दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने परियोजना का विरोध किया था और दावा किया था कि इंडिया गेट परिसर में स्मारक बनाने से आम जनता को असुविधा होगी।
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