Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
गुजरात के राज्यपाल द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति के मुद्दे पर फैसला देते हुए न्यायमूर्ति सहाय ने कहा कि सीएम की कार्यवाही से लगता है कि वह लोकायुक्त की नियुक्ति रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति वी एम सहाय ने गुजरात सरकार और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर कड़ी टिप्पणी की। न्यायमूर्ति सहाय ने कहा कि मुख्यमंत्री को गलतफहमी हो गई है कि वह मुख्य न्यायाधीश की बाध्यकारी राय को भी नकार सकते हैं। और उनके इस कृत्य ऐसा लगता है कि उन्हें अजेय होने का वहम हो गया है। न्यायमूर्ति सहाय ने कहा कि सीएम की कार्यवाही से लगता है कि वह लोकायुक्त की नियुक्ति रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
इस विषय पर उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष अलग अलग राय आने के बाद न्यायमूर्ति वी एम सहाय ने राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें राज्यपाल डा कमला बेनीवाल की ओर से न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) आर ए मेहता को लोकायुक्त बनाने जाने के निर्णय को चुनौती दी गई थी।
न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि, पूरे भारत में लोकतंत्र की नयी बयार चल रही है जिसमें भ्रष्टाचार से संघर्ष करने के लिए आम लोगों के सशक्तिकरण की मांग की जा रही है। वैश्विकरण के इस दौर में आधुनिक समाज भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण चाहता है।
न्यायमूर्ति सहाय ने कहा, ‘देश को सांस्कृतिक शुद्धता की जरूरत है। लोकायुक्त जैसे संस्थान की ईमानदारी लोगों का सपना है और यह लोक कर्मियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष कर रहे लोगों की उम्मीद है।’ उन्होंने कहा कि गुजरात लोकायुक्त अधिनियम के प्रावधानों को सामाजिक आर्थिक स्थिति और लोगों की आकांक्षाओं के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति सहाय ने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से ऐसी स्थिति पैदा की गई जिसके कारण राज्यपाल को अनुच्छेद 163 का उपयोग करते हुए यह कदम उठाना पड़ा ताकि लोकतंत्र की रक्षा की जा सके।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
Gujarat Chief Minister, Gujarat Lokayukta, Kamla Beniwal, Narendra Modi Vs Governor, RA Mehta, गुजरात मुख्यमंत्री, गुजरात लोकायुक्त, कमला बेनीवाल, नरेंद्र मोदी, राज्यपाल, आर ए मेहता