प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति में आसियान मुख्य केंद्र बिंदु है। मोदी आज म्यांमा रवाना हो गए जहां वह दस देशों के इस समूह की शिखर बैठक और पूर्वी एशियाई शिखर बैठक में भाग लेंगे। मोदी एयर इंडिया के विशेष विमान से रवाना हुए। अपनी इस दस दिवसीय विदेश यात्रा के पहले चरण में वह ने पी ताव जाएंगे। इन दस दिनों के दौरान मोदी समूह 20 की शिखर बैठक में भाग लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया और उसके बाद फिजी भी जाएंगे।
रवाना होने से पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, 'आसियान हमारी एक्ट ईस्ट नीति की धुरी है। वह एशियाई सदी के हमारे सपने का केंद्र है और सहयोग तथा एकीकरण इसकी विशेषताएं हैं।' मोदी ने कहा कि उन्हें आसियान देशों के नेताओं के साथ इस विषय पर चर्चा का इंतजार है कि हम 'अपने संबंधों को अगले स्तर पर कैसे ले जा सकते हैं जिससे प्रत्येक सदस्य के साथ द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने में मदद मिलेगी।' 12-13 नवंबर को म्यांमा की राजधानी ने पी ताव में भारत-आसियान और पूर्वी एशिया शिखर बैठक तथा ब्रिस्बेन में समूह 20 के शिखर देशों की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री एशिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और प्रशांत क्षेत्रीय देशों के 40 से अधिक नेताओं से मुलाकात करेंगे। वह फिजी की भी यात्रा करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया के किसी भी क्षेत्र में न तो इतनी गतिशीलता है और न ही उसके सामने इतनी चुनौतियां हैं जितनी हिंद महासागर, एशिया महाद्वीप और प्रशांत महासागर क्षेत्र के सामने हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वी एशिया शिखर बैठक में क्षेत्र और विश्व के भविष्य को आकार देने की क्षमता है।
प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा, 'शांति, स्थिरता और समृद्धि की खोज में मुझे पूर्वी एशिया शिखर बैठक में आसियान और विश्व के सात प्रमुख नेताओं के साथ क्षेत्रीय संस्थानों तथा अंतरराष्ट्रीय नियमों को मजबूती प्रदान किए जाने के उपायों पर चर्चा का इंतजार है।'
म्यांमा में अंतरराष्ट्रीय शिखर बैठकों से अलग मोदी का मेजबान देश के राष्ट्रपति थेइन सिन के अलावा रूस के प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति पार्क ग्यून हेई तथा सिंगापुर के राष्ट्रपति टोनी तान सेमुलाकात का कार्यक्रम है।
आसियान सदस्य देशों में ब्रुनेई, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाइलैंड, फिलीपींस और वियतनाम शामिल हैं जबकि पूर्वी एशिया शिखर (ईएएस) सदस्यों में दस आसियान देशों के अलावा ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, रूस और अमेरिका शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि समूह 20 शिखर सम्मेलन में काले धन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व को रेखांकित करना एक प्रमुख मुद्दा होगा। वह अन्य नेताओं के साथ अत्याधुनिक संरचना विकसित करने के उपायों पर भी चर्चा करेंगे जिनमें डिजिटल संरचना शामिल है। इसके साथ ही वह स्वच्छ और कम लागत वाली ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करने के विषय को भी उठाएंगे।
प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि समूह 20 देश विश्व के आर्थिक उत्पादन में 85 फीसदी की हिस्सेदारी रखते हैं और वैश्विक आर्थिक वृद्धि, स्थिरता, स्थिर वित्तीय बाजारों, वैश्विक कारोबारी व्यवस्थाओं तथा रोजगार सृजन की दृष्टि से गतिविधियों में समन्वय स्थापित करने के लिहाज से यह एक महत्वपूर्ण फोरम है। मोदी कैनबरा में समूह 20 शिखर बैठक के बाद ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबाट से भी द्विपक्षीय चर्चा करेंगे। 1986 में राजीव गांधी के बाद 28 साल में ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर जाने वाले वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ऑस्ट्रेलिया के साथ हमारी काफी समानता है लेकिन हमारे राजनीतिक, रणनीतिक और आर्थिक संबंधों का क्षमताओं के अनुरूप दोहन नहीं हुआ है।’’ ऑस्ट्रेलिया के साथ घनिष्ठ रणनीतिक साझेदारी की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि वह जहाजरानी सुरक्षा समेत हमारे सुरक्षा हितों और आर्थिक लक्ष्यों में सहयोग देगा और हमारे पड़ोसी द्वीपीय देशों के साथ शांति और स्थिरता का माहौल बनाने में हमारे प्रयासों को बल प्रदान करेगा।’’
16 नवंबर से ऑस्ट्रेलिया के चार शहरों की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान मोदी मेलबर्न, सिडनी और कैनबरा जाएंगे। 19 नवंबर को अपनी एक दिवसीय फिजी यात्रा के संबंध में मोदी ने कहा कि इस देश की यात्रा करना उनके लिए सौभाग्य की बात हागी जिसके साथ भारत के ‘‘ऐतिहासिक और जातीय संबंध’’ हैं।
33 सालों के अंतराल के बाद मोदी फिजी की यात्रा करने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे। इससे पूर्व इंदिरा गांधी 1981 में इस देश की यात्रा पर गयी थीं। मोदी वहां प्रधानमंत्री फ्रैंक बेनिमारामा से भी मुलाकात करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने फिजी के संबंध में कहा, ‘‘भारत के मंगल अभियान के दौरान हमारे वैज्ञानिकों की मेजबानी करने के लिए भी हम फिजी के आभारी हैं।’’
फिजी की 849, 000 की आबादी में से 37 फीसदी भारतीय मूल के हैं। बहुत से भारतीय 19वीं सदी में ठेका मजदूरों के रूप में फिजी गए थे और वहां जाकर बस गए थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह फिजी तथा प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों के साथ भविष्य में नियमित संपर्क स्थापित करने के इच्छुक हैं।
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