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This Article is From Jan 29, 2013

यशवंत सिन्हा ने कहा- मोदी हैं सेक्यूलर, नीतीश दें साथ

नई दिल्ली: वर्ष 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का ऐलान किए जाने की बात कहकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने सोमवार को उस बहस को फिर से हवा दे दी, जो काफी लम्बे अरसे से पार्टी और गठबंधन में चल रही है।

एनडीटीवी इंडिया के अखिलेश शर्मा से खास बातचीत में भी यशवंत सिन्हा ने साफ-साफ कहा कि न सिर्फ नरेंद्र मोदी इस समय सबसे ज़्यादा लोकप्रिय नेता हैं, बल्कि वह पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष (सेक्यूलर) भी हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी की दावेदारी का विरोध कर रहे गठबंधन के प्रमुख घटक जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी सलाह दी कि उन्हें मोदी का साथ देना चाहिए।

यशवंत सिन्हा ने दावा किया है कि गुजरात में हुए दंगे निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण थे, परन्तु उनके लिए (नरेंद्र) मोदी को दोषी ठहराना और बदनाम करना गलत है। उन्होंने कहा कि दंगे हमारे देश में पहले भी होते रहे हैं, और उस समय व उन राज्यों में भी हुए हैं, जब कांग्रेस या सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव शासन कर रहे थे। उन्होंने वर्ष 1984 में भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख-विरोधी दंगों का ज़िक्र करते हुए कहा कि राजीव गांधी भी तो तमाम आरोपों के बावजूद प्रधानमंत्री बने थे।

यशवंत सिन्हा के मुताबिक नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर देने की स्थिति में वोटों का ध्रुवीकरण हो जाने की अटकलें भी निराधार हैं। उनका दावा है कि ऐसा करने से बीजेपी को पिछली बार से भी ज़्यादा सीटें हासिल होंगी। उन्होंने यहां तक कहा कि अब लोकसभा चुनाव में ज़्यादा वक्त नहीं बचा है, और नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी का ऐलान जल्द ही हो जाना चाहिए।

यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर भी हमला बोला, और कहा कि आरएसएस को बीजेपी का माइक्रो मैनेजमेंट बंद करना चाहिए। उन्होंने पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता और पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की इस बात से पूर्ण सहमति जताई कि आरएसएस को बीजेपी के रोजमर्रा के कामकाज में दखलअंदाज़ी नहीं करनी चाहिए।

बीजेपी के निवर्तमान अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए उनके (यशवंत सिन्हा के) द्वारा नामांकन पत्र मंगवाए जाने पर सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि गडकरी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से पार्टी की छवि को नुकसान हो रहा था, इसलिए वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे, और यदि गडकरी ने इस्तीफा न देकर पर्चा भरा होता, तो वह भी नामांकन पत्र भर देते।

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