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दाभोलकर मर्डर: उस पिस्तौल की कहानी, जिसे खोजने पर CBI ने खर्चे 7.5 करोड़

तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. सीबीआई ने 2014 में इस मामले की जांच अपने हाथ में ली थी. सीबीआई ने अरब सागर से एक पिस्तौल को बरामद करने के लिए दुबई की एक कंपनी की मदद ली थी. इस पर साढ़े सात करोड़ रुपये खर्च हुए थे.

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दाभोलकर मर्डर: उस पिस्तौल की कहानी, जिसे खोजने पर CBI ने खर्चे 7.5 करोड़
नरेंद्र दाभोलकर की की 20 अगस्त 2013 को पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
नई दिल्ली:

पुणे की एक अदालत ने तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड (Narendra Dabholkar Murder Case Verdict) के दो दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है.इसके साथ ही तीन आरोपियों को बरी कर दिया गया है. दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 की सुबह पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड की जांच पहले पुणे पुलिस ने की, लेकिन बाद में यह जांच सीबीआई (CBI)को सौंप दी गई.इस हत्याकांड में पिस्तौल को लेकर काफी विवाद रहा. आइए हम आपको इस पिस्तौल की बरामदगी की कहानी बताते हैं. 

दाभोलकर हत्याकांड में पुणे की अदालत ने घटना के 11 साल बाद फैसला सुनाया. पुणे की विशेष सीबीआई अदालत ने आरोपी सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को इस हत्याकांड में दोषी करार दिया है.अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है.वहीं इस मामले के आरोपी डॉक्टर विरेंद्र सिंह तावड़े विक्रम भावे और संजीव पुनालकेर को बरी कर दिया गया है. 

सीबीआई से कैसे की समुद्र में पिस्तौल की तलाश?

सीबीआई ने 2014 में इस मामले की जांच अपने हाथ में ली थी.सीबीआई का कहना था कि हत्याकांड के आरोपियों ने हत्या में प्रयुक्त पिस्तौल को समुद्र में फेंक दिया था.उसने पिस्तौल की तलाश के लिए महाराष्ट्र सरकार से इजाजत ली.सीबीआई ने पिस्तौल की तलाश के लिए दुबई की एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स को नियुक्त किया था. इस कंपनी ने पिस्तौल की तलाश के लिए नॉर्वे से मशीनें मंगवाईं. इन मशीनों को भारत लाने पर करीब 95 लाख रुपये का कर लगाया गया था.इसे सीबीआई की अपील पर सीमा शुल्क विभाग ने माफ किया. इससे पिस्तौल की तलाश पर आने वाली लागत कम हो गई. सीबीआई की इस पूरी कवायद पर करीब साढ़े सात करोड़ रुपये का खर्च आया. 

पिस्तौल की तलाश पर आए खर्च को सीबीआई, महाराष्ट्र और कर्नाटक पुलिस की एटीएस ने मिलकर वहन किया था. ये तीनों एजेंसियां ही दाभोलकर, गौरी लंकेश और एमएम कलबुर्गी की हत्या की जांच कर रही थीं.लंकेश और कलबुर्गी की हत्या कर्नाटक में हुई थी.जांच के दौरान पता चला था कि इन तीनों हत्याकांड में एक ही तरह की पिस्तौल इस्तेमाल में लाई गई थी.

सीएफएसएल ने पिस्तौल पर क्या रिपोर्ट दी?

खबरों के मुताबिक सीबीआई ने समुद्र से मिली पिस्तौल को जांच के लिए सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री (सीएफएसएल) भेजा था.अंग्रेजी अखबार 'हिंदुस्तान टाइम्स'की एक खबर के मुताबिक सीएफएसएल के जांचकर्ताओं से कहा कि हत्या में जिस गोली का इस्तेमाल किया गया था, वो इस पिस्तौल से मेल नहीं खाती है.तीन गोलियों को घटनास्थल से बरामद किया गया था. सीएफएसएल की रिपोर्ट सीबीआई के लिए बड़ा झटका थी.

इस हत्याकांड में दोषी ठहराए गए शरद कालस्कर गौरी लंकेश हत्याकांड में भी आरोपी है. सीबीआई का दावा था कि कालस्कर ने 23 जुलाई 2018 को पुणे से नाला सोपारा लौटते हुए चार देसी पिस्तौल को तोड़कर समुद्र में फेंक दिया था.एजेंसी को शक था कि समुद्र से बरामद पिस्तौल उन्हीं में से एक थी.े 

ये भी पढ़ें : नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में 11 साल बाद फैसला, सचिन अंदुरे और शरद कलस्कर को उम्रकैद; 3 बरी


 

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