विज्ञापन

नंबी नारायणन की पूरी कहानीः कैसे 'पुलिसिया सिस्टम' के जाल में फंसा होनहार साइंटिस्ट

यह मामला पहली बार 30 नंबर 1994 को सामने आया था. इस मामले के सामने आने के बाद केरल पुलिस और आईबी की टीम ने इसरो में काम कर रहे नंबी नारायणन को इस मामले में कथित तौर पर शामिल होने को लेकर गिरफ्तार कर लिया था.

नंबी नारायणन की पूरी कहानीः कैसे 'पुलिसिया सिस्टम' के जाल में फंसा होनहार साइंटिस्ट
सुप्रीम कोर्ट ने नंबी नारायणन पर लगे तमाम आरोपों को बेबुनियाद बताया था
नई दिल्ली:

ISRO जासूसी मामले में अंतरिक्ष विज्ञानी नंबी नारायणन को फंसाने को लेकर CBI ने कुछ दिन पहले एक बड़ा खुलासा किया है. CBI ने 1994 के इसरो जासूसी मामले नंबी नारायणन को फंसाने की बात करते हुए तिरुअनंतपुरम की एक स्थानीय अदालत में पांच लोगों के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल किया है. इस आरोप पत्र में किन्हें आरोपी बताया गया है फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं हुई है. CBI के अनुसार नंबी नारायणन पर जो भी आरोप लगाए थे वो पुरी तरह के बेबुनियाद थे. यही वजह थी कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में ना नंबी नारायणन को बाइज्जत बरी किया था. इस मामले से ये तो समझ आता है कि अगर पुलिसिया सिस्टम चाहे तो वो किसी को किस हद तक किसी झूठे मामले में फंसा सकती है. आज हम आपको इसी मामले से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां देने जा रहे हैं. साथ ही हम आपको ये भी बताएंगे कि नंबी नारायणन कौन हैं और आखिर इस मामले में उनका नाम कैसे सामने आया. 

Latest and Breaking News on NDTV

पद्म भूषण से सम्मानित नंबी नारायणन कौन हैं

नंबी नारायणन एक भारतीय एयोस्पेस वैज्ञानिक हैं. उन्होंने ISRO के लिए लंबे समय तक काम किया है. ISRO में काम करते हुए वो कुछ समय के लिए क्रायोजेनिक्स डिवीजन के भी प्रभारी रहे थे. नारायणन को मार्च 2019 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था. नंबी नारायण वर्ष 1994 में जासूसी के झूठे आरोपों को लेकर पहली बार चर्चा में आए थे. उनपर आरोप लगे थे कि उन्होंने ISRO में काम करते हुए कुछ अहम दस्तावेजों को लीक किया. हालांकि, इस मामले के सामने आने के बाद कुछ वर्ष बाद ही CBI ने उनके खिलाफ लगे सभी आरोपों को निराधार बताया था.

CBI की जांच को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी नंबी नारायणन पर लगे तमाम आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था. साथ ही कोर्ट ने केरल सरकार को इस मामले में अपनी जांच जारी रखने से भी रोक दिया था.  2018 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने नारायणन को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था. 

Latest and Breaking News on NDTV

तमिल हिंदू परिवार में पैदा हुए थे नंबी नारायणन

नंबी नारायणन का जन्म 12 दिसंबर 1941 में तमिल हिंदू परिवार में हुआ था. उनका गांव कन्याकुमारी जिले में पड़ता है. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हायर सेकेंडरी स्कूल, नागरकोइल से पूरी की थी. इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए मदुरै के त्यागराज कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग चले गए. वहां से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी की डिग्री ली. मदुरै से पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1966 में नारायणन ने ISRO में बतौर तकनीक सहायक के रूप में काम करना शुरू किया. 

Latest and Breaking News on NDTV

क्या था इसरो जासूसी कांड 

यह मामला पहली बार 30 नंबर 1994 को सामने आया था. इस मामले के सामने आने के बाद केरल पुलिस और आईबी की टीम ने इसरो में काम कर रहे नंबी नारायणन को इस मामले में कथित तौर पर शामिल होने को लेकर गिरफ्तार कर लिया था. नंबी की गिरफ्तारी उनके एक सहयोगी के बयान के आधार पर की गई थी. नंबी के सहयोगी ने पुलिस को बताया था कि नंबी को इसरो से जुड़ी कुछ अहम जानकारी और दस्तावेज को मालदीव की दो महिलाओं को देने के लिए पैसे मिले हैं. इस कथित आरोप की वजह से नंबी को कई दिनों तक जेल में भी रहना पड़ा था. इसके बाद इस मामले को सीबीआई को सौंपा गया था. सीबीआई ने जब मामले की जांच की तो पता चला कि नंबी नारायणन पर लगाए गए तमाम आरोप निराधार और बेबुनियाद हैं. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com