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This Article is From Apr 01, 2023

"मेरे पिता अब बदले हुए इंसान हैं...", नवजोत सिंह सिद्धू के बेटे ने NDTV से कहा

करण सिद्धू ने कहा, "मेरे पिता एक बदले हुए व्यक्ति हैं. उन्हें खुद के लिए बहुत समय मिला. उन्हें ध्यान करने का भी समय मिला. अब मैं चाहता हूं कि मेरी मां और पिता एक साथ अच्छा समय बिताएं."

"मेरे पिता अब बदले हुए इंसान हैं...", नवजोत सिंह सिद्धू के बेटे ने NDTV से कहा
नवजोत सिंह सिद्धू के बेटे करण ने कहा कि उन्हें खुद के लिए बहुत समय मिला.
पटियाला/नई दिल्ली:

कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के बेटे ने पंजाब की पटियाला जेल से 10 महीने के बाद अपने पिता की रिहाई से पहले आज NDTV से बात की. रोड रेज की एक घटना में 34 साल पहले एक व्यक्ति मौत हो गई थी, जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू को सजा सुनाई गई थी. पिता के साथ अपनी बातचीत के बारे में बताते हुए करण सिद्धू ने कहा, "मेरे पिता ने मुझे बताया कि उन्हें आत्मनिरीक्षण करने का वक्‍त मिला है. उन्होंने कहा कि वह और मजबूत होकर वापस आएंगे."

करण सिद्धू ने कहा, "मेरे पिता अब बदले हुए इंसान हैं. उन्हें खुद के लिए बहुत समय मिला. उन्हें ध्यान करने का भी समय मिला. अब मैं चाहता हूं कि मेरी मां और पिता एक साथ अच्छा समय बिताएं."

नवजोत सिंह सिद्धू के बेटे ने कहा कि उनके पास कुछ विचार हैं और वह एक नई रणनीति के साथ वापस आने वाले हैं. करण ने कहा कि उसके पिता पहले से फिट और स्वस्थ हो गए हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना वजन भी घटाया है. 

उनके वकील का कहना है कि जेल के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू के अच्छे आचरण के कारण उनकी समय से पहले रिहाई हो रही है, जैसा नियमों के तहत अनुमति है. 

क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू का स्वागत करने के लिए कांग्रेस के कई नेता और समर्थक जेल के बाहर जमा हुए. जेल के बाहर इंतजार कर रहे एक कांग्रेस नेता ने NDTV से कहा, "नवजोत सिद्धू की रिहाई हमारे लिए एक त्योहार की तरह है."

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मई में कांग्रेस नेता को एक साल 'कठोर कारावास' का आदेश दिया था. सिद्धू ने राज्‍य चुनाव में अपनी पार्टी की हार के बाद पंजाब कांग्रेस प्रमुख का पद छोड़ दिया था. 

अदालत का फैसला एक ऐसे व्यक्ति के परिवार की याचिका पर आया था, जिसकी 1988 में सिद्धू और उसके दोस्त के साथ लड़ाई के बाद मौत हो गई थी. इस मामले में परिवार ने सुप्रीम कोर्ट से 2018 के उस आदेश की समीक्षा करने के लिए कहा था जिसमें उन्हें हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया था. 

27 दिसंबर 1988 को सिद्धू का पटियाला निवासी 65 वर्षीय गुरनाम सिंह से पार्किंग को लेकर विवाद हो गया था. सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर सिंह संधू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को अपनी कार से बाहर खींचा और उन्हें मारा. बाद में एक अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई. 

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सिद्धू को एक व्यक्ति को चोट पहुंचाने के लिए 1,000 रुपये का जुर्माना देने का आदेश दिया था. हालांकि अदालत ने अपने ही आदेश की यह कहते हुए समीक्षा की थी कि यदि किसी व्‍यक्ति की मौत हो जाती है तो कुछ संगीन दोष होना चाहिए, वह सिद्धू को जेल में डालने को उचित मानती है. 

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