मुंबई:
महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने सोमवार को कहा कि पुणे के एक संस्थान से इंजीनियरिंग की जो ‘डिग्री’ उन्होंने हासिल की है वह फर्जी नहीं है, जैसा एक टेलीविजन समाचार चैनल ने दावा किया है। मंत्री का स्पष्टीकरण तब आया जब मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि उनकी बीई इलेक्ट्रॉनिक्स की ‘डिग्री’ फर्जी है।
तावड़े ने मुंबई संवाददाताओं से कहा, ‘मैं पुणे दयानेश्वर विद्यापीठ का छात्र रहा हूं और मुझे इस पर गर्व है। मैंने विश्वविद्यालय से जो डिग्री हासिल की थी उसे कभी नहीं छिपाया।’ तावड़े ने कहा, ‘विद्यापीठ में एक ब्रिज कोर्स शुरू किया गया था, जिसका लक्ष्य सैद्धांतिक जानकारी के साथ छात्रों को प्रायोगिक जानकारी देना था। मैंने 1980 में पाठ्यक्रम में दाखिला लिया और 1984 में पास किया। पाठ्यक्रम में पार्ट टाइम शिक्षा और पार्ट टाइम इंटर्नशिप दी जाती है।’
मंत्री ने कहा, ‘छात्रों से दाखिला लेते वक्त कहा गया था कि पाठ्यक्रम सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। मैं इसे जानता था और मैंने इसे स्वीकार किया।’ उन्होंने कहा कि मनोहर जोशी के विद्यापीठ का कुलाधिपति बनने के बाद उनके प्रतिद्वंद्वी अदालत में गए और अदालत ने पाठ्यक्रम को प्रतिबंधित कर दिया।
तावड़े ने कहा, ‘मैंने राज्य चुनावों में कभी भी स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के सदस्य के तौर पर पंजीकरण नहीं कराया। इस पाठ्यक्रम के अलावा मैंने 12वीं कक्षा तक अध्ययन किया है और मैंने उसे कभी नहीं छिपाया। यहां तक कि मेरे चुनावी हलफनामे में भी मैंने अपनी शिक्षा के सभी पहलुओं और जिन स्थानों पर मैंने अध्ययन किया है उसका उल्लेख किया है।’
तावड़े ने कहा, ‘अगर मैंने इस बात का उल्लेख किया होता कि मैंने मुंबई विश्वविद्यालय, पुणे विश्वविद्यालय या शिवाजी विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है तो यह धोखाधड़ी होती। लेकिन मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया है।’ इस बीच, महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने ‘फर्जी’ डिग्री मामले पर तावड़े से इस्तीफा मांगा।
तावड़े ने मुंबई संवाददाताओं से कहा, ‘मैं पुणे दयानेश्वर विद्यापीठ का छात्र रहा हूं और मुझे इस पर गर्व है। मैंने विश्वविद्यालय से जो डिग्री हासिल की थी उसे कभी नहीं छिपाया।’ तावड़े ने कहा, ‘विद्यापीठ में एक ब्रिज कोर्स शुरू किया गया था, जिसका लक्ष्य सैद्धांतिक जानकारी के साथ छात्रों को प्रायोगिक जानकारी देना था। मैंने 1980 में पाठ्यक्रम में दाखिला लिया और 1984 में पास किया। पाठ्यक्रम में पार्ट टाइम शिक्षा और पार्ट टाइम इंटर्नशिप दी जाती है।’
मंत्री ने कहा, ‘छात्रों से दाखिला लेते वक्त कहा गया था कि पाठ्यक्रम सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। मैं इसे जानता था और मैंने इसे स्वीकार किया।’ उन्होंने कहा कि मनोहर जोशी के विद्यापीठ का कुलाधिपति बनने के बाद उनके प्रतिद्वंद्वी अदालत में गए और अदालत ने पाठ्यक्रम को प्रतिबंधित कर दिया।
तावड़े ने कहा, ‘मैंने राज्य चुनावों में कभी भी स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के सदस्य के तौर पर पंजीकरण नहीं कराया। इस पाठ्यक्रम के अलावा मैंने 12वीं कक्षा तक अध्ययन किया है और मैंने उसे कभी नहीं छिपाया। यहां तक कि मेरे चुनावी हलफनामे में भी मैंने अपनी शिक्षा के सभी पहलुओं और जिन स्थानों पर मैंने अध्ययन किया है उसका उल्लेख किया है।’
तावड़े ने कहा, ‘अगर मैंने इस बात का उल्लेख किया होता कि मैंने मुंबई विश्वविद्यालय, पुणे विश्वविद्यालय या शिवाजी विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है तो यह धोखाधड़ी होती। लेकिन मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया है।’ इस बीच, महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने ‘फर्जी’ डिग्री मामले पर तावड़े से इस्तीफा मांगा।
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