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मुंबई में बच्चों को बंधक बनाने वाला रोहित आर्या कौन, क्यों की ये हरकत; पूर्व मंत्री से क्या कनेक्शन?

पुणे के रहने वाले रोहित आर्या ने 'मुख्यमंत्री मेरी शाला, सुंदर शाला' अभियान के तहत एक परियोजना बनाई थी. 2013 में आर्या ने 'लेट्स चेंज' अभियान के जरिए इस प्रोजेक्ट की कल्पना की थी, जिसका मकसद स्कूली बच्चों को स्वच्छता दूत बनाना था.

मुंबई में बच्चों को बंधक बनाने वाला रोहित आर्या कौन, क्यों की ये हरकत; पूर्व मंत्री से क्या कनेक्शन?
  • पुणे के रोहित आर्या ने मुंबई के एक स्टूडियो में 17 बच्चों को बंधक बना लिया, जिन्हें कमांडोज ने छुड़ाया
  • आर्या ने महाराष्ट्र सरकार के शिक्षण विभाग से स्वच्छता मॉनिटर परियोजना का पेमेंट न मिलने का आरोप लगाया था
  • उसने शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता और पूर्व मंत्री दीपक केसरकर के आवास के बाहर भूख हड़ताल भी की थी
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मुंबई के पवई में एक स्टूडियो के अंदर 17 बच्चों को बंधक बनाने की खबर आते ही हड़कंप मच गया. पुलिस और कमांडोज ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी बच्चों को छुड़ा लिया. पुलिस की गोली लगने से रोहित आर्या की भी मौत हो गई. सवाल ये है कि बच्चों को बंधक बनाने वाला राजेश आर्या कौन था और उसने ये हरकत क्यों की थी. आइए बताते हैं. 

जानकारी के मुताबिक, रोहित आर्या पुणे का एक सामाजिक कार्यकर्ता बताया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल रोहित के गुस्से और बच्चों को बंधक बनाने की वारदात के पीछे पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के कार्यकाल के दौरान उसके प्रोजेक्ट का पेमेंट न होने का कारण दिखता है. 

रोहित आर्या ने 'मुख्यमंत्री मेरी शाला, सुंदर शाला' अभियान के तहत चलाए गए महत्वपूर्ण 'पीएलसी स्वच्छता मॉनिटर परियोजना' के लिए महाराष्ट्र सरकार के शिक्षण विभाग द्वारा भुगतान न किए जाने का आरोप लगाया था. 2013 में आर्या ने 'लेट्स चेंज' अभियान के माध्यम से इस परियोजना की कल्पना की थी, जिसका उद्देश्य स्कूली बच्चों को स्वच्छता दूत बनाना था. 

दावा किया जा रहा है कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसकी सराहना की थी. आर्या ने महाराष्ट्र के पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के निर्देश पर 2022 में अपने खर्च पर यह परियोजना महाराष्ट्र की स्कूलों में शुरू की थी. 

आर्या का आरोप था कि इस परियोजना के लिए शिक्षण विभाग ने 2 करोड़ की राशि आवंटित की थी, लेकिन जनवरी 2024 से वरिष्ठ अधिकारी केवल आश्वासन दे रहे थे और उसे पैसों का भुगतान नहीं किया गया. पेमेंट न मिलने और उसे अभियान से बाहर करने का आरोप लगाते हुए आर्या ने जुलाई-अगस्त में भूख हड़ताल भी की थी.

आर्या ने आरोप लगाया था कि शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता और पूर्व मंत्री दीपक केसरकर के आश्वासन पर भूख हड़ताल वापस लेने के बावजूद उसे पैसे नहीं मिले. उसने केसरकर के सरकारी बंगले के बाहर भूख हड़ताल की थी.  

आर्या ने तब बताया था कि केसरकर ने व्यक्तिगत सहायता के रूप में उसे 7 लाख और 8 लाख रुपये के दो चेक दिए थे और बाकी रकम बाद में देने का वादा किया था, लेकिन वह भी पूरी नहीं मिली.

आर्या ने यह भी दावा किया था कि अभियान में सबसे स्वच्छ स्कूलों को जानबूझकर गलत अंक दिए गए और राजनीतिक नेताओं के स्कूलों को विजेता के रूप में चुना गया.

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