Mumbai News: कोरोना वायरस के प्रकोप से उबरती मुंबई में बारिश के मौसम में फैलने वाली संक्रामक बीमारियों - डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया के मामले बढ़ने लगे हैं. BMC के मुताबिक़, मुंबई में 1991 मलेरिया, 57 डेंगू, 74 लेप्टोस्पायरोसिस और 19 स्वाइन फ़्लू के मामले अब तक दिख चुके है. पिछले साल के मुक़ाबले अस्पतालों में बरसाती बीमारियों के मरीज़ 50% बढ़े हैं. कोरोना के बीच अब बरसाती बीमारियों की चुनौतियां झेल रही है पानी-पानी मुंबई. मलेरिया, स्वाइन फ्लू, डेंगू और लेप्टोस्पायरोसिस के मामले बढ़ने लगे हैं जो पिछले साल पाबंदियों के कारण ना के बराबर थे, अब छूट के कारण इन्हें फैलने का मौक़ा मिला है. समस्या बड़ी है क्योंकि इन बीमारियों के कई लक्षण कोविड के लक्षणों से मेल खाते हैं.
मुंबई महानगर पालिका के स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है. बीएमसी के मुताबिक़ सिर्फ़ जुलाई में अब तक स्वाइन फ़्लू के 12 मामले दिखे हैं, बीते साल जुलाई में ज़ीरो मामले थे. 1 से 11 जुलाई तक यानी 11 दिनों में डेंगू के 8 मामले दिखे, बीते साल जुलाई में 11 थे. इस जुलाई में हेपेटाइटिस के 12 मरीज़ सामने आए हैं, तो पिछले साल जुलाई 2020 में सिर्फ़ 1 मामला था.
11 दिनों में घातक लेप्टोस्पायरोसिस के 15 मरीज़ मिले हैं तो 2020 के पूरे जुलाई में 14 मरीज़ थे. इस महीने अब तक गैस्ट्रो के 106 मरीज़ सामने आ चुके हैं जबकि जुलाई 2020 में 56 मामले थे. राहत की बात है कि फ़िलहाल अब तक इस साल बरसाती बीमारी से किसी की जान नहीं गयी.
मुंबई के नानावटी मैक्स अस्पताल में बरसाती बीमारियों के मरीज़ 50% बढ़े हैं. यही हाल फ़ोर्टिस, SL रहेजा जैसे बड़े अस्पतालों का भी है. बुखार, खांसी, जुकाम जैसे लक्षणों के बाद लोग कोविड टेस्ट करवा रहे हैं, निगेटिव आते ही निश्चिंत होते हैं, फिर समस्या बढ़ते ही देरी से अस्पताल पहुंचते हैं.
नानावटी अस्पताल के डॉक्टर हर्षद मिमये कहते हैं, ''इस साल निश्चित रूप से 50% राइज़ हुआ है बरसाती बीमारियों में, पिछले साल बहुत ही कम था, ये ह्यूमन ऐक्टिविटी से रिलेटेड बीमारी होती है. क्योंकि पिछले साल ह्यूमन ऐक्टिविटी कम थी, लगभग ना के बराबर थी, ज़ीरो थी, लेकिन डेंगू, मलेरिया, लेप्टो के मरीज़ बीते साल से 50% बढ़े हैं.''
वहीं एसएल रहेजा अस्पताल के डॉक्टर अमित नाबर कहते हैं, ''बरसाती बीमारी वाले मरीज़ों की तादाद क़रीब 50% बढ़ी है. मॉनसून रिलेटेड बीमारी जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, इनके कारण भी बुख़ार होता है. बहुत बार हमने पाया है कि मरीज़ कोविड टेस्ट करते हैं, नहीं है तो घर पर रुक जाते हैं, और जब तक वो अस्पताल आते हैं तब तक मलेरिया डेंगू जैसी बीमारियां एडवाँस स्टेज पर पहुंच जाती हैं, फिर अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत पड़ती है.''
जसलोक अस्पताल में कई ऐसे मरीज़ भी भर्ती हुए हैं जो कोविड और बरसाती बीमारी दोनों से एकसाथ सामना कर रहे हैं. अस्पताल के डॉक्टर रोहन सिकेरिया कहते हैं, ''काफ़ी ऐसे मरीज़ देख रहे हैं जिनको कोविड है और डेंगू, मलेरिया या चिकनगुनिया का डबल इन्फ़ेक्शन है. अगर आपने कोविड टेस्ट किया कर लिया है, दवा चल रही है और फिर बुख़ार नहीं उतर रहा हो तो डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया का टेस्ट ज़रूरी है. ठीक वैसे ही अगर बरसाती बीमारी की दवा चल रही है और बुख़ार नहीं उतर रहा तो कोविड की जांच ज़रूरी है, खुद से दवा ना लें, समस्या बढ़ सकती है.''
एक्स्पर्ट्स बताते हैं कि कोविड का बुख़ार ठंड के साथ नहीं आता, जबकि बरसाती बीमारियों में उल्टा होता है, इस लक्षण पर गौर करें और किसी भी बीमारी का बुख़ार लम्बा चले तो ज़रूरी जांच अवश्य कराएं.
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