बिहार में गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी आनंद मोहन सिंह की रिहाई के मुद्दे पर बीजेपी नीतिश सरकार पर हमलावर है, लेकिन बीजेपी शासित मध्यप्रदेश में एक पूर्व विधायक जिनपर बीजेपी सरकार में ही डकैती तक की गंभीर धाराएं लगी थीं, लेकिन कांग्रेस से बीजेपी में आते ही कानूनी नजरिया बदल गया. बता दें कि मुरैना के रघुराज कंसाना पर साल 2012 में डकैती, हत्या का प्रयास, अपहरण, शासकीय कार्य में बाधा डालने जैसी गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ था. 2018 में कंसाना कांग्रेस से माननीय विधायक बने, विधानसभा पहुंचे. कमलनाथ सरकार ने एफआईआर वापस लेने की कवायद शुरू की लेकिन कानून विभाग ने साफ मना किया और कहा कि ये अपराध गंभीर हैं, FIR वापस नहीं ले सकते.
BJP सरकार ने दिया कैबिनेट मंत्री का दर्जा
कांग्रेस सरकार द्वारा FIR न हटाने से खफा रघुराज कंसाना ने 2020 में सिंधिया के साथ कांग्रेस से बगावत की. फिर कंसाना ने बीजेपी का दामन थामा, उपचुनाव में टिकट भी मिला लेकिन चुनाव में जीत नहीं मिली. चुनाव हारने के बाद कंसाना को मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया और बाद में कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी मिल गया. कंसाना के साथ सब कुछ ठीक चल रहा था. लेकिन अभी भी उसके खिलाफ एक मामला दर्ज था. ऐसे में अब बारी थी उस मामले को निपटाने की. इसे लेकर इसी साल 18 अप्रैल को अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ने गृहमंत्री को प्रकरण वापस लेने का प्रस्ताव भेजते हुए निर्णय लेने का निवेदन किया. इसके बाद अगले ही दिन 19 अप्रैल को गृहमंत्री ने जनहित में रघुराज सिंह कंसाना के आपराधिक प्रकरण वापस लेने पर सहमति दे दी.
एमपी के गृहमंत्री ने कही ये बात
इस मामले में गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्र से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा जो मामले नीचे से होकर ऊपर आते हैं, पक्ष में लिखकर रिपोर्ट आती है ऐसे प्रकरणों को वापस लिया जाता है.कांग्रेस ने भी अपने वक्त कंसाना को बचाने की कोशिश की थी लेकिन अब भड़की हुई है. वहीं, कांग्रेस के प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा अपराध पर नियंत्रण के जिम्मेवार गृहमंत्री ने जो टीप लिखी है वह कानून की व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है.
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