
गंगा की सफाई को लेकर लोकसभा में चर्चा
- जल्द बनाई जाएगी एक समीति
- मित्तल समिति की रिपोर्ट खाती रही धूल
- बिहार सरकार ने दिए हैं सुझाव
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उन्होंने कहा कि भारत में पहले परंपरा थी कि केवट, निषाद, धीमर समुदाय के लोग मॉनसून के बाद रेत की मूर्तियां बनाते थे और बाद में रेत निकालकर लोगों तक पहुंचाते थे, लेकिन समय के साथ नदी में रेत पर रेत माफिया का कब्जा हो गया. ऐसे में इन समुदायों के हाथ से रेत का काम चला गया. उमा ने कहा कि मोदी सरकार नदी से गाद साफ करने को प्रतिबद्ध है और हम गंगा नदी के मॉडल को अन्य नदियों में गाद साफ करने में उपयोग करेंगे.
जल संसाधन राज्य मंत्री संजीव बाल्यान ने कहा कहा कि सरकार बिहार एवं पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिनिधयों एवं केंद्र की सहभागिता वाली एक समिति जल्द बनाने जा रही है ताकि फरक्का समेत अन्य स्थानों पर गाद की समस्या को राज्यों के सहयोग से दूर किया जा सके.
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उमा भारती ने कहा कि बिहार राज्य सरकार के अनुरोध पर जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव के नेतृत्व में अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ एक केंद्रीय दल ने 5 जून 2017 को राज्य का दौरा किया था. इन विशेषज्ञों में केंद्रीय जल आयोग के पूर्व अध्यक्ष एबी पांड्या, आईआईटी रुड़की के प्रो. जेड अहमद शामिल थे. दल ने राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया. उन्होंने कहा कि बक्सर से फरक्का तक गंगा नदी के क्षेत्र में एक हवाई सर्वेक्षण भी केंद्रीय दल द्वारा किया गया है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दल ने राज्य सरकार के अधिकारियों और विशेषज्ञों सहित बिहार के मुख्यमंत्री के साथ भी विचार विमर्श किया जिसमें यह निर्णय किया गया था कि बिहार राज्य में बाढ़ और गाद से संबंधित विभिन्न पहलुओं की देखरेख करने के लिये एक समिति का गठन किया जाएगा. इस बारे में बिहार सरकार की राय भी ले ली गई है.
उमा ने कहा कि गंगा नदी में गाद साफ करने के लिए गडकरी जी के परिवहन मंत्रालय से सहयोग लेंगे. हमारा तो इरादा है कि गाद साफ करने के दौरान एकत्र की गई मिट्टी का उपयोग रोड बनाने के लिये किया जाए .
उन्होंने कहा कि मिट्टी की कटाई की समस्या के संबंध में हमने पश्चिम बंगाल सरकार को खुला निमंत्रण दिया है और वे हमारे समक्ष प्रस्ताव लेकर आएं. उमा भारती ने इसके साथ ही कहा कि उनके मंत्रालय का दल और अधिकारी जब भी पश्चिम बंगाल जाते हैं तो राज्य सरकार के अधिकारी और मंत्री बैठक में हिस्सा नहीं लेते और न ही केंद्र सरकार द्वारा परियोजनाओं के लिए आवंटित धन के बारे में ही कोई आडिट रिपोर्ट पेश की जाती है. उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे में केंद्र सरकार का भी कोई अस्तित्व होता है और इसलिए राज्य सरकार से अनुरोध है कि वह केंद्र के साथ सहयोग करें.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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