प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
पिछले दस दिनों में देश में मॉनसून की कमी 3 फीसदी तक बढ़ गई है, जिसको लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। मौसम विभाग के मुताबिक देश के 12 राज्य और क्षेत्र ऐसे हैं जहां इस बार मॉनसून की बारिश औसत से 20% या उससे भी अधिक कम हुई है। अगले कुछ दिनों में हालात नहीं सुधरे तो इन इलाकों में सूखे का खतरा बढ़ता जाएगा।
मॉनसून की कमी झेल रहे राज्यों की सूची में इस बार पूर्वी मध्य प्रदेश भी शामिल है, जहां 30 अगस्त तक मॉनसून की बारिश की 21% कमी आंकी गई है। एनडीटीवी की टीम ने जब पूर्वी मध्य प्रदेश के कटनी इलाके का दौरान किया तो उसे कई ऐसे परेशान किसान मिले जो पानी की किल्लत की वजह से फसल नहीं बो पाए। बारिश इस इलाके में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न के दौरान अच्छी हुई नहीं और नतीजा यह हुआ कि किसान बदहाली के कगार पर पहुंच चुके हैं।
यही हाल देश के लगभग हर हिस्से में है। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में इस बार मॉनसून की बारिश की कमी सबसे ज़्यादा कमी है। यहां औसत से 50% प्रतिशत कम बारिश हुई है। मध्य महाराष्ट्र में बारिश 39% कम जबकि उत्तरी कर्नाटक में यह कमी 42% है। मॉनसूनी बारिश की कमी कृषि-प्रधान उत्तर प्रदेश में भी रिकार्ड की गई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में मॉनसून की बारिश औसत से 35% कम और दिल्ली-पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 33% कम हुई है। पंजाब में औसत से 33% कम, केरल में 32%, तेलंगाना में 25%, गुजरात क्षेत्र और दमन में 24% और बिहार में 20% कम बारिश आंकी गई है।
मौसम विभाग के डायरेक्टर बी पी यादव ने एनडीटीवी से कहा, 'अगले दस दिन में बारिश का जो अनुमान है, उसके हिसाब से उत्तर-पश्चिम और पश्चिमी भारत में मॉनसून की कमी की भरपाई नहीं हो पाएगी।'
दरअसल मौसम विशेषज्ञों की दलील है कि मॉनसून की जो कमी पिछले तीन महीने में रह गई है उस कमी की भरपाई को दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न के आखिरी महीने सितंबर में पूरा करना बेहद मुश्किल हो सकता है। यानी इन इलाकों में हालात तनावपूर्ण बनते जा रहे हैं। किसानों पर संकट के बादल गहराते जा रहे हैं और सरकार को बड़े स्तर पर प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाने की तैयारी अभी से शुरू करनी होगी।
मॉनसून की कमी झेल रहे राज्यों की सूची में इस बार पूर्वी मध्य प्रदेश भी शामिल है, जहां 30 अगस्त तक मॉनसून की बारिश की 21% कमी आंकी गई है। एनडीटीवी की टीम ने जब पूर्वी मध्य प्रदेश के कटनी इलाके का दौरान किया तो उसे कई ऐसे परेशान किसान मिले जो पानी की किल्लत की वजह से फसल नहीं बो पाए। बारिश इस इलाके में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न के दौरान अच्छी हुई नहीं और नतीजा यह हुआ कि किसान बदहाली के कगार पर पहुंच चुके हैं।
यही हाल देश के लगभग हर हिस्से में है। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में इस बार मॉनसून की बारिश की कमी सबसे ज़्यादा कमी है। यहां औसत से 50% प्रतिशत कम बारिश हुई है। मध्य महाराष्ट्र में बारिश 39% कम जबकि उत्तरी कर्नाटक में यह कमी 42% है। मॉनसूनी बारिश की कमी कृषि-प्रधान उत्तर प्रदेश में भी रिकार्ड की गई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में मॉनसून की बारिश औसत से 35% कम और दिल्ली-पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 33% कम हुई है। पंजाब में औसत से 33% कम, केरल में 32%, तेलंगाना में 25%, गुजरात क्षेत्र और दमन में 24% और बिहार में 20% कम बारिश आंकी गई है।
मौसम विभाग के डायरेक्टर बी पी यादव ने एनडीटीवी से कहा, 'अगले दस दिन में बारिश का जो अनुमान है, उसके हिसाब से उत्तर-पश्चिम और पश्चिमी भारत में मॉनसून की कमी की भरपाई नहीं हो पाएगी।'
दरअसल मौसम विशेषज्ञों की दलील है कि मॉनसून की जो कमी पिछले तीन महीने में रह गई है उस कमी की भरपाई को दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न के आखिरी महीने सितंबर में पूरा करना बेहद मुश्किल हो सकता है। यानी इन इलाकों में हालात तनावपूर्ण बनते जा रहे हैं। किसानों पर संकट के बादल गहराते जा रहे हैं और सरकार को बड़े स्तर पर प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाने की तैयारी अभी से शुरू करनी होगी।
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